बहू ने जुड़वा बेटियों को दिया जन्म, रथ पर बैठाकर घर लाए ससुरालवाले: खुश कर देंगी ये तस्वीरें
ये खबर आपको खुश कर देगी, इस खबर से जुड़ीं तस्वीरें आपको खुश कर देंगी। ये खबर और ये तस्वीर खुश तो करेंगी ही साथ ही ये संदेश भी देंगी कि घर में अगर बेटी पैदा हुई है तो चूको मत जमकर खुशियां मनाओं। ये खुश करने वाली खबर मध्य प्रदेश के धार से आई है, जहां जुड़वा बेटियों के जन्म पर पूरा परिवार प्रसन्नता से झूम उठा।
बहू ने मायके में जुड़वा बेटियों को जन्म दिया
एमपी के धार जिले स्थित एक परिवार में बहू ने मायके में जुड़वा बेटियों को जन्म दिया है। बहू 11 सितंबर 2021 को मां बनी थी। अब ससुराल के लोगों ने घर में जुड़वा बेटियों के आगमन को लेकर शानदार तैयारी की थी। कोशिश यह थी कि कुछ अलग किया जाए। जुड़वा बेटियों के साथ बहू को लेने के लिए ससुराल के लोग रथ लेकर आए।
और जब उसे रथ पर सवार कर पूरे गाजे बाजे के साथ घर लाए तो पूरा शहर देखता रह गया है। बहू और जुड़वा बेटियों के स्वागत की खूबसूरत तस्वीरें देख दूसरे लोग भी खुश दिखे। आगे आपको बताएंगे कि बहू और उसकी जुड़वा बेटियों का स्वागत जुलूस कैसे निकला।
रथ और गाजे-बाजे के साथ निकला जुलूस
दादा ने घर आ रही जुड़वा पोतियों के स्वागत के लिए भव्य तैयारी की थी। बेटियों को मायके से लेकर निकली बहू पहले जेकल माता मंदिर पर पहुंची। यहां पर ससुराल के लोग स्वागत के लिए तैयार थे। ससुर और पति के साथ परिवार के दूसरे सदस्य भी यहां मौजूद थे। जेकल माता मंदिर से घर की दूरी दो किलोमीटर है। परिवार के लोग 2 किलोमीटर तक नाचते-गाते बहू को घर ले आए।
सुंदर रथ पर चली बहू-बेटियों की सवारी
रथ पर बहू, जुड़वा बेटियां और परिवार की दूसरी महिलाएं बैठी थीं। इस दौरान डीजे की धुन और ढोल की थाप पर लोग थिरक रहे थे। साथ ही ऊपर से फूलों की बारिश हो रही थी।
गणेश चतुर्थी के दिन हुआ जन्म
धार जिले अंतर्गत कुक्षी तहसील के कोणदा गांव में भायल परिवार की बहू ने गणेश चतुर्थी के दिन अपने मायके में जुड़वा बेटियों को जन्म दिया था। बेटियों का नाम ऋद्धि और सिद्धि रखा गया है। बेटियों के जन्म के बाद बहू ससुराल नहीं आई थी। खरमास खत्म होने के बाद बहू को ससुराल लाने की तैयारी शुरू हो गई। जन्म के चार महीने बाद बेटियों का दादा के घर में गृह प्रवेश हुआ।
भायल परिवार ने दिया बड़ा संदेश
बेटियों को जन्म पर परिवार में इतनी खुशी देख हर कोई हैरान था। शहर की सड़कों से जब जुलूस निकल रहा था, तब लोग घर की छतों पर खड़े होकर देख रहे थे। आज भी जब हमारे समाज में बेटियों के पैदा होने पर लोग मातम मनाते हैं, ऐसे में भायल परिवार की खुशी ने समाज को एक बड़ा संदेश दिया है। लोग उनकी तारीफ करते नहीं थक रहे हैं।
रिद्धी-सिद्धी के दादा जगदीश भायल और पिता मयूर भायल की खुशी देखने लायक थी। जगदीश भायल किसान हैं, वहीं मयूर भायल कपड़े की दुकान चलाते हैं। जगदीश भायल ने पिछले साल अपने बेटे मयूर की बारात में भी कुछ इसी प्रकार का अनोखा तरीका अपनाया था। वे बैलगाड़ी से बारात लेकर पूरे रास्ते डीजे पर नाचते हुए बहू को घर लाए थे और अब पोतियों को नाचते-गाते लाए हैं।