चमत्कार: डॉक्टरों ने इंसान के शरीर में लगाया सूअर का दिल; जानिए मरीज़ को कैसा हो रहा है महसूस
मेडिकल साइंस ने उन लोगों के चेहरे पर मुस्कान ला दी है जो दिल के मरीज हैं और जिन्हें हार्ट ट्रांसप्लांट की जरूरत है। अब तक इंसान में इंसान का ही हार्ट ट्रांसप्लांट सफल रहा है। पूरी दुनिया में इंसान में अन्य जीवों के हार्ट ट्रांसप्लांट करने को लेकर लगातार रिसर्च और प्रैक्टिकल चल रहे हैं। लेकिन अमेरिका के डॉक्टरों ने इंसान के शरीर में सूअर का दिल ट्रांसप्लांट (Pig Heart Implant in Human) कर नया कीर्तिमान स्थापित कर दिया है।
यह प्रक्रिया अंग दान की कमी को हल करने में काफी मददगार साबित हो सकती है। अमेरिका के इन डॉक्टरों ने सूअर का दिल कैसे ट्रांसप्लांट किया आपको आगे बताएंगे।
मील का पत्थर साबित होगा यह ट्रांसप्लांट
अमेरिकी डॉक्टरों ने एक इंसान में जेनेटिकली मॉडिफाइड सूअर (Genetically Modified Pig) का दिल सफलतापूर्वक लगाकर यह बड़ी कामयाबी हासिल की। यूनिवर्सिटी ऑफ मैरीलैंड मेडिकल स्कूल ने सोमवार को एक बयान जारी कर बताया कि यह ‘ऐतिहासिक’ ट्रांसप्लांट (Heart Transplant) शुक्रवार को किया गया।
हालांकि, उनका यह भी कहना था कि इस ट्रांसप्लांट के बाद मरीज की बीमारी का इलाज किस हद तक हुआ है, फिलहाल अभी इस पर कुछ निश्चित रूप से नहीं कहा जा सकता, अभी इस पर थोड़ा इंतजार करना होगा। लेकिन जानवरों से इंसानों में ट्रांसप्लांट की ये प्रक्रिया मील का पत्थर साबित होगी। आगे आपको उस शख्स के बारे में बताएंगे जिसे सूअर का दिल लगाया गया है।
#BREAKING US surgeons say they have successfully implanted a pig heart in a human pic.twitter.com/20ygxMqq2n
— AFP News Agency (@AFP) January 10, 2022
57 साल के शख्स में लगा सूअर का दिल
न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक, मैरीलैंड निवासी 57 साल के डेविड बेनेट (David Bennett) को हार्ट ट्रांसप्लांट की जरूरत थी। लेकिन वे एक साथ कई गंभीर बीमारियों से पीड़ित थे, जिसे हार्ट ट्रांसप्लांट के लिए सही नहीं माना जा रहा था। लेकिन जान बचाने के लिए फैसला लेना पड़ा क्योंकि उसकी हालत बहुत खराब हो रही थी। आखिर में डॉक्टरों ने डेविड के शरीर में सूअर का दिल लगाने का फैसला किया और यह सफल ट्रांसप्लांट कर दिया गया। आगे आपको बताएंगे की ट्रांसप्लांट के बाद डेविट की हालत कैसी है?
ट्रांसप्लांट के बाद हालत बेहतर
बताया जा रहा है कि सफल ट्रांसप्लांट के बाद डेविड बेनेट अब ठीक हो रहे हैं। नया अंग उनके शरीर में किस तरह काम कर रहा है, इसपर अमेरिका के डॉक्टर/सर्जन नजर बनाए हुए हैं। इसकी जांच और निगरानी सावधानीपूर्वक की जा रही है। दरअसल, डेविड पिछले कई महीनों से बिस्तर पर पड़े हैं। वे हार्ट-लंग बाईपास मशीन के सहारे पर हैं।
डेविड कहते हैं- “मेरे पास बस दो ही विकल्प बचे थे, या तो मरूं या फिर यह हार्ट ट्रांसप्लांट करवाऊं। मैंने जीना चुना। ट्रांसप्लांट अंधेरे में तीर चलाने जैसा था, लेकिन यही मेरा आखिरी विकल्प था। फिलहाल मैं ठीक होने के बाद बिस्तर से बाहर आने के लिए उत्सुक हूं”।
डॉक्टरों के मुताबिक, हम इस ट्रांसप्लांट प्रक्रिया को लेकर सावधानी से आगे बढ़ रहे हैं। हम आशावादी हैं कि दुनिया की ऐसी पहली सर्जरी भविष्य में रोगियों के लिए एक महत्वपूर्ण नया विकल्प प्रदान करेगी। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, लगभग 110,000 अमेरिकी वर्तमान में अंग प्रत्यारोपण का इंतजार कर रहे हैं, वहां हर वर्ष लगभग 6,000 लोग अंग नहीं मिल पाने के कारण मौत के मुंह में चले जाते हैं।