देश की एकता-अखंडता खतरे में, PM की चुप्पी पर IIM छात्रों का खुला खत, कहा- कट्टर हिंदू नेता चुने
नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस बात को अच्छी तरह से जानते हैं कि उन्हें अपने विरोधियों से कैसे और कब निपटना है. पीएम मोदी के ख़िलाफ़ अक्सर विरोधी स्वर उठते रहते हैं. हालांकि पीएम हर समय अपने ख़िलाफ़ उठने वाली नफ़रत भरी ताकतों का जवाब नहीं देते हैं
विपक्ष के अलावा भी पीएम के ख़िलाफ़ लोग बातें करते रहते हैं. हालांकि पीएम समय आने पर ही बोलते हैं और उनके आगे फिर विरोधियों की एक नहीं चलती है. इसके अलावा देश में चर्चा में रहने वाले मुद्दों पर भी कई बार पीएम चुप्पी भी साध लेते हैं और अब इस पर आईआईएम के छात्रों व फैकल्टी मेंबर्स के ग्रुप ने आपत्ति जताई है. उन्होंने पीएम से देश में अभद्र भाषा (Hate speech) और जाति आधारित हिंसा (Caste based violence) के खिलाफ बोलने के लिए उन्हें पत्र लिखा है.
भारतीय प्रबंधन संस्थान (IIM) के छात्रों और फैकल्टी मेंबर्स ने पीएम मोदी से आग्रह किया है कि वे नफरती ताकतों के ख़िलाफ़ बोले. उनके ख़िलाफ़ उठने वाले विरोधी स्वरों के ख़िलाफ़ बोले. जाति आधारित हिंसा (Caste based violence) के ख़िलाफ़ अपनी बात रखें.
पत्र लिखने वालों से साफ़ शब्दों में यह भी कहा है कि पीएम मोदी का मौन, पीएम की चुप्पी नफरत भरी आवाजों को बढ़ावा देने का काम कर रही है. ऐसे में पीएम को इन्हें जवाब देना चाहिए. साथ ही यह भी कहा गया है कि इन चीजों से देश में दर का माहौल तैयार ककिया जा रहा है.
आईआईएम स्टूडेंट्स ने पीएम को लिखे ओपन लेटर में लिखा है कि, “माननीय प्रधान मंत्री, आपकी चुप्पी नफरत से भरी आवाजों को बढ़ावा देती है और हमारे देश की एकता और अखंडता के लिए खतरा है. प्रधानमंत्री जी हम आपसे अनुरोध करते हैं कि हमें विभाजित करने की कोशिश करने वाली ताकतों के खिलाफ मजबूती से खड़े रहें.”
पत्र लिखने वाले छात्रों ने पीएम मोदी को अपना समर्थन देते हुए आगे लिखा कि, “धर्म/जाति पहचान के आधार पर समुदायों के खिलाफ अभद्र भाषा और हिंसा का आह्वान अस्वीकार्य है.” हालांकि आपो बता दें कि अब तक इस मामले पर पीएम मोदी की ओर से कोई बयान सामने नहीं आया है.
बता दें कि पीएम को जो पत्र लिखा गया है उसमें आईआईएम-अहमदाबाद और आईआईएम-बेंगलुरु के छात्र और संकाय सदस्य है. पत्र पर कुल 183 लोगों के हस्ताक्षर है. पत्र में पीएम को तरह-तरह की बातें लिखी गई है.
पीएम मोदी से कहा गया कि हिंदू धर्म की रक्षा करने के लिए एक कट्टर हिंदू नेता चुना जाए. इसके अलावा कहा गया कि मुस्लिमों के ख़िलाफ़ हथियार उठाने का जो आह्वान हरिद्वार में हुआ ऐसा नहीं होना चाहिए. साथ ही कहा गया कि कही चर्च तोड़े जा रही हैं तो कहीं मंदिर. जिम्मेदार लोगों के ख़िलाफ़ उचित कार्रवाई की मांग भी की गई.