आखिर क्षीर सागर में काले शेषनाग पर क्यों रहते है भगवान विष्णु, देते है इंसानों को एक खास संदेश
हिंदू धर्म में आपने यदि गौर से देखा हो तो हर देवी-देवता के बैठने की मुद्रा अलग-अलग होती है. कुछ देवता अपने वाहन के ऊपर बैठे दिखाई देते हैं, तो कुछ अन्य मुद्रा में दिखते हैं. लेकिन उनकी मुद्रा के पीछे कोई न कोई बड़ा कारण अवश्य होता है. ऐसे में भगवान विष्णु के चित्र में उन्हें क्षीर सागर में शेषनाग की शैय्या पर लेटा दिखाया गया है.
इस चित्र में देखा जा सकता है कि, विष्णु भगवान बहुत ही शांत मुद्रा में आराम कर रहे हैं. आपको बता दें कि भगवान् विष्णु को जगत पिता के नाम से भी जाना जाता है. भगवान विष्णु को सृष्टि के पालनहार के नाम से भी पुकारा जाता है.
भगवान विष्णु की ये तस्वीर देख कर सभी के मन में सवाल तो आता ही है कि, वह सृष्टि के पालहार होने की जिम्मेदारी होने के बावजूद वे कालरूप नाम पर इतनी शांत मुद्रा में कैसे विश्राम कर सकते हैं.
आइए जानते हैं भगवान विष्णु क्षीर सागर में शेषनाग पर इतनी शांत मुद्रा में विश्राम क्यों कर रहे हैं. भगवान विष्णु अपने चित्र में बहुत ही शांत स्वरुप में नज़र आ रहे है. ये इंसान को बुरे वक्त में संयम और धीरज रखने और मुश्किलों को नियंत्रित करने की प्रेरणा देते हैं.
भगवान के इस चित्र में क्षीर सागर को सुख का प्रतीक कहा गया है और उनके शेषनाग को काल यानी सुख का प्रतीक माना गया है. ऐसे में भगवान नारायण का ये स्वरूप काल, दुख, विपत्तियों और भय से मुक्त होकर हम सभी को हर परिस्थिति में एक-सा रहने की प्रेरणा देता है.
आम इंसान को देते है सबसे बड़ी प्रेरणा
श्री हरि पर जिस तरह से संसार की जिम्मेदारी है, उसी तरह हर व्यक्ति भी अपने कर्तव्य और जिम्मेदारियों से जुड़ा रहता है. अपने जीवन के इन दायित्वों का निर्वहन करते हुए ही व्यक्ति के जीवन में तमाम समस्याएं और परेशानियां आती रहती है. कई बार जीवन में आने वाली ये परेशानियां व्यक्ति को बुरी तरह से तोड़ देती है. साथ ही वह पूरी तरह से निराश हो जाता है.
ऐसे में व्यक्ति को नारायण की प्रतिमा देखकर उनसे प्रेरणा लेनी चाहिए कि श्री हरि विपरीत परिस्थितियों में भी शांत, स्थिर, निर्भय तथा निश्चिंत हैं और धर्म का पालन कर रहे हैं. नाग की शैय्या पर शयन करने के बाद भी वह नारायण भगवान विचलित नहीं होते है. उसी तरह व्यक्ति को भी हर परिस्थिति में शांत रहकर उसका सामना करना चाहिए.
नारायण को नाम इस वजह से पड़ा हरि
बता दें कि भगवान विष्णु को श्री हरि के नाम से भी जाना जाता है. हरि का अर्थ होता है हरने वाला. जब भी किसी व्यक्ति के जीवन में कोई संकट आता है और वह व्यक्ति भगवान विष्णु का सच्चे दिल से स्मरण करता है, तो प्रभु उसके सारे दुख और पाप को हर लेते है.
इसी वजह से भगवान विष्णु के भक्त उन्हें श्रीहरि के नाम से पुकारते है. आप भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए इस मन्त्र का जाप करे. ”ॐ नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।।’