हफ्ते में 2 दिन पढ़ाई कर IAS बनी ये लड़की, UPSC में लाई 11वीं रैंक, बताया अपनी सफलता का राज
देश की सबसे कठिन परीक्षाओं में संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की सिविल सर्विस एग्जाम (Civil Service Exam) का नाम सबसे पहले आता है। UPSC क्रैक करने में कैंडिडेट्स को कई साल लग जाते हैं। कुछ तो दिन रात कड़ी मेहनत करने के बावजूद सफलता प्राप्त नहीं कर पाते हैं। ऐसे में आज हम आपको एक ऐसी लड़की से मिलाने जा रहे हैं जिसने सिर्फ हफ्ते में दो दिन पढ़ाई कर ऑल इंडिया में 11वीं रैंक हासिल की।
देवयानी सिंह (Devyani Singh) हरियाणा के महेंद्रगढ़ की रहने वाली की रहने वाली हैं। उन्होंने चंडीगढ़ के एसएच सीनियर सेकेंडरी स्कूल से अपनी स्कूली शिक्षा पूर्ण की है। ग्रेजुएशन के लिए वे 2014 में बिट्स पिलानी के गोवा कैंपस गई जहां उन्होंने इलेक्ट्रॉनिक्स और इंस्ट्रूमेंटेशन इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन किया।
पिता हैं प्रेरणा
देवयानी (Devyani) अपने पिता विनय सिंह को अपनी प्रेरणा मानती हैं। उनके पिता हिसार में संभागीय आयुक्त (Divisional Commissioner) हैं। देवयानी बचपन से ही अपने पिता को सिविल सेवक के रूप में काम करते देखती आई है। इसलिए वह बड़ी होकर पिता के पद चिह्नों पर ही चलना चाहती थी।
तीन असफलताओं के बाद मिला जीत का स्वाद
आईएएस बनने के लिए देवयानी ने बहुत मेहनत की। वे अपने लक्ष्य को हासिल करने के सफर में तीन बार फेल हुई। हालांकि फिर भी उन्होंने हार नहीं मानी और चौथे प्रयास में सफलता का स्वाद चखा। देवयानी ने साल 2015, 2016 और 2017 में यूपीएससी परीक्षा दी थी, लेकिन वे सफल नहीं हो पाई। दूसरे प्रयास में वे प्री एग्जाम भी नहीं पास कर पाई थी। वहीं 2017 में वह इंटरव्यू राउंड में अटक गई थी। फिर 2019 में उनकी मेहनत रंग लाई और उन्होंने ऑल इंडिया 222वीं रैंक हासिल की।
5वें प्रयास में आई 11वीं रैंक
222वीं रैंक प्राप्त करने के बाद देवयानी (Devyani) का सिलेक्शन सेंट्रल ऑडिट विभाग में हो गया था। उन्होंने इसकी ट्रेनिंग भी शुरू कर दी थी। हालांकि वे साइड में यूपीएससी की तैयारी भी कर रही थी। उनका सपना आईएएस बनने का था। इसके लिए उन्होंने कड़ी मेहनत की और 2021 में पांचवे प्रयास में 11वीं रैंक हासिल कर आईएएस बनने में सफलता हासिल की। बताते चलें कि 2019 में देवयानी का सिलेक्शन राजस्थान सिविल सेवा में भी हो गया था।
सप्ताह में सिर्फ 2 दिन पढ़ती थी
देवयानी ने एक इंटरव्यू में बताया कि वह इस बात पर ध्यान नहीं देती थी कि वह कितने घंटे पढ़ रही हैं। उनका फोकस इसी पर रहता था कि वे जब भी पढ़ने बैठे तो गंभीरता से और बिना किसी टेन्शन के पढ़े। सेंट्रल ऑडिट विभाग में सिलेक्शन हो जाने की वजह से उन्हें पढ़ने का ज्यादा मौका नहीं मिलता था। ऐसे में वह सिर्फ वीकेंड पर शनिवार और रविवार को ही पढ़ाती थी।
मॉक इंटरव्यू और अखबार से मिली सफलता
देवयानी ने बताया कि अपने पांचवे प्रयास में उन्होंने एग्जाम में ऑप्शनल सब्जेक्ट में अधिक नंबर लाने का टारगेट रखा था। उनकी यह रणनीति काम भी आई। इंटरव्यू क्रैक करने के लिए उन्होंने मॉक इंटरव्यू का सहारा लिया। वहीं वे रोज अखबार भी पढ़ती थी। उन्होंने अपनी राइटिंग पर भी फोकस किया था।