महिलाएं पूजा में नहीं फोड़ सकतीं नारियल, जानिए इसके पीछे की असली कहानी…
इसलिए पूजा और धार्मिक कार्यों में महिलाएं नहीं फोड़ती हैं नारियल, ये है असली वजह...
हिंदू धर्म में मान्यताओं और परम्पराओं का विशेष महत्व है। इसी के अंतर्गत हिन्दू धर्म में नारियल को एक पवित्र फल माना गया है। इतना ही नहीं अधिकतर शुभ और धार्मिक कार्यों में नारियल का उपयोग किया जाता है और बिना नारियल के ये कार्य अधूरे मानें जाते हैं। इसी वजह से पूजा, हवन और यज्ञ आदि कार्यों में इसका इस्तेमाल किया जाता है। वहीं बता दें कि नारियल के जल को अमृत के समान माना गया है और शास्त्रों में इसे श्री फल कहा गया है।
इतना ही नहीं यह शारीरिक दुर्बलता को भी दूर करने का काम करता है और इसका संबंध श्री यानि लक्ष्मी से भी है। लेकिन क्या आपको पता है कि नारियल को महिलाएं नहीं तोड़ती? नहीं मालूम तो आइए आज हम आपको बताते हैं कि महिलाएं आखिर नारियल क्यों नहीं तोड़ती…
बता दें कि नारियल को श्रीफल के नाम से भी जाना जाता है। इसके अलावा भगवान विष्णु जब पृथ्वी में प्रकट हुए तब स्वर्ग से वे अपने साथ तीन विशेष चीज भी लाए। जिनमें पहली थीं माता लक्ष्मी, दूसरी वे अपने साथ कामधेनु गाय लाए थे और तीसरी वस्तु जो थी वह था नारियल का वृक्ष। इतना ही नहीं क्योंकि यह भगवान विष्णु एवं माता लक्ष्मी का फल है यही कारण है कि इसे श्रीफल के नाम से जाना जाता है और इसमें त्रिदेवो ब्रह्मा, विष्णु तथा महेश का वास होता है। ऐसी हमारी प्रचलित मान्यताएं भी कहती है।
वहीँ धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पहले देवी-देवताओं को प्रसन्न करने के लिए हवन के बाद बलि देने की प्रथा थी और बलि किसी भी प्रिय चीज की दी जाती थी। वहीं धीरे-धीरे समय बीतने के बाद पूजन के बाद हवन के दौरान नारियल की बलि दी जाने लगी, क्योंकि ऐसा कहा जाता है कि नारियल मनोकामना पूर्ति में सहायक होता है।
ऐसे में आज भी पुरुष किसी भी शुभ कार्य से पहले नारियल तोड़ते हैं, लेकिन महिलाओं के लिए ऐसा करना निषेध है। कहते हैं कि नारियल को बीज फल माना जाता है और स्त्री बीज रुप में ही संतान को जन्म देती है। ऐसे में गर्भधारण संबंधी कामना की पूर्ति के लिए नारियल को सक्षम माना जाता है। इतना ही नहीं प्रचलित मान्यता है कि महिलाएं अगर नारियल तोड़ती हैं तो संतान को कष्ट होता है और इसी वजह से महिलाओं को नारियल तोड़ने की मनाही है।
कल्पवृक्ष मना गया है नारियल को…
वहीं बता दें कि नारियल को कल्पवृक्ष का फल माना गया है। ऐसा इसलिए क्योंकि यह कई प्रकार की बीमारियों के लिए औषधि का काम करता है। इसके अलावा नारियल की पत्तियां और जटाओं को भी अनेक प्रकार से उपयोग किया जाता है। वहीं इसके धार्मिक दृष्टिकोण से बहुत फायदे हैं। इसलिए पूजा-पाठ सहित अन्य धार्मिक कार्यों में इसका प्रयोग किया जाता है।
वहीं एक प्रचलित धार्मिक मान्यता की मानें तो एक बार विश्वामित्र ने भगवान इंद्र से गुस्सा होकर एक अलग स्वर्ग का निर्माण कर लिया था और जब महर्षि इसके बाद भी संतुष्ट नहीं हुए तो उन्होंने एक अलग ही पृथ्वी बनाने का निर्णय लिया और ऐसा कहते हैं कि उन्होंने मनुष्य के रूप में सबसे पहले नारियल की रचना की। जिसकी वजह से नारियल को मनुष्य का रूप भी माना जाता है।
वहीं आखिर में बता दें कि नारियल कई रूपों में बहुत उपयोगी होता है। इसके अलावा कन्या के विवाह उपरांत विदाई के समय पिता के द्वारा अपनी पुत्री को धन के साथ श्रीफल भेंट किया जाता है और अंतिम संस्कार के क्रियाकर्म में भी चिता के साथ नारियल जलाए जाते हैं। वहीं धार्मिक अनुष्ठान और कामों में भी सूखे नारियल के साथ हवन किया जाता है। ऐसे में देखें तो हर पूजा का अंत नारियल के बिना पूर्ण नहीं होता और पूजा के अंत में नारियल फोड़ना आवश्यक होता है जिसके बाद उसका प्रसाद बांटा जाता है।