Inside story: वैष्णो देवी में क्यों हुआ दर्दनाक हादसा, बरेली में सामने आई सच्चाई
वैष्णो देवी हादसे की दिल दहलाने वाली तस्वीरें अब-तक लोगों के दिलो-दिमाग में बैठी हुई हैं। नए साल के पहले दिन हुए इस हादसे को क्यों नहीं टाला जा सका, इसे जानना सभी के लिए जरूरी है, ताकि फिर ऐसे हादसे ना हों इसके लिए भक्त, श्रद्धालु, प्रशासन और सरकार सब सजग, सतर्क और तैयार रहें। हालांकि इस हादसे की औपचारिक जांच अभी जारी है। लेकिन ग्राउंड पर जो कारण साफ-साफ दिखे उन्हें आपको यहां बता रहे हैं-
श्रद्धालुओं की भीड़ का नहीं लग पाया अंदाजा
भगदड़ का मुख्य कारण यही था कि नए साल पर देश और विदेश से बड़ी भारी संख्या में श्रद्धालु पहुंच गए थे। पहली बार दर्शन के लिए पहुंच रहे श्रद्धालुओं की भीड़ के हिसाब से व्यवस्था नहीं देखने को मिली। वहीं एक स्थानीय होटल के मैनेजर ने जानकारी दी कि दो गुटों में कहासुनी और वीआइपी दर्शन को लेकर भी भगदड़ मची थी। हालांकि सही बात जांच के बाद ही सामने आएगी। कुछ लोगों ने बताया कि पहली बार माता के दर्शन के दौरान अधिक से अधिक लोगों को वीआइपी दर्शन कराते हुए देखा गया।
दो रास्ते होने से भी नहीं लगा भीड़ का अंदाजा
मंदिर के मुख्य भवन की तरफ जाने के लिए दो ट्रैक या रास्ते हैं। इसमें से एक नया रास्ता है जिस पर घोड़ा, पालकी आदि जाने की इजाजत नहीं है। वहीं एक पुराना ट्रैक है। जिसमें सभी को जाने की इजाजत है। दोनों रास्तों पर केवल कंट्रोल और चेकिंग प्वाइंट पर दो-दो जवान दिखे, रास्ते के दूसरी जगहों पर सुरक्षा जवान नहीं दिखे।
भवन के पास बनी छह बटालियन सीआरपीएफ के कैंप में भी सेना के जवान इस बार कम दिखे। दोनों रास्तों से श्रद्धालुओं के आने से माता के भवन में होने वाली भीड़ का अंदाजा भवन प्रशासन को नहीं लग सका।
मंदिर की एक गुफा बंद होने के कारण बढ़ी भीड़
मंदिर के मुख्य भवन में माता की पिंडी दर्शन के लिए दो गुफाएं बनी हुई है। 42 मीटर की इन गुफाओं से होकर गुजरने पर श्रद्धालुओं को माता के दर्शन होते हैं। इसमें से एक गुफा में मरम्मत का काम होने के कारण उसे बंद किया गया था। केवल एक गुफा से ही श्रद्धालुओं को दर्शन हो रहे थे। इसके कारण काफी लंबी लाइन लग रही थी।
यही नहीं पहली बार वीआइपी दर्शन के लिए सेना के जवान लगे हुए थे। जो हर पांच मिनट में वीआइपी को लेकर दर्शन कराने जा रहे थे। इस बीच लाइन में लगे श्रद्धालुओं को रोक दिया जा रहा था। जिससे लाइन बढ़ती जा रही थी और लोग बेसब्र हो रहे थे।
भगदड़ से मिली बड़ी सीख
भीड़ किस तादाद में मंदिर पहुंच रही है, कितने लोग मंदिर के मुख्य परिसर में मौजूद हैं, कितने लोग दर्शन कर बाहर आ चुके हैं इसका एक सटीक अंदाजा होना जरूरी है। ताकि भीड़ को आसानी से मैनेज किया जा सके और किसी भी अप्रिय घटना से बचा जा सके।
भीड़ को जगह-जगह पर रोकने और नियंत्रित करने की व्यवस्था का कड़ाई से पालन होना चाहिए और इसके लिए आधुनिक तकनीकी का प्रयोग भी किया जाना चाहिए। मुख्य भवन जाने वाले दोनों ट्रैक या रास्तों पर सुरक्षा कर्मियों की संख्या बढ़ाने की भी जरूरत है। दूसरी तरफ श्रद्धालुओं को भी खुद इस व्यवस्था को बनाए रखने के लिए पूरा सहयोग देना चाहिए।