Omicronके डर से 5 राज्यों में चुनाव टाले जा सकते है ,चुनाव आयोग दे रहा है संकेत
साल की शुरुआत में पांच राज्यों में होनेवाले विधानसभा चुनाव कोविड की तीसरे लहर की आशंका के बीच टाले जा सकते हैं? क्या पिछली गलतियों से सबक लेते हुए चुनाव आयोग ऐसे सख्त कदम की संभावना को टटोल सकता है? क्या चुनाव टालने का रास्ता उपलब्ध रहता है?
कुछ दिन में जारी हो सकती है अधिसूचना
ये तमाम सवाल तब उठे हैं जब ओमिक्रान वेरिएंट के पांव पसारने के बाद तमाम एहतियाती कदम उठाए जा रहे हैं। विशेषज्ञ कह रहे हैं कि अगले कुछ दिनों में तीसरी लहर बड़े पैमाने पर आ सकती है। इसी दौरान उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में भी विधानसभा चुनाव की अधिसूचना जारी हो सकती है।
चुनाव आयोग ने संकेत- नहीं स्थगित होंगे चुनाव
अब तक चुनाव आयोग ने संकेत दिया है कि चुनाव स्थगित नहीं होंगे। चुनाव आयोग ने संकेत दिया है कि इन राज्यों का दौरा कर जल्द ही अधिसूचना जारी की जा सकती है। अधिकारियों के अनुसार चुनाव टालने से कई तरह के निर्णय लेने पड़ सकते हैं। मसलन जिन राज्यों में विधानसभा का टर्म पूरा हो रहा है वहां राष्ट्रपति शासन लगाए जाएंगे। साथ ही सारी तैयारी नए सिरे से करनी पड़ सकती।
ऐसे में आयोग के सूत्रों के अनुसार चुनाव टालने का विकल्प तो रहता है लेकिन अभी ऐसा नहीं है कि ये कदम उठाया जाए। लेकिन पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के अनुभव को देखते हुए इस बार चुनाव प्रचार और बाकी चीजों में सख्त एहतियाती कदम उठाए जा सकते हैं।
राजनीतिक दलों को मानने के लिए बाध्य होना होगा
पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी के अनुसार चुनाव आयोग के पास सख्ती करने का अधिकार तभी आएगा जब चुनाव कार्यक्रम का ऐलान होगा। उन्होंने कहा कि अगर आयोग सख्ती से और पारदर्शी तरीके से गाइलांइस का पालन करे तो राजनीतिक दलों को इसे मानने के लिए बाध्य होना होगा। उन्होंने कहा कि उम्मीद है कि पश्चिम बंगाल से सीख लेते हुए आयोग इस बारे में सोच-समझ कर फैसले लेगा।
चुनाव आयोग फैसले पर अटल
पिछले दिनों मुख्य चुनाव आयुक्त ने न्यूज एजेंसी को दिए इंटरव्यू में साफ किया था कि जिस तरह बिहार और पश्चिम बंगाल सहित तमाम दूसरे राज्यों में कोविड काल में जो चुनाव हुए, उससे सीख लेकर ही उत्तर प्रदेश, पंजाब सहित 5 राज्यों के चुनाव में सावधानी बरती जाएगी लेकिन चुनाव तय समय पर ही होंगे। उनका यह बयान तब आया था जब चुनाव आयोग हाल में कोविड काल में चुनाव कराने और रैली जैसे राजनीतिक आयोजन में भीड़ जुटाने से रोकने में विफल रहने के लिए आलोचना का सामना कर रहा है।
चुनाव आयोग पर कड़े सवाल उठे थे
पश्चिम बंगाल चुनाव के दौरान दूसरी लहर चरम पर थी और रैलियों में भारी भीड़ की तस्वीरें आने से चुनाव आयोग पर कड़े सवाल उठे थे। उस समय जब हालात खराब हुए थे और चौतरफा आलोचना हुई, तब जाकर चुनाव आयोग ने आदेश जारी किया कि शाम सात बजे से लेकर सुबह 10 बजे तक हर तरह का चुनाव प्रचार बंद रहेगा।
साथ ही यह भी तय किया कि जिन इलाकों में चुनाव होना है, वहां प्रचार 48 घंटे की जगह 72 घंटे पहले बंद होगा। चेतावनी दी गई कि सभी नेता और स्टार प्रचारक अपनी सभाओं को कोविड मानकों का पालन करेंगे और राजनीतिक दलों की ओर से कोई उल्लंघन हुआ तो उनके खिलाफ क्रिमिनल केस होगा।
कोर्ट ने भी उठाए थे सवाल
इसके बाद भी इस आदेश का कोई असर जमीन पर नहीं दिखा था। आयोग से कलकत्ता हाई कोर्ट ने सख्त सवाल पूछे थे और कड़ी टिप्पणी की थी। कोर्ट ने इतना तक कहा था कि आज आयोग को टीएन शेषन की जरूरत है। उधर, चुनाव के दौरान एक दर्जन से अधिक नेता बीमार हुए और तीन उम्मीदवारों की मौत तक कोविड से हो गई थी। मद्रास हाई कोर्ट ने भी चुनाव आयोग पर सख्त टिप्पणी की थी। इसके बाद आयोग को कई दिनों तक सफाई देनी पड़ी थी। यह चुनाव आयोग की साख पर सवाल खड़ा कर गया था। इसे देखते हुए आयोग इस बार सतर्क है।
ऑनलाइन नॉमिनेशन हो सकता है संभव
आयोग का दावा है कि भले चुनाव के डेट न टलें लेकिन इस बार स्पष्ट रूप से न सिर्फ पुराने गाइडलांइस पालन कराए जाएंगे बल्कि कुछ नए एहतियाती उपाय भी जोड़े जाएंगे। कोविड काल में चुनाव आयोग ने भीड़ को नियंत्रण में रखने के लिए वोटिंग सुबह 7 बजे से लेकर शाम 6 बजे तक कराई थी। वोटिंग एक घंटे के लिए बढ़ाई गई और तय किया गया कि एक बूथ पर अधिकतम एक हजार वोटर ही वोट डालेंगे। नॉमिनेशन ऑनलाइन भी हो सकेगा, उम्मीदवार के साथ अधिक से अधिक 2 लोग और 2 वाहन जा सकेंगे।