
इतना रहस्यमयी है लेपाक्षी मंदिर, कि किसी को भी नहीं समझ आता इसका रहस्य!
लेपाक्षी मंदिर हवा में झूलते एक स्तंभ पर बने होने की वजह से दुनिया भर में प्रसिद्ध है। इस मंदिर का निर्माण 16 वीं सदी में हुआ था। वैसे तो इस मंदिर में कई स्तंभ है, लेकिन उनमें से एक स्तंभ ऐसा भी है जो जमीन को नहीं छुता बल्कि वह हवा में लटका हुआ है। इस स्तंभ का रहस्य ये है कि ये बिना किसी सहारे के खड़ा है। स्थानीय लोगों का मानना है कि इस स्तंभ के नीचे से कपड़ा व अन्य चीजें निकालना शुभ होता है। Mystery of hanging pillar of lepakshi.
जटायु के नाम पर पड़ा था इस स्थान का नाम –
यह मंदिर लेपाक्षी में स्थित है। जिसके पीछे मान्यता है कि जब रावण माता सीता का अपहरण करके अपने साथ लंका ले जा रहा था उसी दौरान भगवान श्रीराम और लक्ष्मण माता सीता उनको ढुढ़ते हुए यहां पहुंचे। गिद्धराज जटायु ने माता सीता को बचाने के लिए रावण से युद्ध किया। युद्ध के दौरान जटायु घायल होकर इसी स्थान पर गिरे थे।
सीता माता की खोज में जब भगवान श्रीराम यहां पहुंचे तो उन्होंने जटायु को देखते ही ले पाक्षी कहते हुए उन्हें अपने गले से लगा लिया। इसी कारण से इस स्थान का नाम लेपाक्षी रखा गया है। गौरतलब है कि “ले पाक्षी” एक तेलुगू शब्द है जिसका अर्थ उठो पक्षी होता है।
72 पिलरों पर बना है ये मंदिर –
यह मंदिर 72 पिलरों पर बना हुआ है। इस मंदिर का सबसे बड़ा रहस्य इन 72 पिलरों में से एक पिलर का जमीन को न छूना है। इस मंदिर के रहस्यों को जानने के लिए अंग्रेजों ने इस मंदिर को किसी और स्थान पर ले जाने कि कोशिश भी कि थी। कहा जाता इस मंदिर के रहस्यों को जानने के लिए एक इंजीनियर ने इसे तोड़ने का भी प्रयास किया था।
इतिहासकारों के मुताबिक इस मंदिर का निर्माण सन् 1583 में विजयनगर के राजा के लिए काम करने वाले दो भाईयों (विरुपन्ना और वीरन्ना) ने किया था। ऐसा भी मानना है कि इसे ऋषि अगस्त ने बनवाया था। इस मंदिर में भगवान शिव, विष्णु और वीरभद्र की मुर्तियां विराजमान हैं। इन तीनों भगवानों के लिए अलग-अलग मंदिर है।