पनामा पेपर्स मामले में ऐश्वर्या राय से हुए 5 घंटे तक पूछताछ, जानें पूरा मामला
बॉलीवुड की सबसे फेमस अभिनेत्री एश्वर्या राय एक नई मुसीबत में फंस गई है। जिसके चलते बच्चन परिवार की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। आपको बता दें कि, साल 2016 में सामने आए पनामा पेपर मामले के बाद अभिनेता अमिताभ बच्चन और उनके परिवार के लोगों का भी नाम भी सामने आया था। यह मामला दुनियाभर में फर्जी कंपनियों के ज़रिये निवेश दिखाकर टैक्स की हेराफेरी करने का था। हेराफेरी मामले में बच्चन परिवार की मुश्किलें अब बढ़ती हुई नज़र आ रहीं हैं।
बताते चले कि, 20 दिसंबर को यानी की आज टैक्स की हेराफेरी मामले को लेकर अभिनेत्री ऐश्वर्या राय बच्चन की प्रवर्तन निदेशालय यानी (ED) के सामने पेशी होनी है। इसी मामले में कुछ समय पहले उनके पति अभिषेक बच्चन से भी पूछताछ की गई थी। ऐसे में संभव है कि अब आने वाले दिनों में अमिताभ बच्चन से भी पूछताछ की जा सकती है।
इसके साथ ही, पनामा पेपर लीक में नाम आने के बाद बच्चन परिवार के बारे में कई रिपोर्ट सामने आईं हैं, जिनके मुताबिक अमिताभ बच्चन को चार कंपनियों का डायरेक्टर बनाया गया था। इनमें से तीन बहामास में थीं, जबकि एक वर्जिन आइलैंड्स में थी। जिन्हें साल 1993 में बनाया गया। इन कंपनियों की कैपिटल 5 हजार से 50 हजार डॉलर के बीच थी, लेकिन ये कंपनियां उन शिप्स का कारोबार कर रही थीं, जिनकी कीमत करोड़ों में थी।
सुत्रों की माने तो, अभिनेत्री ऐश्वर्या को पहले एक कंपनी का डायरेक्टर बनाया गया था, लेकिन बाद में उन्हें कंपनी का शेयर होल्डर डिक्लेयर कर दिया गया। कंपनी का नाम ‘अमिक पार्टनर्स प्राइवेट लिमिटेड’ था। जिसका हेडक्वार्टर वर्जिन आइलैंड्स में था। इसके साथ ही, ऐश्वर्या के अलावा उनके पिता के. राय, मां वृंदा राय और भाई आदित्य राय भी कंपनी में उनके पार्टनर थे। यह कंपनी साल 2005 में बनाई गई। और तीन साल बाद 2008, में यह कंपनी बंद हो गई थी।
सरकार ने पनामा पेपर्स और इसी तरह के वैश्विक टैक्स लीक मामलों की जांच की निगरानी के लिए केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के अध्यक्ष के अधीन केंद्रीय जांच एजेंसियों का एक बहु-एजेंसी समूह (एमएजी) बनाया था, जिसमें ईडी, भारतीय रिजर्व बैंक और वित्तीय खुफिया इकाई (एफआईयू) के अधिकारी भी शामिल हैं. इसने हाल ही में कहा था कि एक अक्टूबर, 2021 तक पनामा और पैराडाइज पेपर लीक में मामले में भारत से जुड़ी 930 हस्तियों/संस्थाओं के संबंध में कुल 20,353 करोड़ रुपये के अघोषित क्रेडिट का पता चला है ।