कारगिल : वो शहीद जो ‘माधुरी’ का नाम लेकर और ‘ये दिल मांगे मोर’ कहकर पाकिस्तानी सेना पर टूट पड़ा
नई दिल्ली – आज हम कारगिल के उस वॉर हीरो की कहानी बताने जा रहे हैं जिसे पाकिस्तानियों ने ‘शेरशाह’ नाम दिया था। हम बात कर रहे हैं 9 सितम्बर, 1974 को जन्में कैप्टन विक्रम बत्रा की। जिन्होंने महज 22 साल की उम्र में कारगिल वॉर के दौरान पाकिस्तान के होश उड़ा दिये थे। Captain vikram batra hero of kargil war. कैप्टन विक्रम बत्रा देश के वो सिपाही थे जिसने कारगिल के दौरान पांच सबसे इंपॉर्टेंट पॉइंट पर जीत दिलाने में सबसे अहम रोल निभाया था। कैप्टन विक्रम बत्रा वो शख्स थें जिनके बारे में खुद भारतीय सेना के चीफ ने कहा था – अगर वो कारगिल से जिंदा वापस आता, तो इंडियन आर्मी का हेड होता।
‘ये दिल मांगे मोर’ कहकर पाक सैनिकों पर टूट पड़े थे विक्रम बत्रा :
विक्रम बत्रा के बारे में बताते हुए उनके एक मित्र ने एक वाकया सुनाया – कारगिल में पाकिस्तानी घुसपैठियों ने लड़ाई के दौरान चिल्लाया, ‘हमें माधुरी दीक्षित दे दो। हम नरमदिल हो जाएंगे।’ उनकी इस बात पर कैप्टन विक्रम बत्रा ने मुस्कुराते हुए और AK-47 से फायर करते हुए कहा – ‘ये लो माधुरी दीक्षित के प्यार के साथ’ और कई पाकिस्तानी सैनिकों को मार गिराया। कोल्ड ड्रिंक कंपनी पेप्सी का पंच लाइन ‘ये दिल मांगे मोर’ तो आपको याद ही होगा। दरअसल, 20 जून 1999 को कैप्टन बत्रा ने कारगिल की प्वाइंट 5140 से पाक सैनिकों को वहां से खदेड़ने में सफल हो गए। इस जीत के बाद उन्होंने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा था, ‘ये दिल मांगे मोर।’
परमवीर चक्र पाने वाले आखिरी सैनिक हैं कैप्टन बत्रा :
कैप्टन बत्रा ने चंडीगढ़ से अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद इंडियन मिलिट्री एकेडमी में दाखिला लिया। इसके बाद वो लेफ्टिनेंट के तौर पर भारतीय सेना के कमीशंड ऑफिसर बने और फिर कैप्टन बनकर कारगिल युद्ध में 13 जम्मू एवं कश्मीर राइफल्स को लीड किया। कारगिल वॉर के दौरान कैप्टन बत्रा प्वाइंट 4875 से पाक सैनिकों को खदेड़ने की कोशिश में घायल हुए अपने साथियों को वापस ला रहे थे, उसी समय दुश्मन की गोली का निशाना बन गए। कारगिल वॉर में उनके सराहनीय योगदान के लिए उन्हें परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया। कैप्टन बत्रा परमवीर चक्र पाने वाले आखिरी सैनिक हैं।
पाकिस्तानी सैनिको के लिए काल थे कैप्टन विक्रम बत्रा :
आज परमवीर चक्र विजेता कैप्टन विक्रम बत्रा की 18वीं पुण्यतिथि है। करगिल के हीरो रहे कैप्टन विक्रम बत्रा के बलिदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता। उनसे जुड़ी सैकड़ों यादें आज भी उनके साथी सुनाते हैं। पाकिस्तानी सेना में उनका इतना खौफ था कि वो उन्हें शेरशाह करहकर बुलाते थे। करगिल वॉर में विजय के बाद उनके द्वारा लगाया गया नारा ‘ये दिल मांगे मोर’ आज भी हर हिंदुस्तानी के जेहन में ताजा है। ये नारा उन्होंने श्रीनगर-लेह मार्ग में स्थित सबसे अहम चोटी 5140 पर जीत के बाद एक रेडियो के जरिए दिया था, जो आज भी काफी लोकप्रिय है।
कारगिल वॉर हीरो शहीद कैप्टन विक्रम बत्रा के जीवन पर आधारित शेरशाह फिल्म बनी है। इस फिल्म में सिद्धार्थ मल्होत्रा ने विक्रम बत्रा की भूमिका निभाई है। ये फिल्म दर्शकों को काफी पसंद आई।