अब दुश्मनो को दिखाई नहीं देंगे भारतीय जवान, सेना के जवानों को पसंद आ रहा छलावरण जाल
भारतीय सेना देश की आंतरिक और बाहरी आक्रमण से सुरक्षा के लिए आए दिन यहां-वहां स्पेशल कैम्प या फिर ऑपरेशन चलाती रहती है। जी हां कई बार ये ऑपरेशन जंगल में तो कई बार रेगिस्तान या फिर बर्फीले क्षेत्रों में चलाए जाते हैं। गौरतलब हो कि सेना की ओर से चलाए जाने वाले इन स्पेशल आपरेशन के दौरान अब हमारे जवान दुश्मनों को आसानी से चकमा देने में सक्षम होंगे और दुश्मन का रडार भी जवानों की मौजूदगी को नहीं भांप पाएगा।
जी हां आप एकदम सही पढ़ रहे है और ये सब संभव हो पाया है छलावरण जाल प्रणाली (सिंथेटिक नेट कामा फ्लैग) से। गौरतलब हो कि ट्रूप कंफट्स लिमिटेड कानपुर की इकाई आयुध उपस्कर निर्माणी (ओईएफ) में तैयार हो रहे इस आधुनिक उत्पाद की मांग बढ़ी है और जिसकी वज़ह से फैक्ट्री में उत्पादन में भी इजाफा हुआ है।
कैसे काम करती है ये जाल प्रणाली…
इतना ही नहीं उत्पादन से जुड़े जानकारों की मानें, तो यह जाल आर्मी टेंट के ऊपर डाल दिया जाता है। जाल में लगा ङ्क्षसथेटिक फैब्रिक रडार से निकलने वाली तरंगों को बिखरा देता है। जिसकी बदौलत यह दुश्मनों की नजर से आसानी से बच जाता है। गौरतलब हो कि ओईएफ कानपुर में टेंट के साइज का जाल आठ घंटे में तैयार किया जाता है और एक जाल के अंदर 12 जवान और आधुनिक हथियार सुरक्षित रह सकते हैं।
क्या है इस छलावरण जाल की खासियत ?…
वहीं अब बात छलावरण जाल की खासियत की करें तो सर्विलांस के लिए निकलने वाली इंफ्रारेड किरणों को यह परिवर्तित कर देता है, जिससे जाल से ढकी चीजें काली दिखने लगती हैं और इन परिस्थितियों में दुश्मन उस स्थान पर सेना के जवानों व हथियारों का पता नहीं लगा पाते।
जवानों को गर्मी का एहसास दिलाएगा बुखारी …
वहीं सियाचिन, चीन के बार्डर में माइनस 30 से माइनस 50 डिग्री तापमान पर देश की रक्षा कर रहे जवानों को बुखारी उपकरण गर्माहट देंगे। सेना, बीएसएफ, सीआरपीएफ, पैरामिलिट्री फोर्स में इसकी मांग बढ़ी है। ओईएफ में हर माह तीन से चार हजार उपकरण बन रहे हैं। स्पेस हीटिंग डिवाइस बुखारी को अग्निरोधी टेंट के अंदर लगाया जाता है। सौर ऊर्जा से इसकी बैटरी चार्ज होती है, जो आठ घंटे तक अग्निरोधी टेंट को गरम रख सकती है।
इसके अलावा बता दें कि ओईएफ में तैयार फिसलन रोधक जूतों की गुणवत्ता बढ़ जाने से वायुसेना नेे 10 हजार से अधिक जूतों का आर्डर दिया जाता है। गौरतलब हो कि आधिकारिक सूत्रो के मुताबिक, महज 610 ग्राम का जूता हवाई जहाज में चढ़ते-उतरते समय फिसलने से बचाता है और चार से 50 डिग्री तक के तापमान पर वायु सैनिकों को आराम देते हैं।
आख़िर में बता दें कि आजादी का अमृत महोत्सव के अंतर्गत ग्लाइडर्स इंडिया कंपनी की इकाई आर्डनेंस पैराशूट फैक्ट्री, स्माल आम्र्स फैक्ट्री, आर्डनेंस फैक्ट्री, फील्ड गन फैक्ट्री, ट्रूप कंफट्र्स लिमिटेड की इकाई ओईएफ व हिंदुस्तान एयरोनाटिक्स लिमिटेड की ओर से लगाई गई प्रदर्शनी के चौथे दिन गुरुवार को बड़ी संख्या में लोग जुटे।
इतना ही नहीं अर्मापुर स्टेट के आरमारीना स्टेडियम में विद्यार्थियों ने द्वितीय विश्वयुद्ध की तोप से लेकर आधुनिक सारंग एवं धनुष, टी72 टैंक, अर्जुन टैंक, एलएफजी, पिनाका राकेट व छोटे हथियारों को देखा और इस अवसर पर कई गणमान्य उपस्थित रहें ।