अब कर्नाटक सरकार ला रही धर्मांतरण पर कठोर क़ानून, 10 साल तक की होगी सज़ा
धर्मांतरण कराने वालों की अब कर्नाटक में ख़ैर नहीं। राज्य सरकार ला रही क़ानून...
लगातार देश के भीतर धर्मांतरण को लेकर बहस चल रही है। जी हां कई राज्य इसपर क़ानून बनाने की दिशा में बढ़ चुके हैं तो कई राज्यों में इसको लेकर चर्चा चल रही है। वहीं अब इस दिशा में कर्नाटक की भाजपा सरकार ने भी अपने कदम बढ़ा दिए हैं। गौरतलब हो कि कर्नाटक सरकार ने धर्म परिवर्तन को रोकने के लिए एक विधेयक तैयार किया है।
जिसे ‘कर्नाटक धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार संरक्षण विधेयक- 2021’ नाम दिया गया है। बता दें कि इस विधेयक में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति से आने वाले लोगों, नाबालिगों और महिलाओं के दूसरे धर्म में जबरन धर्मांतरण के लिए अधिकतम 10 साल की कैद की सजा का प्रावधान किया गया है।
वहीं मालूम हो कि यह क़ानून कर्नाटक सरकार राज्य के सीमावर्ती जिले बेलगावी में 13 दिसंबर से शुरू हुए इसी विधानसभा के शीतकालीन सत्र में लाने जा रही है। सूत्रों की मानें तो नए कानून में जबरन धर्मांतरण में शामिल आरोपियों को 10 साल तक की सजा का प्रावधान होगा। वहीं नया कानून धर्म परिवर्तन से पहले एक मजिस्ट्रेट के समक्ष घोषणा को भी अनिवार्य बनाएगा। इसके अलावा कानूनी जरूरत पड़ने पर अधिकारियों को पुलिस जांच करने की भी गुंजाइश देगा।
गौरतलब हो कि इस कानून को लेकर सत्तारूढ़ भाजपा ने कई बैठकों का आयोजन भी किया। ताकि प्रस्तावित कानून की वैधता की जांच की जा सकें। वहीं बुधवार रात को विधायक दल की हुई बैठक में भाजपा ने यह निर्णय लिया कि मौजूदा सत्र के दौरान सदन में प्रस्तावित विधेयक पेश किया जाएगा।
इसके अलावा धर्मांतरण विरोधी कानून से जुड़े विधेयक को तैयार कर रहे गृह मंत्रालय के मंत्री अरागा ज्ञानेंद्र ने विधेयक को अंतिम रूप देने के लिए कानून और संसदीय मामलों के मंत्री जे सी मधुस्वामी के साथ बैठक की और बाद में राज्य के मुख्य सचिव ने भी गृह सचिव और संसदीय मामलों के सचिव के साथ बैठक की और प्रस्तावित विधेयक पर चर्चा की गई।
वहीं सरकार के सूत्रों की मानें तो विधेयक में धर्मांतरण के लिए दी जाने वाली सजा को लेकर अभी भी मतभेद हैं। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक अंतिम निर्णय राज्य मंत्रिमंडल के विवेक पर छोड़ने का फैसला किया है और जो जल्द ही विधेयक को सदन में पेश किए जाने से पहले इसे देखेगी। इसके साथ ही साथ यह खबर भी निकलकर आ रही कि अभी विधेयक में धर्मांतरण के लिए सजा को लेकर अंतिम फैसला नहीं किया गया है।
बता दें कि भाजपा सरकार द्वारा प्रस्तावित इस धर्मांतरण विरोधी कानून के अनुसार गलत बयानी, बलप्रयोग, धोखाधड़ी, अनुचित प्रभाव, जबरदस्ती, प्रलोभन या विवाह के लिए धर्म परिवर्तन किया जाना निषिद्ध है। साथ ही इस विधेयक में यह भी कहा गया है कि कोई भी व्यक्ति इन तरीकों से धर्म परिवर्तन करने का प्रयास नहीं करेगा और अगर कोई व्यक्ति उकसाएगा या इसकी साजिश करेगा।
तो उसे भी सजा भुगतने के लिए तैयार रहना होगा। इसके अलावा प्रस्तावित कानून के मुताबिक धर्मांतरण की शिकायत धर्म परिवर्तन करने वाले व्यक्ति के परिवार के सदस्यों द्वारा की जा सकती है या उसके संबंधी व्यक्ति के द्वारा भी की जा सकती है।
वहीं आख़िर में बता दें कि सामान्य वर्ग के लोगों के धर्मांतरण के मामले में तीन साल से पांच साल की जेल और 25,000 रुपये के जुर्माने का प्रस्ताव रखा गया है। जबकि नाबालिगों, महिलाओं, एससी और एसटी समुदायों के व्यक्तियों के धर्म परिवर्तन के मामले में तीन से दस साल की जेल की सजा और 50,000 रुपये का जुर्माना लगाने का प्रावधान किया गया है।