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खराब विमान को भी आसानी से लैंड कर देते थे कैप्टन वरुण, सलामती के लिए देश कर रहा है प्रार्थना

तमिलनाडु में कुन्नूर के पास हुए हेलीकाप्टर हादसे में मारे गए जनरल बिपिन रावत और अन्य जवानों को कल (10 दिसंबर) अंतिम विदाई दी गई। उनके अंतिम संस्कार में शामिल हर आंख नम दिखाई दी। इस हादसे में भोपाल के ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह भी शामिल थे।

ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह डिफेंस सर्विसेज स्टॉफ कॉलेज वेलिंगटन के डायरेक्टिंग स्टाफ, हेलीकाप्टर हादसे के एकमात्र जीवित अफसर है। वे इस हादसे में गंभीर रूप से घायल हुए हैं। उनका मिलिट्री अस्पताल वेलिंगटन में इलाज चल रहा है। कैप्टन के गंभीर रूप से घायल होने की सूचना मिलते ही पिता कर्नल केपी सिंह और मां उमा सिंह कुन्नूर पहुँच चुके हैं।

कैप्टन वरुण सिंह के घायल होने से दुखी हैं पड़ोसी

varun singh

कैप्टन वरुण सिंह का परिवार भोपाल की एयरपोर्ट रोड स्थित सनसिटी कॉलोनी के इनरकोर्ट अपार्टमेंट की 5वीं मंजिल पर रहता है। कैप्टन के घायल होने की खबर से आसपास के रहवासी भी बेहद दुखी हैं। वे गंभीर रूप से घायल शौर्य चक्र विजेता ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह के जल्दी ठीक होने की प्रार्थना कर रहे हैं। लगभग दो हफ्ते पहले ही वरुण सिंह भोपाल आए थे। वे यहां 10 दिन तक रहे थे।

इस दौरान पड़ोसियों ने उन्हें शौर्य चक्र मिलने की शुभकामनाएं दी थी। पड़ोसी रिटायर्ड कर्नल संजीव पंडित बताते हैं कि वरुण की शादी का रिसेप्शन भी भोपाल में ही हुआ था। इसके एक माह बाद मेरी बेटी की शादी थी तो वह रुके थे और शादी में शामिल होकर गए थे।

जिसे मिला शौर्य चक्र उससे नहीं हो सकती चूक

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पड़ोसियों का कहना है कि जिस शख्स ने फ्लाइंग कंट्रोल सिस्टम खराब होने के बावजूद 10 हजार फीट की ऊंचाई से विमान की सफल लैंडिंग करा दी थी। जिसके लिए उसे शौर्य चक्र मिला, यस शख्स से कोई चूक नहीं हो सकती है। वह डेयरडेविल हैं और जल्द स्वस्थ होकर लौट आएंगे। बताते चलें कि  वरुण के परिवार में उनकी पत्नी और एक बेटा व एक बेटी हैं।

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ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह को शौर्य चक्र गणतंत्र दिवस पर मिला था। पिछले साल आपातकालीन स्थिति में उन्होंने अपने अपने एलसीए तेजस विमान को बचाने के उपलक्ष में यह शौर्य चक्र दिया गया था। वे मूल रूप से यूपी के देवरिया जिले की रुद्रपुर तहसील के खोरमा कन्हौली गांव के रहने वाले हैं। वहीं वे कांग्रेस नेता अखिलेश प्रताप सिंह के भतीजे भी हैं।

10 हजार फीट की ऊंचाई से की थी विमान की सफल लैंडिंग

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दरअसल बात 12 अक्टूबर 2020 की है। तब वरुण तेजस के फ्लाइट कंट्रोल सिस्टम और लाइफ सपोर्ट एनवायरमेंट कंट्रोल सिस्टम में किए गए सुधारों की जांच कर रहे थे। इसी बीच अधिक ऊंचाई पर कॉकपिट का प्रेशर फैल हो गया था। इतना ही नहीं लाइट कंट्रोल सिस्टम भी पूरी तरह फैल हो गया था।

विमान तेजी से नीचे गिरने लगा था, हालांकि वरुण इन मुश्किल हालातों में घबराए नहीं और विमान को संभाला। वह खुद बचने की बजाय विमान को सफलतापूर्वक नीचे ले आए। इसी बहादुरी के चलते उन्हें शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया था।

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गौरतलब है कि कुन्नूर हेलीकाप्टर हादसा तब हुआ जब जनरल रावत को डीएसएससी में लेक्चर के लिए जाना था। ऐसे में ग्रुप कैप्टन सिंह उन्हें रिसीव करके अपने साथ ले जा रहे थे। फिलहाल अव्वल दर्जे के अधिकारी इस हेलीकाप्टर क्रेश की असली वजह पता लगाने में जुटे हुए हैं।

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