जब सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर CDS बिपिन रावत ने कहा था कि, ‘ऐसा पाप सेना में नहीं होने देंगे’
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर बिपिन रावत ने कहा था कि 'इस मामले में सेना रुढ़िवादी है, ऐसा पाप सेना में नहीं होने देंगे'
आज पूरा देश सीडीएस बिपिन रावत के असामयिक निधन से गमगीन है। सभी की आंखें नम हैं और 130 करोड़ से अधिक की आबादी अपने देश के सेनानायक के इस तरह असामयिक चले जाने से स्तब्ध है और लोगों को समझ नहीं आ रहा है कि ऐसे भी क्या कोई जाता है? इतना ही नहीं देश की जनता नम आंखों से उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित कर रही है। वहीं इसके अलावा देश उन 12 दूसरे अफसरों को भी श्रद्धांजलि दे रहा है, जो इस हेलिकॉप्टर हादसे में असमय ही मृत्यु को प्राप्त हो गए।
इसके अलावा अब हमारे बीच इन अफसरों के सिर्फ़ किस्से कहानियां हैं और एक ऐसी ही कहानी है सीडीएस बिपिन रावत की। जिसमें वो कहते हैं कि, “ऐसे पाप की इजाज़त वो सेना में नहीं देंगे।” आइए ऐसे में समझते हैं यह पूरी कहानी…
बता दें कि तमिलनाडु के नीलगिरी जिले के कुन्नूर में सेना के वरिष्ठ रक्षा अधिकारियों को ले जा रहा भारतीय वायुसेना का एक हेलिकॉप्टर बुधवार को दुर्घटनाग्रस्त हो गया। हेलिकॉप्टर में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत उनकी पत्नी समेत कुल 14 लोग सवार थे! वहीं इस भीषण हादसे में जनरल बिपिन रावत, उनकी पत्नी मधुरिमा रावत समेत हेलिकॉप्टर में सवार सभी 13 लोगों की मौत हो गई।
भारतीय सेना के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ विपिन रावत हमेशा अपने तेज तर्रार अंदाज के लिए जाने जाते रहे हैं। गौरतलब हो कि जनरल बिपिन रावत आर्मी में किसी भी तरह की दखलनदाजी बर्दास्त नहीं करते थे। ऐसे में दरअसल यह क़िस्सा है साल 2019 के जनवरी का, तब बिपिन रावत थल सेना के प्रमुख के पद पर तैनात थे।
वहीं दूसरी तरफ उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि इस मामले में सेना रुढ़िवादी है। मालूम हो कि साल 2018 के अंत में सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक सम्बन्धों को अपराध की श्रेणी से हटाने फैसला दिया था और भारतीय दंड संहिता की धारा 377 को खत्म कर दिया गया था। वहीं यह तो आप सभी को पता होगा कि कानून की यह धारा अप्राकृतिक यौन संबंध को अपराध के दायरे में लाती थी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के द्वारा इस पर यह टिप्पणी की गई कि यह धारा बराबरी के अधिकार का उल्लंघन करती है।
ऐसे में मालूम हो कि अपने सिद्धान्तों से कभी समझौता ना करने वाले तत्कालीन थल सेना प्रमुख बिपिन रावत ने जनवरी में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए इसे सेना में लागू करने से साफ इंकार कर दिया था। उन्होने कहा था कि सेना में ऐसी चीजों के लिए रोक है। सुप्रीम कोर्ट के द्वारा एडल्ट्री पर सुनाए फैसले पर बिपिन रावत ने अपत्ति जताते हुए कहा था कि, “सेना इस मामले में रुढ़िवादी है। हम ऐसे पाप की इजाजत सेना में हरगिज़ नहीं देंगे।”
करगिल युद्ध में किया था अपना शौर्य प्रदर्शन…
वहीं मालूम रहें कि 63 साल के जीवन में जनरल रावत ने कई ऐसे काम किए, जो हमेशा याद रखे जाएंगे। उरी हमले के बाद सीमा पार जाकर सर्जिकल स्ट्राइक पैरा कमांडोज ने भले ही की थी लेकिन उसके पीछे का दिमाग कहीं न कहीं जनरल रावत का ही था और अशांत इलाकों में काम करने के अनुभव को देखते हुए मोदी सरकार ने दिसंबर 2016 में जनरल रावत को दो वरिष्ठ अफसरों पर तरजीह देते हुए आर्मी चीफ बनाया था।
वहीं मणिपुर में जून 2015 में आतंकी हमले में कुल 18 जवान शहीद हो गए थे। इसके बाद 21 पैरा के कमांडो ने सीमा पार जाकर म्यांमार में आतंकी संगठन एनएससीएन के कई आतंकियों को ढेर कर दिया था। गौरतलब हो कि तब 21 पैरा थर्ड कॉर्प्स के अधीन थी, जिसके कमांडर बिपिन रावत ही थे।
यूं रावत साहब सेना में चढ़ते गए कामयाबी की सीढ़ियां…
आख़िर में बता दें कि 16 दिसंबर 1978 को जनरल बिपिन रावत बतौर सेकंड लेफ्टिनेंट सेना में भर्ती हुए थे। 1980 में वो लेफ्टिनेंट के पद पर प्रमोट हुए। उसके बाद 1984 में उन्हें सेना ने कप्तान की रैंक दी और 1989 में वह मेजर बने। फिर 1998 में वह लेफ्टिनेंट कर्नल थे। इसके बाद करगिल में युद्ध हुआ था औऱ धीरे धीरे वे आगे बढ़ते हुए 2014 में लेफ्टिनेंट जनरल के पद पर प्रमोट हुए और 1 जनवरी 2017 को मोदी सरकार ने उन्हें आर्मी चीफ का पद ऑफ़र किया था।