केंद्र की मोदी सरकार ने मानी किसानों की सभी मांगें, आज हो सकती है किसानों की घर वापसी…
केंद्र के प्रस्ताव पर संयुक्त किसान मोर्चे की मुहर, आज किसानों की हो सकती है घर वापसी....
केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार शुरुआत से ही विकास के मुद्दे को आगे लेकर बढ़ रही है। किसान का हित सरकार की पहली प्राथमिकता में है।ऐसे में अब सरकार ने किसानों के लिए एक कदम और आगे बढ़ा दिया है। जी हां कृषि कानूनों की वापसी के बाद अब न्यूनतम
समर्थन मूल्य (MSP) गारंटी कानून, आंदोलन (Farmer Protest) के दौरान किसानों पर दर्ज केसों की वापसी जैसे मुद्दों पर भी किसानों और सरकार के बीच सहमति बन गई है और शायद इसी के साथ अब विपक्ष के पास से वो सभी मुद्दे खिसकते जा रहें, जिसको लेकर वह राजनीति कर रही थी।
वहीं दूसरी तरफ बुधवार को केंद्र सरकार की ओर से भेजे गए रिवाइज ड्राफ्ट पर किसानों ने भी सहमति दे दी है जिसके बाद माना जा रहा है कि गुरुवार को सरकार की तरफ से आधिकारिक पत्र मिलते ही 14 महीनों से जारी किसान आंदोलन ख़त्म करने का ऐलान किया जा सकता है।
बता दें कि किसान नेताओं ने बताया कि अगर सरकार की तरफ से इसे मानने के लिए अधिकारिक चिट्ठी भेज दी जाएगी तो गुरुवार दोपहर 12 बजे फिर मोर्चे की मीटिंग बुलाकर किसानों की घर वापसी (Farmers agitation may end today) का ऐलान कर दिया जाएगा।
गौरतलब हो कि संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के वरिष्ठ नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने बताया कि मंगलवार को सरकार ने जो प्रस्ताव भेजा था, उस पर मोर्चा के कई नेताओं ने आपत्तियां दर्ज कराई थी। जिसे सरकार को भेज दिया गया था।
वहीं सरकार ने आगे बढ़ते हुए मोर्चा की लगभग सभी मांगें अब मान ली है और सरकार की ओर से बुधवार को भेजे गए संशोधित प्रस्ताव (नए प्रस्ताव) पर सभी नेताओं की सर्वसम्मति से आम सहमति बन गई है।
जानकारी के लिए बता दें कि सरकार नए प्रस्ताव को गुरुवार तक आधिकारिक दस्तावेज के रूप में भेजती है तो गुरुवार को ही मोर्चा की होने वाली बैठक में अंतिम निर्णण लिया जाएगा। किसान नेता युद्धवीर सिंह, अशोक, शिव कुमार कक्का आदि ने बताया कि विवादित मुद्दे समाप्त हो गए हैं।
सरकार और मोर्चा में आम राय बन गई है। वहीं अधिकांश मांगें भी मान ली गई हैं। हालांकि, लखीमपुर खीरी घटना के लिए केंद्रीय राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी की गिरफ्तारी के सवाल पर मोर्चा के नेताओं ने कोई उत्तर नहीं दिया।
हरियाणा सरकार भी मुआवजे और केस वापसी को लेकर राजी…
उधर बता दें कि हरियाणा सरकार ने भी किसानों को मुआवजे के तौर पर 5 लाख रुपए की मदद और केस वापस लेने की सहमति ज़ाहिर कर दी है। साथ ही केंद्र सरकार ने भी सभी केस वापस लेने पर सहमति दे दी है और केंद्र ने एमएसपी (MSP) कमेटी में सिर्फ मोर्चे के नेताओं को रखने की बात भी मान ली है।
सरकार के नए प्रस्ताव में किस बात का है उल्लेख…
1) गौरतलब हो कि एमएसपी कमेटी में केंद्र और एसकेएम के प्रतिनिधि होंगे। कमेटी तीन महीने में रिपोर्ट देगी, जो किसानों को एमएसपी किस तरह मिले, यह तय करेगी। वहीं वर्तमान में जो राज्य जिस फसल पर एमएसपी पर जितनी खरीद कर रहे हैं, वह जारी रहेगी।
2) सभी केस तत्काल प्रभाव से वापस लिए जाएंगे। उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश और हरियाणा सरकार ने इसके लिए अपनी-अपनी सहमति जता चुकी हैं। वहीं केंद्र सरकार, रेलवे और अन्य दिल्ली सहित केंद्रशासित प्रदेशों की तरफ से दर्ज केस भी तत्काल वापस लिए जाएंगे। राज्यों को केंद्र सरकार भी अपील करेगी।
3) हरियाणा और उत्तर प्रदेश ने पंजाब की तरह मुआवजा देने पर सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है। बिजली बिल पर किसानों के ऊपर असर डालने वाले प्रावधानों पर एसकेएम से चर्चा होगी। वहीं उससे पहले इसे संसद में पेश नहीं किया जाएगा।
4) पराली को लेकर केंद्र सरकार के कानून की धारा 15 में जुर्माने के प्रावधान से किसान इस प्रावधान के तहत मुक्त होंगे।