शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष हैं वसीम रिजवी अक्सर इस्लाम के खिलाफ बोलकर चर्चा में रहते हैं। उनके दिए बयान आए दिन विवाद का रूप भी ले लेते हैं। अब वसीम रिजवी ने एक और स्टेप आगे जाकर इस्लाम पूरी तरह छोड़ दिया है। अब वे एक हिंदू बन गए हैं। दरअसल उन्होंने अपना धर्म परिवर्तित कर लिया है। वे मुस्लिम से हिंदू बन गए हैं। अब वह वसीम रिजवी की बजाय जितेंद्र नारायण त्यागी के नाम से जाने जाएंगे।
हिंदू बन गए वसीम रिजवी
दरअसल वसीम रिजवी ने 6 नवंबर सोमवार को उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद स्थित डासना देवी मंदिर में अपना धर्म बदल लिया। इसके लिए मंदिर के महंत यति नरसिंहानंद गिरि ने अनेक अनुष्ठान किए। धर्म बदलने के बाद वसीम रिजवी ने बयान दिया कि अब से यह सिर्फ हिंदुत्व के लिए काम करेंगे।
हिंदुओं को हराने के लिए वोट करता है मुसलमान
उन्होंने ये भी कहा कि मुसलमानों का वोट किसी भी सियासी पार्टी को नहीं जाता है। मुसलमान सिर्फ हिंदुत्व के खिलाफ और हिंदुओं को हराने के लिए वोट करता है। इस बात पर रोशनी डालते हुए वे बोले “मुगलों ने हमेशा परंपरा दी हिंदुओं को हराओ। जिस पार्टी द्वारा हिंदुओं को हराया जाता है, मुसलमान एकसाथ मिलकर उसे ही वोट देते हैं। मुसलमान सिर्फ और सिर्फ हिंदुओं को हराने के लिए वोट करता है।”
15 दिन पहले बना लिया था हिंदू बनने का मन
वसीम रिजवी का धर्म परिवर्तन करने वाले नरसिंहानंद गिरि बताते हैं कि “मुझे कर्ब 15 दिन पहले वसीम रिजवी का फोन आया था। उन्होंने मुझ से धर्म परिवर्तन की इच्छा जाहीर की थी। मैं उनकी बात सुन दंग रह गया। मुझे यकीन नहीं हुआ कि एक मुसलमान मुझे कॉल कर रहा है। दरअसल मेरा मुसलमानों से कोई संपर्क नहीं रहता है।”
मानवतावादी और दिलेर व्यक्ति हैं वसीम रिजवी
महंत नरसिंहानंद ने आगे कहा कि “वसीम रिजवी ने मुझे जानकारी दी कि उन्होंने एक किताब लिखी है। उसका विमोचन होना है। उनसे (वसीम से) बात कर मुझे अच्छा लगा। मुझे एहसास हुआ कि वसीम कितने मानवतावादी और दिलेर व्यक्ति हैं। हिंदुओं को चाहिए कि हम तन, मन और धन से वसीम रिजवी का साथ दें।”
सभी धर्मों में हिन्दुत्व बेस्ट है
शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन वसीम रिजवी ने मीडिया से बातचीत के दौरान हिंदुत्व को सभी धर्मों में बेस्ट बताया। वहीं उन्होंने कहा कि इस्लाम कोई धर्म नहीं है बल्कि एक आतंकी संगठन है। सनातन धर्म यानि हिंदुत्व ही सबसे बेहतर है।
वसीम रिजवी के मुसलमान से हिंदू बनने के बाद की मुसलमान उनसे नाराज हैं। वहीं हिंदू उनका इस नए धर्म में स्वागत कर रहे हैं। उन्हें बधाई संदेश दे रहे हैं।