जीवन में धनवान बनने के लिए और ढेरों लाभ पाने के लिए चातुर्मास में करें ये काम!
हिन्दू धर्म शास्त्रों के अनुसार चातुर्मास में देवकार्य अधिक लिए जाते हैं। इस महीने में विवाह का कार्यक्रम नहीं किया जाता है। इन दिनों में मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा दिवस तो मनाये जाते हैं, लेकिन इन दिनों में नई मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा और नई मूर्तियों का निर्माण कार्य नहीं होता है। इन दिनों में धार्मिक अनुष्ठान, श्रीमद्भागवत ज्ञान यज्ञ, हवन के काम किये जाते हैं।
भगवान विष्णु को पान-सुपारी जरुर करें अर्पित:
सावन के महीने में सभी मंदिरों में हरि कीर्तन, भजन और जागरण के कार्य अधिक किये जाते हैं। प्रातःकाल जागकर अपनी सभी नित्य क्रियाओं से निवृत होकर भगवान विष्णु को पीला वस्त्र ओढ़ाकर धूप, दीप, नेवैद्य और फलों से विधिवत पूजा करनी चाहिए। भगवान विष्णु की पूजा करते समय विशेष रूप से पान और सुपारी जरुर अर्पित करनी चाहिए।
पुन्य पाने के लिए चातुर्मास में करें ये काम:
*- ऐसा कहा जाता है कि जो भी व्यक्ति इन चार महीनों में मंदिर में झाड़ू लगाता है और धोकर सफाई करता है। तथा कच्चे स्थान को गोबर से लीपता है वह सात जन्मों तक ब्राह्मण योनी में पैदा होता है।
*- जो भी व्यक्ति भगवान को दूध, दही, घी, मिश्री और शहद से स्नान करवाता है उसे स्वर्ग की प्राप्ति होती है।
*- जो व्यक्ति भगवान की धूप, दीप, नेवैद्य से पूजा करता है, वह अक्षय सुख भोगता है।
*- ऐसा कहा जाता है कि भगवान की तुलसी दल या तुलसी मंजरियों से पूजा करने और सोने की तुलसी ब्राह्मण को दान करने वाले व्यक्ति को परमगति की प्राप्ति होती है।
*- भगवान को गूगल की धूप और दीप अर्पण करने वाला व्यक्ति हमेशा धनवान बना रहता है।
*- वर्ष ऋतु में जो व्यक्ति गोपीचंद का दान करता है उसे जीवन में सभी प्रकार के सुख भोगने का मौका मिलता है और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।
*- जो व्यक्ति भगवान गणेश और सूर्यदेव की पूजा करते हैं, उन्हें उत्तम गति की प्राप्ति होती है। जो व्यक्ति शक्कर का दान करते हैं, उन्हें यशस्वी संतान प्राप्त होती है।
*- इन दिनों माता लक्ष्मी और पार्वती को प्रसन्न करने के लिए चाँदी से बने पात्र में हल्दी भरकर दान करनी चाहिए। भगवान शंकर को प्रसन्न करने के लिए बैल का दान करना अच्छा होता है।
*- जो व्यक्ति इन दिनों में फलों का दान करते हैं उन्हें नंदन वन का सुख मिलता है।
*- इन दिनों में आँवले मिले हुए पानी से स्नान करना और मौन रहकर भोजन ग्रहण करना शुभ होता है।