दो महीने बाद जब इस प्रख्यात मंदिर के खुले भंडार। फ़िर निकले 5 करोड़ 94 लाख से ज्यादा के कैश…
मेवाड़ के सॉंवलिया जी मंदिर की विशेष है कहानी। यहां चढ़ावे में आती है अकूत धन-संपत्ति
भदेसर (चित्तौड़गढ़)! मेवाड़ का प्रख्यात कृष्णधाम श्री सांवलिया जी मंदिर किसी परिचय का मोहताज़ नहीं। यहां हर महीने करोड़ों श्रद्धालु श्रीसांवरा सेठ के दर्शन के लिए आते हैं। बता दें कि प्रख्यात कृष्णधाम श्री सांवलियाजी मंदिर राजस्थान के साथ ही साथ पूरे देश में काफ़ी विख्यात है। जी हां इस मंदिर का अपना एक इतिहास है और यह मंदिर चढ़ावे वग़ैरह के मामले में भी काफ़ी आगे है। बता दें कि इस मंदिर का अपना एक पौराणिक इतिहास भी है और इस मंदिर में आने वाले भक्त यहां दिल खोलकर चढ़ावा चढ़ाते हैं।
गौरतलब हो कि इस मंदिर में दो माह बाद चतुर्दशी पर शुक्रवार को जब भंडार के द्वार खुले तो क़रीब भंडार से 5 करोड़ 94 लाख 5 हजार 300 रुपए की राशि निकली है। वहीं मंदिर मंडल कार्यालय में भेंट स्वरूप 2 करोड़ 03 लाख से ज्यादा की राशि अलग से प्राप्त हुई हैं। बता दें कि वहीं मंदिर मंडल कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार सांवलिया जी मंदिर का भंडार दीपावली की वजह से उस चतुर्दशी पर नहीं खोला जाता है और यह वर्षों की परंपरा रही है।
वहीं जब शुक्रवार को दो माह बाद भंडार खोले गए तो भंडार से बड़ी राशि निकली है जबकि शेष 6 बोरों में भरे हुए नोटों व रेजकारी की गणना बाकी है। मालूम हो कि चढ़ावे के रूप में भंडार तथा मंदिर कार्यालय में प्राप्त आभूषण का तोल भी बाकी है। ऐसे में सहज अंदाज़ा लगा सकते हैं कि इस मंदिर को चढ़ावा किस बेहिसाब तरीके से मिलता है और यहां आने वाले भक्तों की संख्या कितनी अधिक होगी।
वहीं मालूम हो कि इस बार मंदिर मंडल के सीईओ की अनुपस्थिति में उपखंड अधिकारी अंजू शर्मा, मंदिर मंडल अध्यक्ष कन्हैयादास वैष्णव, भैरू लाल गाडरी, भैरू लाल जाट, भैरुलाल सोनी के अलावा मंदिर मंडल के प्रशासनिक अधिकारी कैलाश चंद्र दाधीच, रोकडिय़़ा नंदकिशोर टेलर, गोशाला प्रभारी कालू लाल तेली, संपदा प्रभारी राजेंद्र शर्मा, लहरी लाल गाडरी के अलावा मंदिर मंडल के विभिन्न प्रभारियों के साथ ही मंदिर के कार्मिक व बैंक कर्मियों ने नोटों की गणना की।
इसके अलावा इस बार शनि अमावस्या का योग मिला है इस वजह से श्रद्धालुओं की रिकॉर्ड भीड़ भी आने की संभावना है।
जानिए प्राकट्य स्थल मंदिर के भंडार के बारे में…
वहीं मालूम हो कि सांवलियाजी चौराहे स्थित प्राकट्य स्थल मंदिर में भी दो माह के बाद खोले गए भंडार से लगभग 38 लाख 50 हजार 340 रुपए की राशि प्राप्त हुई है और इन नोटों की गिनती के वक्त उपाध्यक्ष बाबूलाल ओझा, मंत्री शंकर लाल जाट, इंद्रमल उपाध्याय, जीएल मीणा के अलावा मंदिर कार्मिक व बैंक कर्मी उपस्थित थे।
क्या है सॉंवलिया जी की कहानी…
बता दें कि भगवान श्री साँवलिया जी का संबंध मीरा बाई से बताया जाता है। किवदंतियों के अनुसार साँवलिया जी मीरा बाई के वही गिरधर गोपाल है जिनकी वह पूजा किया करती थी। वहीं मीरा बाई संत महात्माओं की जमात में इन मूर्तियों के साथ भ्रमणशील रहती थी। ऐसी ही एक दयाराम नामक संत की जमात भी थी जिनके पास ये मूर्तियां थी।
कहा जाता है कि जब औरंगजेब की मुग़ल सेना मंदिरो को तोड़ रही थी तो मेवाड़ राज्य में पहुँचने पर मुग़ल सैनिको को इन मूर्तियों के बारे में पता लगा तो संत दयाराम जी ने प्रभु प्रेरणा से इन मूर्तियों को बागुंड-भादसौड़ा के खुले मैदान में एक वट-वृक्ष के नीचे गड्ढा खोद के गाड़ दिया और फिर समय बीतने के साथ संत दयाराम जी परलोकवासी हो गए।