ओडिशा में साल का तीसरा तूफ़ान, अब ‘जवाद’ जिस के डर से किसान समय से पहले ही फसल काटने लग गए
भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) के मुताबिक आज यानी 3 दिसंबर को मध्य बंगाल की खाड़ी के ऊपर चक्रवाती तूफान के बनने की संभावना है। जी हां इस चेतावनी के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बंगाल की खाड़ी से उठने वाले चक्रवाती तूफान ‘जवाद’ से निपटने की राज्यों, केंद्र सरकार के मंत्रालयों और संबंधित एजेंसियों की तैयारियों पर उच्च स्तरीय बैठक में समीक्षा की और अधिकारियों को जान-माल की सुरक्षा सुनिश्चित करने के निर्देश भी दिए।
बता दें कि ऐसी आशंका जताई जा रही है कि चक्रवात आंध्र प्रदेश, ओडिशा और पश्चिम बंगाल के तटीय इलाकों को प्रभावित कर सकता है।
वहीं मालूम हो कि इस वर्ष का यह साधारणतया तीसरा तूफान है। इसके पहले मई में ‘यास’ और सितंबर में ‘गुलाब’ तूफान का सामना ओडिशा कर चुका है। जिसके बाद अब ये तूफान ओडिशा के सामने है और यह तूफ़ान तेज़ी के साथ पूर्वी तट की तरफ बढ़ रहा है। गौरतलब हो कि ‘जवाद’ तूफान के डर से जहां एक तरफ़ किसान समय से पहले ही अपनी फसल को काटने लग गए हैं।
वहीं दूसरी तरफ़ भारी नुकसान की संभावना इस तूफान से की जा रही है और तो और इस सप्ताह के अंत तक चक्रवाती तूफान जवाद के आने के अनुमान के साथ ही राज्यभर के किसान धान की फसल को समय से पहले काटकर उसे सुरक्षित कर लेना चाहते हैं।
बता दें कि मौसम विभाग के मुताबिक दक्षिण अंडमान सागर में बनने वाला निम्न दबाव का क्षेत्र तेज हो जाएगा और 4 दिसंबर को चक्रवाती तूफान के रूप में ओडिशा तट की ओर बढ़ जाएगा। वहीं चक्रवाती तूफान को देखते हुए ओडिशा की नवीन पटनायक सरकार ने 13 जिलों के कलेक्टर को आपदा की स्थिति में निचले इलाकों में रहने वाले लोगों को वहां से हटाने को लेकर तैयार रहने की बात कही है।इतना ही नहीं चक्रवात तूफान की वजह से किसान धान की अपनी अधपकी फसल को भी काटने के लिए विवश है।
मालूम हो कि बालासोर जिले के रहने वाले एक किसान ने एक मीडिया संस्थान से बात करते हुए कहा कि, “पहले यास, फिर कटाई के समय से पहले बेमौसम बारिश और अब फिर से एक चक्रवाती तूफान। हमें इन झटकों से कम ही उबरने का समय मिला है। धान अभी भी पूरी तरह से पकना बाकी है लेकिन हम इसे जल्दी काटने को मजबूर हैं।” वहीं एक अन्य किसान के मुताबिक एक के बाद एक आ रही प्राकृतिक आपदा की वजह से हो रहे फसल की क्षति किसानों को भारी कर्ज में डूबा देगी। वहीं इस साल उत्पादन आम तौर पर होने वाले उत्पादन से क़रीब 40 फीसदी कम होने की संभावना है।
बता दें कि बालासोर की तरह ही उड़ीसा के दूसरे जिलों में भी यही सूरते हाल है। फसलों को क्षति से बचने के लिए किसान तय मूल्य से काफी कम दामों में ही अपने उत्पाद को बेचने को तैयार हैं। वहीं मौजूदा वर्ष के लिए सरकार ने धान का खरीद मूल्य 1940 रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित किया है। लेकिन किसान अपनी उपज को 900 से 1000 रुपये प्रति क्विंटल पर बेचने को मजबूर हैं जिसकी वजह से उन्हें काफी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है।
कब और कहां आएगा तूफान ‘जवाद’…
बता दें कि आईएमडी के अनुसार, चक्रवाती तूफान के उत्तर-पश्चिम की ओर बढ़ने और तेज होने और 4 दिसंबर की सुबह के आसपास उत्तरी आंध्र प्रदेश और ओडिशा के तटों के पास पहुंचने की संभावना है। वहीं आईएमडी ने 4 दिसंबर की शाम से आंध्र प्रदेश के उत्तर तटीय और ओडिशा में दक्षिण तटीय अलग-अलग स्थानों पर भारी वर्षा के साथ कई स्थानों पर हल्की वर्षा की भविष्यवाणी की है।
चक्रवात तूफान का नाम ‘जवाद’ कैसे पड़ा?…
गौरतलब हो कि जवाद नाम सऊदी अरब के सुझाव के मुताबिक है और अरबी में इसका अर्थ उदार या दयालु होता है। ऐसे में अपने नाम के मुताबिक इस तूफान से कम तबाही की उम्मीद जताई जा रही है।