आपकी अचल संपत्ति पर कर लें कोई कब्ज़ा, फ़िर लें इन क़ानूनों का सहारा। जानिए…
इन क़ानूनी उपायों से पा सकते हैं अपनी अतिक्रमण हुई सम्पत्ति वापस। जानिए...
आजकल अतिक्रमण या कब्ज़ा करना आम बात हो चली है। जी हां वर्तमान दौर में घर, रोजगार और जमीन अतिक्रमण के बढ़ते मामलों के मुख्य कारणों में से एक हैं। इतना ही नहीं झुग्गी और बस्तियां इस चीज का सबसे बेहतर उदाहरण हैं कि कैसे शहर में रहने वाले गरीब लोग अतिक्रमण के जरिए घर की जरूरत को पूरा कर रहे हैं।
वहीं जब हम बात किसी अचल संपत्ति की कर रहें हैं। फिर ऐसे में संपत्ति पर कब्जा उसके मालिक का होना बेहद ही जरूरी और एक कानूनी अधिकार भी है। फ़िर भी किसी भी संपत्ति के मालिक को यह अधिकार प्राप्त होता है कि उसकी संपत्ति पर कब्जा उसकी इच्छा के विपरीत नहीं होना चाहिए। किसी भी व्यक्ति को उसकी संपत्ति से उसकी इच्छा के विरुद्ध बेदखल नहीं किया जा सकता।
फ़िर भी वर्तमान दौर में अनेक ऐसे मामले देखने को मिलते हैं। जहां किसी किराएदार को, किसी पट्टेदार को या किसी अन्य हैसियत से संपत्ति पर कब्जा रखकर बैठे व्यक्ति को संपत्ति से बेदखल कर दिया जाता है और उसे संपत्ति से बेदखल किसी कानूनी प्रक्रिया के माध्यम से नहीं किया जाता अपितु एक गैर वैधानिक रूप से उसे संपत्ति से बेदखल कर दिया जाता है। ऐसे में आइए जानते हैं इस विषय में क्या कहता है भारतीय कानून और अगर कोई जबर्दस्ती कब्ज़ा कर लेता है तो उससे कैसे निपटा जाएं।
बता दें कि इस प्रकार की परिस्थिति उत्पन्न होने पर पीड़ित पक्ष को आपराधिक और सिविल दोनों प्रकार के क़ानूनों का सहारा मिल सकता है। बशर्ते कि उसे अपनी आवाज़ उठाने में हिचक नही होनी चाहिए और उसे कानून की सामान्य जानकारी हो। आइए ऐसे में हम आप सभी को बताते हैं इस पहलू से जुड़े हुए हर बिंदु को ताकि आपको कभी भी निकट भविष्य में अवैध अतिक्रमण या कब्ज़े का शिकार न होना पड़े…
क्या कहता है आपराधिक कानून…
बता दें कि सम्पत्ति पर अवैध कब्जे से मुक्त कराने के लिए आपराधिक कानून के तहत आईपीसी की तीन धाराएं लागू होती हैं। जिनमें एक है- IPC की धारा 420 तो वही दूसरी IPC-406 और तीसरी आईपीसी की धारा 467 हैं। आइए अब इन्हें विस्तार से जानें…
आईपीसी की धारा- 420…
मालूम हो कि भारतीय दंड संहिता यानी आईपीसी की धारा 420 एक सार्वभौमिक धारा है और यह धारा धोखाधड़ी के अनेक मामलों में प्रयोज्य होती है। किसी व्यक्ति को उसकी संपत्ति से आपराधिक बल के माध्यम से बेदखल करने पर इस धारा को लागू किया जा सकता है और संबंधित पुलिस थाने से इस धारा के अंतर्गत कार्यवाही की जा सकती है। इसके अलावा कोई भी पीड़ित व्यक्ति को सर्वप्रथम इसके तहत अपने अधिकार का उपयोग करना चाहिए।
आईपीसी की धारा- 406…
वहीं आईपीसी की धारा 406 अमानत में खयानत के मामलों में लागू होती है। इस धारा के अंतर्गत किसी व्यक्ति की संपत्ति में विश्वास के आधार पर घुसकर उस पर कब्जा कर लेगा तो वह एक संगीन अपराध है। पीड़ित पक्षकार अपने साथ हुए इस अन्याय को लेकर इस धारा के अंतर्गत संबंधित पुलिस थाना क्षेत्र के अंतर्गत शिकायत दर्ज कर सकता है।
आईपीसी की धारा- 467
बता दें कि भारतीय दंड संहिता की धारा 467 कूटरचना पर लागू होती है। यदि ऐसे में किसी संपत्ति को कूट रचित दस्तावेज के माध्यम से हथिया लिया गया है तथा उस पर अपना कब्जा जमा लिया गया है तब पीड़ित पक्षकार ऐसे मामले में इस धारा के अंतर्गत शिकायत कर सकते है।
सिविल कानून…
इसके तहत भी कई एक्ट और धाराएं आती हैं। जिसकी मदद से कोई भी पीड़ित व्यक्ति अपनी जमीन वग़ैरह वापस पा सकता है। जिसमें स्पेसिफिक रिलीफ एक्ट, 1963 और धारा- 6 महत्वपूर्ण है। वहीं आख़िर में एक विशेष बात क़ानून तो अपने हिसाब से कार्य अपने देश में करता ही है, लेकिन किसी की कोई सम्पत्ति किसी अन्य के कब्जे में जाएं ही क्यों इसका ध्यान रखना चाहिए। वरना अपनी स्वयं की संपत्ति तो फंस ही जाती है और साथ साथ समय वग़ैरह की बर्बादी भी होती है।