शहीद की 7 वर्षीय बेटी ने एसएसपी से कहा, ‘IPS बनकर ही बैठूंगी इस कुर्सी पर’। जानिए पूरी कहानी…
ऊधमपुर एसएसपी ने शहीद की 7 साल की बेटी को अपनी कुर्सी पर बैठने को कहा तो उसने मना कर दिया
देशभक्ति का जुनून ही कुछ ऐसा होता है कि व्यक्ति उसपर अपना सबकुछ न्यौछावर करने को तत्पर रहता है। जी हां देश के लिए कुर्बानी देने वाले सब इंस्पेक्टर इमरान टाक की सात वर्षीय बेटी की रगों में भी पिता जैसा जोश व देश के लिए कुछ कर गुजरने का जज्बा है। बता दें कि बहादुर पिता की शहादत से अंजान और उनकी पुलिस वर्दी में फोटो व वीडियो देख बड़ी हो रही मासूम को एसएसपी ऊधमपुर सरगुन शुक्ला ने अपनी कुर्सी पर बैठने को कहा तो उसने मना कर दिया।
अब आप सोच रहें होंगे कि एक मासूम सात वर्ष की बच्ची ऐसा क्यों करेगी? लेकिन हम आपको बता दें कि उसी मासूम बच्ची का जवाब सुनकर आप भी प्रफुल्लित हो उठेंगे और उस लड़की के जज्बे के सामने नतमस्तक हो जाएंगे। आइए ऐसे में बताते हैं पूरी बात…
गौरतलब हो कि जब ऊधमपुर की एसएसपी ने मासूम बेटी को अपनी कुर्सी पर बैठने को कहा, तो उसने यह कहते हुए मना कर दिया कि, “आज नहीं! मैं इस कुर्सी पर भारतीय पुलिस सेवा (आइपीएस) अधिकारी बनकर ही बैठूंगी।” ऐसे में बच्ची का यह जज्बा देखकर कुछ पल के लिए एसएसपी भी भावुक हो उठीं।
बता दें कि अदम्य साहस और वीरता के लिए मरणोपरांत शौर्य चक्र प्राप्त करने वाले इमरान टाक की बेटी अलिश्बा भी पापा की तरह बहादुर पुलिस अधिकारी बनना चाहती हैं। उनकी रगों में भी एक वीर और भारत माता के सुपूत सब इंस्पेक्टर का खून दौड़ रहा है।
This little one carries her father’s #ShauryaChakra with pride and dreams in her eyes of making him proud of her. She wishes to join the #IPS and some day sit on this chair. She refused to sit now. Alishba, you will grow up to be a strong lovely woman! pic.twitter.com/zMtzxJrKZX
— Sargun (@SargunShukla) November 25, 2021
हाल ही में दिल्ली में शौर्य चक्र प्राप्त करने वाली शहीद की पत्नी गुलनाज अख्तर व बेटी अलिश्बा को ऊधमपुर लौटने पर एसएसपी सरगुन ने अपने कार्यालय आने का न्योता दिया। जिसके बाद अलिश्बा पिता को मिले शौर्य चक्र को गर्व से हाथ में लेकर खड़ी थी। वहीं इसी बीच एसएसपी ने उसे अपनी कुर्सी पर बैठने को कहा, मगर उसने मना कर दिया।
अलिश्बा ने कहा कि वह आइपीएस अधिकारी बनकर एक दिन जरूर इस कुर्सी पर बैठना चाहती है। जिसके बाद एसएसपी ने भी अलिश्बा के साथ ली तस्वीर को अपने ट्विटर हैंडलर पर पोस्ट कर उन्हें शुभकानाएं दीं।
पिता के शहादत से अंजान है मासूम बेटी…
वहीं जानकारी के लिए बता दें कि आज तक स्वजन ने अलिश्बा को पिता की शहादत की बात नहीं बताई है। वह जब भी पूछती है तो स्वजन उसे बताते हैं कि पिता ड्यूटी के सिलसिले में बाहर हैं। वैसे बड़ी होने पर अलिश्बा की समझ और सवाल भी बड़े होने लगे हैं। कई बार वह वीडियो काल करने को कहती है, तो स्वजन उसे कहते हैं कि जहां पिता हैं, वहां पर नेटवर्क नहीं है।
वहीं जब शौर्य चक्र मिलने पर उसने मां से पूछा कि पापा को यह कैसा सम्मान मिला है। इतना ही नहीं उस दौरान उसने मां से उनकी उदासी का कारण भी पूछा। तब भी मां ने टाल दिया।
बेटी अक़्सर पूछती है पिता जी कब आएंगे?…
वहीं अलिश्बा की मां गुलनाज अख्तर के मुताबिक, वह अपने पिता के वीडियो और फोटो देखकर बड़ी हुई है। वर्दी में पिता को देखकर वह भी पिता की तरह अधिकारी बनकर देश की सेवा करना चाहती है। वह आइपीएस बनना चाहती है। कैसे बनते हैं, इस बारे में अक्सर पूछती है। अलिश्बा जब कभी जिद करती है तो स्वजन कहते हैं कि 10 वर्ष की होने पर उसके पिता आएंगे। अब वह 10 साल की होने की इंतजार कर रही है। उन्होंने कहा कि हो सकता है अलिश्बा धीरे-धीरे पिता की शहादत के बारे में सब समझ जाए।
2017 में श्रीनगर के जकूरा में दी थी शहादत…
इतना ही नहीं परिजन बताते हैं कि उनमें बच्ची को सच बताने की ताक़त नही और अलिश्बा का स्वभाव परिपक्व, हिम्मत वाला और खुशमिजाज है। अल्लाह उसकी खुशी और हिम्मत बनाए रखे।
उसके ख्वाब को पूरा करे। वहीं आख़िर में बता दें कि ऊधमपुर जिला के बसंतगढ़ निवासी सब इंस्पेक्टर इमरान टाक वर्ष 2017 में श्रीनगर के बाहरी क्षेत्र में स्थित जकूरा इलाके में आतंकी हमले में शहीद हो गए थे। कार में तीन आतंकियों ने श्रीनगर गांदरबल मार्ग पर जकूरा क्रासिंग के पास उसकी कानवाई पर फायर खोल दिया। वहीं तब शहीद की बेटी सिर्फ़ तीन साल की थी।