14 दिसंबर से शुरू हो रहा है खरमास। एक माह तक बंद रहेंगे सभी मांगलिक कार्य…
भारत एक विविधताओं वाला देश है। यहां कई धर्म-सम्प्रदाय के लोग रहते हैं और सबकी अपनी-अपनी धार्मिक और सामाजिक मान्यताएं हैं। वहीं हिन्दू धर्मग्रंथों के अनुसार कोई भी शुभ कार्य बिना सही मुहूर्त देखे शुरू नहीं किया जाता। जी हां किसी भी काम की शुरुआत से पहले हम शुभ समय या मुहूर्त या ग्रहण-नक्षत्र की गणना या जानकारी जरूर जुटाते हैं।
इसके अलावा सूर्य की चाल पर भी जरूर ध्यान दिया जाता है। लेकिन हम आपको बता दें कि हिन्दू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार बारह महीने में एक महीना ऐसा भी आता है। जब हम किसी भी शुभ कार्य को करने से बचते है और इस मास को खरमास या मलमास कहा जाता है।
गौरतलब हो कि इस बार खरमास 14 दिसंबर से शुरू हो जाएंगे और ये फ़िर 14 जनवरी को खत्म होंगे। ऐसे में इस दौरान किसी भी तरह का शुभ काम नहीं किया जाता है। वहीं मान्यता यह भी है कि इस महीने में सूर्य की चाल धीमी हो जाती है, जिसके चलते कोई भी शुभ कार्य सफल नहीं होता।
ऐसे में ज्योतिषियों के अनुसार किसी भी तरह का मांगलिक कार्य ना करें। इस महीने में शादी, सगाई, वधू प्रवेश, द्विरागमन, गृह प्रवेश, गृह निर्माण, नए व्यापार का आरंभ आदि नहीं करना चाहिए। आइए ऐसे में जानते हैं खरमास की कथा और कुछ महत्वपूर्ण बातें…
इस कारण लगता है खरमास…
बता दें कि जब सूर्य बृहस्पति राशि में प्रवेश करता है तभी से खरमास या मलमास या अधिकमास शुरू हो जाता है। हिन्दू धर्म में यह महीना शुभ नहीं माना जाता है, इसलिए इस महीने में नए या शुभ काम नहीं किए जाते हैं। खरमास महीने के अपने कुछ अलग नियम बताए गए हैं।
वहीं इस महीने में हिन्दू धर्म के विशिष्ट व्यक्तिगत संस्कार जैसे नामकरण, यज्ञोपवीत, विवाह और कोई भी धार्मिक संस्कार नहीं होते है। इतना ही नहीं इस मास के मलिन होने के कारण इस महीने को ‘मलमास’ भी कहा जाता है।
क्या है ‘खरमास’ से जुड़ी कथा…
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान सूर्यदेव अपने सात घोड़ों के रथ पर सवार होकर ब्रह्मांड की परिक्रमा करते हैं। सूर्यदेव को कहीं रुकने की अनुमति नहीं है, लेकिन रथ से जुड़े घोड़े लगातार दौड़ने और आराम न करने के कारण थक जाते हैं। घोड़ों की ऐसी हालत देखकर एक बार सूरज देवता का मन द्रवित हो गया।
जिसके बाद वे घोड़ों को तालाब किनारे ले गए। उन्हें यह आभास हुआ कि रथ रुक गया तो अनहोनी हो जाएगी। तब सूर्यदेव ने घोड़ों को पानी पीने और आराम करने के लिए वहीं छोड़ दिया और उन्होंने रथ में गधों को जोड़ दिया। गधों को सूरज देवता का रथ खींचने में काफी मशक्कत करनी पड़ी। इस दौरान रथ की गति धीमी हो जाती है।
ऐसे में सूर्य देव एक माह में चक्र पूरा करते हैं। इस बीच घोड़ों ने भी आराम कर लिया। इसके बाद सूर्य का रथ पुनः अपनी गति में लौट आता है। इस तरह यह सिलसिला हर वर्ष जारी जारी रहता है।
मलमास के दौरान ध्यान रखने योग्य बातें…
1) बता दें कि इस दौरान कोई भी शुभ कार्य जैसे विवाह, गृह प्रवेश, भूमि पूजन आदि नहीं करना चाहिए।
2) मन में किसी के प्रति बुरी भावना व्यक्ति को नही लाना चाहिए।
3) इस महीने में मांस और शराब का सेवन नहीं करने की सलाह दी जाती है।
4) खरमास में जमीन पर सोना चाहिए। इससे सूर्य देव की कृपा बरसती है।
5) वहीं खरमास में किसी से झूठ नहीं बोलना चाहिए।
6) इसके अलावा इस माह में भगवान विष्णु और तुलसी की पूजा करना चाहिए। वहीं शाम के समय तुलसी के पौधे के समीप दीपक भी जलाएं तो बेहतर रहेगा।
7) आख़िर में बता दें कि मान्यताओं के अनुसार खरमास के महीने में गोसेवा का विशेष महत्व है। इसलिए गायों को गुड़ और हरा चना खिलाना चाहिए और तो और संभव ना हो तो घर में गाय की मूर्ति या तस्वीर लगाएं। इसके बाद पूरे माह गाय की पूजा जरूर करें। ऐसा करने से भगवान श्रीकृष्ण आपसे प्रसन्न होंगे और सभी मुरादें पूरी होंगी।