भाजपा को उद्योगपतियों की सरकार कहने वाली कांग्रेस कैसे जा बैठी ‘अडानी’ की गोदी में
अडानी की गोदी में बैठने को उतावले दिखें कांग्रेसी सीएम बघेल! WII की चेतावनी के बाद भी दी खनन की मंजूरी...
कांग्रेस पार्टी लगातार मोदी सरकार पर यह आरोप लगाती रही है कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार उद्योगपतियों के लिए काम कर रही है। लेकिन अब जो ख़बर निकलकर आ रही है। वह कांग्रेस की कथनी और करनी में फ़र्क को साबित कर रही है। जी हां कहते हैं न कि ‘चोर की दाढ़ी में तिनका’। ऐसे में इस ख़बर को पढ़ने के बाद आपको यह कहावत चरितार्थ होती नज़र आएगी। आइए ऐसे में जानते हैं क्या है पूरा माजरा…
बता दें कि मोदी सरकार को उद्योगपतियों की सरकार बताते- बताते अब कांग्रेस स्वयं उद्योगपतियों को फायदा पहुँचाने की दिशा में क़दम उठाती दिख रही है। जी हां मालूम हो कि छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार नियमों को ताक पर रखकर अडानी के प्रति मेहरबान नज़र आ रही है।
गौरतलब हो कि कांग्रेस की ‘भूपेश बघेल सरकार’ ने भारतीय वन्यजीव संस्थान की चेतावनी के बावजूद अडानी को खनन की मंजूरी दी। जबकि रिपोर्ट में छत्तीसगढ़ के उस जंगली इलाके को ‘नो गो एरिया’ घोषित करने के लिए कहा गया था।
बता दें कि एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय वन्यजीव संस्थान ने अपनी जैव विविधता रिपोर्ट जारी की। जिसमें उन्होंने चेतावनी दी कि हसदेव अरण्य कोयला क्षेत्र को ‘नो गो एरिया’ घोषित किया जाना चाहिए। लेकिन इसके बावजूद राज्य की कांग्रेस सरकार ने उसी क्षेत्र में पीईकेबी कोयला ब्लॉक में खनन के दूसरे चरण को मंजूरी दी।
पीईकेबी (परसा पूर्व और केटे बेसन) कोयला ब्लॉक का स्वामित्व राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड के पास है और इसे अडानी इंटरप्राइजेज द्वारा संचालित किया जाता है। वहीं विदित रहें कि अडानी इंटरप्राइजेज ही इसका आधिकारिक खनन डेवलपर और ऑपरेटर है।
मालूम हो कि 28 अक्टूबर को केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय की वन सलाहकार समिति (एफएसी) की हुई बैठक में राज्य सरकार ने समिति के सामने इसको तत्काल मंजूरी देने का भी अनुरोध किया था। एफएसी 1,136 हेक्टेयर में फैले पीईकेबी कोल ब्लॉक के दूसरे चरण के लिए वन भूमि के डायवर्जन पर चर्चा कर रहा था।
वहीं बैठक में राज्य सरकार ने कहा कि पीईकेबी प्रस्ताव को कानून के अनुसार माना जा सकता है क्योंकि भारतीय वानिकी अनुसंधान परिषद द्वारा प्रस्तुत जैव विविधता आकलन रिपोर्ट में जैव विविधता से संबंधित मुद्दों पर ध्यान दिया गया है। रिकॉर्ड के अनुसार भारतीय वानिकी अनुसंधान परिषद (आईसीएफआरई) ने हसदेव अरण्य कोयला क्षेत्र के चार कोयला ब्लॉकों में खनन के लिए हरी झंडी दिखाई।
इसके अलावा आईसीएफआरई ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि तारा, परसा, पीईकेबी और केटे एक्सटेंशन जो या तो पहले से ही खुले हैं या वैधानिक मंजूरी स्वीकृत होने के अंतिम चरण में हैं। इसलिए यहां खनन करने को लेकर विचार किया जा सकता है। हालांकि एफएसी ने आखिरकार इस मुद्दे पर फैसला टाल दिया।
लेकिन बैठक के मिनट्स से यह भी पता चलता है कि आईसीएफआरई और राज्य ने डब्ल्यूआईआई द्वारा उठाए गए कई आपत्तियों को नजरअंदाज कर दिया, जिसे आईसीएफआरई की रिपोर्ट के दूसरे खंड के रूप में शामिल किया गया था। इतना ही नहीं डब्ल्यूआईआई ने कहा कि कोयला खदानों और बुनियादी ढांचे के विकास से यहां के वन्यजीवों को नुकसान पहुंचेगा। हाथी जैसे बड़े जानवरों पर इसका और भी प्रभाव पड़ सकता है।
साथ ही डब्ल्यूआईआई ने यह भी कहा कि पहले ही राज्य में कई जगहों पर हाथियों और लोगों के बीच संघर्ष देखने को मिला है और आने वाले समय में यह संघर्ष काफी बड़ा भी हो सकता है।
वहीं कुछ वक्त पहले की बात करें तो जोगी कांग्रेस के रायपुर शहर जिलाध्यक्ष डा. ओमप्रकाश देवांगन ने भूपेश बघेल सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा था कि छत्तीसगढ में कांग्रेस सरकार बनने से पहले डा. रमन सिंह के राज में जिस भूपेश बघेल ने अडानी के विरूद्ध लगातार मोर्चा खोल रखा था, आज वही भूपेश बघेल कांग्रेस सरकार बनते ही अडानी से समझौता कर छत्तीसगढ महतारी को बेचने में लग गया है।
डा. रमनसिंह के 15 साल के कार्यकाल में अडानी को केवल 2 खदान दिए गए थे लेकिन भूपेश बघेल ने केवल ढाई साल के कार्यकाल में उसी अडानी को हजारों एकड क्षेत्रफल में फैले 10 से ज्यादा खदानें नियम विरूद्ध तरीके से दे दिया है!
इतना ही नहीं डा. ओमप्रकाश देवांगन ने उस दौरान कहा था कि भूपेश बघेल छत्तीसगढ की जनता को बताएं कि भाजपा के शासन में एड़ी चोटी के विरोध के बाद उन्होने कांग्रेस शासन में उसी अडानी के हाथों छत्तीसगढ महतारी का गुप्त सौदा क्यों किया…? ऐसे में आप समझ सकते हैं कि कांग्रेस कहती क्या है और करती क्या है। वैसे भी कांग्रेस के बारे में देश के लोगों के क्या विचार यह हम सभी जानते और समझते हैं, यह कोई चर्चा का विषय नहीं।