किसानों के नाम पर हो रहा राजनीतिक आंदोलन को हुआ एक साल पूरा, आज कर रहे हैं शक्ति प्रदर्शन
कृषि कानून के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसान प्रदर्शनकारियों का आज 1 साल पूर्ण हुआ है। ऐसी आशंका है कि 1 साल समय पूरे होने पर किसान आंदोलन उग्र रूप ले सकता है। इसी को देखते हुए किसान को नियंत्रण में रखने के लिए दिल्ली पुलिस ने चाक-चौबंद कर रखा है। कैबिनेट से कृषि कानून को वापस लेने की मंजूरी भी मिल चुकी है इसके बावजूद किसान का चोला ओढ़े प्रदर्शनकारी वापस हटने को तैयार नहीं हैं।
आंदोलन के आज 1 वर्ष पूरे होने पर तमाम किसान संगठनों ने दिल्ली के सीमावर्ती क्षेत्रों में इकट्ठा होने का आह्वान किया है। इसी को देखते हुए दिल्ली पुलिस ने भी कमर कस लिया है। दिल्ली के सीमावर्ती राज्यों से आने वाले सभी रास्तों पर पुलिस की कड़ी नजर है और सुरक्षा का व्यवस्था चाक-चौबंद कर दिया गया है।
किसानों के नेता राकेश टिकैत इस बारे में आह्वान कर चुके हैं कि वह कृषि कानून वापस लेने से तुरंत वापस नहीं जाएंगे। इनकी जो छह सूत्रीय मांग है उसको भी समय रहते पूर्ण करना होगा। इसका परिणाम यह होगा कि कृषि कानून वापस लेने के बाद भी किसान रास्ते खाली नहीं करेंगे।
प्रदर्शन कर रहे किसानों का कहना है कि जब तक केंद्र सरकार किसानों से बात नहीं करती है और न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कोई कानून नहीं बनाती है तब तक यह आंदोलन जारी रहेगा।
Farmers in large numbers gathered at the Singhu border to observe the first anniversary of protest against the three farm laws pic.twitter.com/gDBjr2VLgN
— ANI (@ANI) November 26, 2021
हालांकि कई बार इस आंदोलन को धीमा पड़ते हुए देखा गया, कई किसान धरना स्थल से वापस भी लौटे लेकिन फिर कुछ ना कुछ बीच में ऐसा मामला उठा जिसके कारण किसानों की संख्या बनी रहे। किसानों की एक साल के प्रदर्शन में कई देश विरोधी और संविधान विरोधी काम हुए प्रदर्शनकारियों ने लाल किले पर जिस तरह से तिरंगे झंडे का अपमान किया वह हम सबको विदित है। यही नहीं किसानों के नाम पर प्रदर्शन कर रहे भीड़ पर लोगों की हत्या करने, महिला के साथ बलात्कार करने समेत कई संगीन आरोप लगे।
शह और मात का खेल खेल रहे राकेश टिकैत ने देश के प्रधानमंत्री का भी अपमान किया है। प्रधानमंत्री ने देश को संबोधित करते हुए किसी कानून को वापस लेने की घोषणा की थी लेकिन टिकैत ने प्रधानमंत्री के उन शब्दों को एरा गैरा बताकर कह रहा है कि हमें केंद्र सरकार पर भरोसा नहीं है। जाम कर धरने पर आराम से बैठे हुए प्रदर्शनकारी आम लोगों को परेशान कर रहे हैं। प्रदर्शनकारियों को केंद्र सरकार की बातों पर जरा भी भरोसा नहीं है।
पीएम ने कानून को वापस लेने की घोषणा कर दी। वापसी विधेयक कैबिनेट से मंजूर हो गया अब इसको संसद के शीतकालीन सत्र में भी रखने की तैयारी है, इसके बावजूद इन उपद्रवियों को भरोसा नहीं है कि यह सरकार कृषि कानून को वापस लेगी। इसे आप तुच्छ राजनीति नहीं तो और क्या कहेंगे ?
कृषि कानून को खत्म करने की मांग को लेकर शुरू हुआ यह आंदोलन किसान आंदोलन नहीं बल्कि एक राजनीतिक आंदोलन है।