Breaking newsPolitics

गरीबों के हित में आई मोदी सरकार की एक और योजना, अब मार्च 2022 तक मिलेगा मुफ्त राशन

मोदी सरकार देश के गरीब लोगों के लिए एक खुशखबरी लाई है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएम-जीकेएवाई) को मार्च 2022 तक बढ़ा दिया है।

यह योजना 30 नवंबर को समाप्त होने वाली थी। इस योजना की घोषणा बीते वर्ष सरकार ने कोरोना के प्रकोप के कारण हुए आर्थिक व्यवधानों के मद्देनजर राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) द्वारा कवर किए गए सभी लाभार्थियों के लिए की थी। इस योजने के अंतर्गत सरकार द्वारा करीब 80 करोड़ एनएफएसए लाभार्थियों को 5 किलो खाद्यान्न मुफ्त दिया जाता है।

मार्च 2022 तक बढ़ी प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना

अब पीएमजीकेएवाई को चार महीने यानि मार्च 2022 तक बढ़ा दिया गया है। इस बात की जानकारी सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर ने कैबिनेट की बैठक के बाद दी। उन्होंने बताया कि इसके लिए राजकोष पर 53,344 करोड़ रुपये का अतिरिक्त खर्च आएगा। अभी तक 600 लाख मीट्रिक टन स्वीकृत किया जा चुका है। इस योजना के बढ़ने पर इसमें कुल 2.6 लाख करोड़ रुपए खर्च होंगे।

तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की प्रक्रिया भी बढ़ी

अनुराग ठाकुर ने ये भी बताया कि तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने के लिए कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है। जब संसद का शीतकालीन सत्र स्टार्ट होगा तो इस बिल को संसद में पेश किया जाएगा। उन्होंने ये भी बताया कि संसद में भी इस कार्य (तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने) को प्राथमिकता दी जाएगी।

गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 19 नवंबर तीन कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान किया था। उन्होंने इसके साथ एमएसपी को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए कमेटी का गठन करने का वादा भी किया था।

मोदी ने किया था तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने का वादा

पीएम मोदी ने भी देश को दिए संबोधन में इस महीने के अंत में शुरू होने जा रहे संसद सत्र में तीनों कृषि कानूनों को रिपील (निरस्त) करने की संवैधानिक प्रक्रिया को पूरा करने की बात कही थी। इसके साथ ही उन्होंने जीरो बजट खेती यानि प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने का जिक्र किया था।

उन्होंने कहा था कि हम एक खास कमेटी का गठन करेंगे जो देश की बदलती जरूरतों को ध्यान में रखते हुए क्रॉप पैटर्न को वैज्ञानिक तरीके से बदलने के लिए, एमएसपी को और अधिक प्रभावी और पारदर्शी बनाने के लिए कार्य करेगी। इस कमेटी में केंद्र सरकार, राज्य सरकार, किसान, वैज्ञानिक और कृषि अर्थशास्त्री के प्रतिनिधि होंगे।

किसान संगठन अभी भी इन मांगों पर अड़े

अपनी बात को समाप्त करते हुए पीएम मोदी ने आंदोलनरत किसानों से विनती की थी कि वे अपने घर, खेत और परिवार में लौट जाएं। हालांकि एक साल से प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों ने आंदोलन समाप्त करने से मना कर दिया था। किसान संगठनों की मांग थी कि कानून संसद से वापस नहीं लिया जाता और एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) पर कानून नहीं बनता तब तक वह वापस नहीं जाएंगे। बताते चलें कि किसान संगठन बिजली विधेयक, केस की वापसी सहित और कई दूसरी मांगे भी कर रहे हैं।

Back to top button