मार्गशीर्ष माह होता है श्री कृष्ण को समर्पित, ऐसे करेंगे भगवान को खुश तो होगी हर मनोकामना पूरी
पुराणों के मुताबिक मार्गशीर्ष मास में करें ये काम, प्रसन्न होते है भगवान और मिलता है मनचाहा फल
मार्गशीर्ष का महीना 20 नवंबर से शुरू चुका है. इस माह को भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित माना जाता है. भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं को गीता में मार्गशीर्ष मास बताया है. मान्यता है कि यदि इस माह में श्रीकृष्ण की पूरी श्रद्धा के साथ भक्ति की जाए तो इंसान की सोई हुई किस्मत भी जाग उठती है. मार्गशीर्ष माह को अगहन मास नाम से भी जाना जाता है.
इस महीनें में नदी के स्नान का भी विशेष महत्व होता है. साथ ही कहा जाता है कि, मार्गशीर्ष मास में नियमित रूप से नदी पर स्नान करने वाले श्रद्धालु को अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है, इसके साथ ही स्त्रियों का वैवाहिक जीवन सुखीमय रहता है. अगर आप भी इस महीनें में श्रीकृष्ण की भक्ति करके उनकी विशेष कृपा पाना चाहते हैं तो कुछ नियमों का पालन करना जरूरी है.
गीता का पाठ करें
आपको बता दें कि, गीता का पाठ करने से श्रीकृष्ण बेहद प्रसन्न रहते है. इस वजह से इस पूरे मास में रोजाना दिन में एक बार गीता का पाठ जरूर करना चाहिए. अगर आप चाहें तो रोजाना एक अध्याय पढ़ सकते हैं. इससे श्रीकृष्ण काफी प्रसन्न होते हैं.
मंत्रों का जाप भी करें
रोज पूजा से पहले सुबह और शाम को ॐ कृं कृष्णाय नम: और ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नम: मंत्रों का जाप जरूर करें. ये जाप तुलसी की माला के साथ करें तो और भी अच्छा फल प्राप्त होता है.
गाय की सेवा करें
इस माह में गाय की भी विशेष रूप से सेवा करनी चाहिए. भगवान श्रीकृष्ण स्वयं भी ग्वाले थे और गायों की सेवा किया करते थे. उन्हें भी ऐसे लोग अत्यंत प्रिय होते हैं जो गाय से प्रेम करते हैं और उनकी सेवा करते हैं.
माखन मिश्री का भोग लगाए
भगवान श्री कृष्ण को माखन और मिश्री अत्यंत प्रिय है. इसलिए उन्हें रोजाना माखन मिश्री का भोग लगाना चाहिए. अगर संभव हो सके तो रोजाना तुलसी के नीचे घी का दीपक लगाए. ऐसा करने से कृष्ण आपकी हर विपदा दूर करेंगे.
नदी स्नान का है महत्व
इस माह में नदी स्नान का भी विशेष महत्व है. लेकिन आज के युग में हर किसी के लिए यह संभव नहीं है. ऐसे में आप पानी में थोड़ा सा गंगा जल डालकर स्नान कर सकते हैं. इसके साथ ही स्नान से पहले नियमित रूप से शरीर की मालिश करें.
बस इन बातों का रखें विशेष ध्यान
इस माह में आलस्य, क्रोध आदि से दूर रहे. किसी की चुगली भी न करें और न ही किसी का अपमान करें. शराब, मांस मीट आदि से पूरी तरह से परहेज कर दूर रहे. इन बातों के अलावा इस माह में दही और जीरे का सेवन भी निषेध माना गया है. जितना आप से हो सके जरूरतमंदों को दान करें. दान करने से आपके तमाम पाप कट जाते हैं.