एक युवक ने किया कमाल, 14 हज़ार रुपए से खड़ी कर दी 468 अरब रुपए की कंपनी
स्टार्ट-अप की शुरुआत अब हर कोई करना चाहता है। जी हां लेकिन जरूरी नहीं कि सभी इस मामले में सफ़ल ही हो। वहीं एक सॉफ्टवेयर फर्म ऐसी भी है। जिसने छह साल में अपने झंडे गाड़ दिए हैं। ऐसे में आइए जानते हैं इसी स्टार्ट-अप कंपनी के बारे में…
बता दें कि एक सॉफ्टवेयर फर्म ‘पर्सोनियो’ (Personio) केवल छह वर्षों में यूरोप की सबसे मूल्यवान स्टार्ट-अप में से एक बन गई है। गौरतलब हो कि पर्सोनियो की नेट वर्थ 6.3 बिलियन डॉलर यानी 468 अरब रुपये हो गई है। लेकिन एक समय ऐसा भी था जब कंपनी के पास पैसों की तंगी थी। पर्सोनियो 200 डॉलर यानी 14 हजार रुपये से 6 बिलियन डॉलर तक कैसे पहुंची, खुद इसके सीईओ हनो रेनर (Hanno Renner) ने एक इंटरव्यू में बताया है।
मालूम हो कि सीएनबीसी (CNBC) से बात करते हुए, रेनर ने पुराने दिनों को याद करते हुए बताया कि एक समय कंपनी के बैंक खाते में सिर्फ 226 डॉलर रुपये ही बचे थे। लेकिन मेहनत और लगन से छह वर्षों में ही कंपनी 6 बिलियन डॉलर की नेट वर्थ वाली हो गई। वहीं अब पर्सोनियो कंपनी में क़रीब 1,000 से अधिक कर्मचारी काम करते हैं।
ऐसे शुरू हुआ संघर्ष का सफर…
बता दें कि Personio के सीईओ Hanno Renner ने 2015 में रोमन शूमाकर, आर्सेनी वर्शिनिन और इग्नाज फोर्स्टमेयर के साथ जर्मनी के म्यूनिख में कंपनी की स्थापना की थी। इन चारों की मुलाकात म्यूनिख के दो मुख्य कॉलेजों के संयुक्त संस्थान सेंटर फॉर डिजिटल टेक्नोलॉजी एंड मैनेजमेंट में पढ़ाई के दौरान हुई थी।
वहीं पर्सोनियो का विचार छोटे और मध्यम आकार के बिजनेस पर केंद्रित था। शुरू में चारों दोस्त इसके लिए भी संघर्ष कर रहे थे। उनके पास कोई ऑफिस तक नहीं था, इसलिए उन्होंने कॉलेज में पर्सोनियो के पहले सॉफ़्टवेयर उत्पाद के निर्माण के लिए जहां कहीं भी जगह पाई, वहां काम किया। इसी बीच जुलाई 2016 में पर्सोनियो ने ग्लोबल फाउंडर्स कैपिटल सहित निवेशकों के साथ सीड फंडिंग राउंड में 2.1 मिलियन यूरो जुटाए। यहीं से उनके हालात सुधरने शुरू हुए और कुल मिलाकर, पर्सोनियो ने अबतक निवेशकों से 500 मिलियन डॉलर से अधिक जुटाए हैं।
बता दें कि फंडिंग का उपयोग सॉफ्टवेयर की नवीनतम श्रेणी विकसित करने के लिए किया जा रहा है, जिसे पीपल वर्कफ्लो ऑटोमेशन (People Workflow Automation) कहा जाता है और इसका उद्देश्य मानव संसाधन और अन्य कंपनी विभागों के बीच सॉफ़्टवेयर बाधाओं को दूर करना है। वहीं पर्सोनियो के प्रतिद्वंद्वियों में Hibob, SAP और Salesforce जैसे बड़े नाम शामिल हैं।