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किसान मोर्चा में पड़ी बड़ी फूट, राकेश टिकैत और गुरुनाम सिंह चढूनी की तक़रार आई सामने

किसान आंदोलन क़रीब एक साल से लगातार देश के अलग-अलग हिस्सों में चल रहा है, लेकिन इन सबमें सबसे प्रमुख जगह कोई किसान आंदोलन की रही है तो वह दिल्ली-एनसीआर का बार्डर है। जहां पर किसान लगातार एक साल से धरना-प्रदर्शन दे रहें हैं और अब जब तीनों कृषि कानून सरकार वापस लेने जा रही है।

Rakesh Tikait And Gurunam Singh

ऐसे में इन किसानों के लिए यह सबसे बड़ी जीत है, लेकिन वहीं अब संयुक्त किसान मोर्चा में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है और इसका एक नजारा भी शनिवार को संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं की बैठक में देखने को मिला। बता दें कि जहां एक ओर राकेश टिकैत बैठक में शामिल होने के लिए पहुंचे ही नहीं, तो हरियाणा के दिग्गज किसान नेताओं में शुमार गुरनाम सिंह चढ़ूनी बीच बैठक से ही बाहर आ गए। ऐसे में यह बड़ी फूट मानी जा रही है।

rakesh tikait

गौरतलब हो कि कयास तो यह भी लगाएं जा रहें कि भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत (Rakesh Tikait, national spokesperson of Bharatiya Kisan Union) ने संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक से दूरी बना ली है। शनिवार को हुई बैठक में टिकैत नहीं आए थे। लेकिन, रविवार को गाजीपुर से सूचना आ रही थी कि वह कुंडली बार्डर पर बैठक में शामिल होंगे, लेकिन वह नहीं पहुंचे।

Gurnam Singh Charuni

हालांकि, मीडिया में बात लीक होने के बाद में उनकी ओर से संदेश प्रसारित किया गया कि सोमवार को लखनऊ में होने वाली किसान महापंचायत को लेकर वहां चले गए हैं। हालांकि इसके कयास लगाए जा रहे थे कि राकेश टिकैत बैठक में नहीं आएंगे, क्योंकि पिछली बैठक के दौरान गुरनाम सिंह चढ़ूनी और राकेश टिकैत गुट में तनातनी हो गई थी। दूसरी ओर, बैठक में शामिल होने पहुंचे गुरनाम सिंह चढ़ूनी भी बीच में ही बाहर आ गए और उनके बारे में कहा गया था कि उन्हें किसी अन्य कार्यक्रम में पहुंचना है।

27 तक के लिए पूर्व में तय सभी कार्यक्रम रहेंगे जारी…

Rakesh Tikait And Gurunam Singh

वहीं कुंडली बार्डर पर रविवार को संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक में 27 नवंबर तक के लिए पूर्व में तय सभी कार्यक्रम जारी रखने का निर्णय लिया गया। जितेंद्र सिंह विर्क व बलबीर सिंह राजेवाल ने संयुक्त रूप से बैठक की अध्यक्षता की। इसके बाद राजेवाल ने पत्रकारों से कहा कि फिलहाल तो संसद में कानून रद होने तक आंदोलन जारी रहेगा। सोमवार को लखनऊ में किसान महापंचायत, 26 नवंबर को एक साल पूरे होने पर सभी मोर्चों पर भीड़ बढ़ाई जाएगी।

Rakesh Tikait And Gurunam Singh

इसके अलावा बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा कि प्रधानमंत्री ने एमएसपी पर कोई बात नहीं कही। इसको लेकर कमेटी बनाने की बात की जा रही है, लेकिन यह देखना होगा कि कमेटी कैसे काम करेगी, उसमें सरकार के और मोर्चा के कितने सदस्य होंगे, उसकी शक्ति क्या होगी और डेडलाइन क्या होगी? संसद कूच के सवाल पर उन्होंने कहा कि यह कार्यक्रम भी यथावत है, लेकिन 27 नवंबर की बैठक में इस पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा।

Rakesh Tikait And Gurunam Singh

वहीं गौरतलब हो कि दिल्ली-हरियाणा के सिंघु बार्डर (कुंडली बार्डर) पर शुक्रवार तक प्रदर्शनकारियों की संख्या काफी कम थी। अभी भी कई टेंट खाली हैं या उनमें इक्का-दुक्का ही लोग हैं। गेहूं की बुआई का सीजन आने और गुरुपर्व के कारण काफी संख्या में प्रदर्शनकारी अपने घर चले गए थे, लेकिन शुक्रवार सुबह तीनों कानून को निरस्त करने की प्रधानमंत्री की घोषणा के बाद फिर से बार्डर पर प्रदर्शनकारियों का जुटना शुरू हो गया है।

Narendra

शनिवार के बाद रविवार और फिर सोमवार को भी बार्डर पर लंगरों की संख्या भी पहले से ज्यादा दिखी। इस दौरान ट्रैक्टरों पर स्पीकर लगाकर युवा लगातार पूरे प्रदर्शन स्थल पर जुलूस निकाल रहे हैं। पंजाब से भी प्रदर्शनकारियों का आना जारी है। प्रधानमंत्री की घोषणा को अपनी सबसे बड़ी जीत बताते हुए प्रदर्शनकारी उत्साहित हैं। उन्हें उम्मीद है कि जब एक मांग को पूरा कर दिया गया तो जल्द ही उनकी अन्य मांगों पर भी विचार होगा।

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