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आंदोलन के नाम पर सिखों और सरकार को लड़ाने की चल रही थी साज़िश – श्री अकाल तख्त का दावा

किसान आंदोलन का सच: सिखों को सरकार और हिन्दू से लड़ाने की थी साज़िश। जानिए...

क़रीब एक साल तक चले किसान आंदोलन के बाद पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा शुक्रवार को तीनों कृषि कानून वापस लेने का फैसला लिया गया। पीएम मोदी के फैसले के बाद अब किसान संगठनों से जुड़े लोग नई मांगों के साथ आंदोलन बंद नहीं करने की बात कर रहें हैं। वहीं दूसरी तरफ़ सिखों की सुप्रीम संस्था श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने कहा कुछ लोग किसान आंदोलन की आड़ में सिख वर्सेज भारत सरकार और सिख वर्सेज हिंदू करना चाहते थे।

farmer movement as sikh vs indian government

वहीं, पीएम मोदी के तीन कृषि कानून वापस लेने के फैसले ने इन लोगों के मंसूबों पर पानी फेर दिया है। कानून वापस होने के कारण एक बड़ी विपदा टल गई है। ऐसे में कहीं न कहीं जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह का यह बयान काफी अहम है, क्योंकि किसान आंदोलन पंजाब से ही शुरू हुआ था। दिल्ली बॉर्डर पर भी सबसे ज्यादा सिख ही परिवार समेत डटे रहे।

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जत्थेदार का कहना सिख सोच, निशान और इतिहास को कर रहे थे दरकिनार…

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बता दें कि जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने कहा कि हमारी चिंता थी कि आंदोलन में कुछ ग्रुप ऐसे थे, जो सिख सोच, निशान, फलसफे, इतिहास और भावनाओं को दरकिनार कर रहे थे। कुछ ऐसे ग्रुप भी थे जो इस संघर्ष को सिखों का भारत सरकार और हिंदुओं के बीच का संघर्ष बनाने की कोशिश कर रहे थे। जिसके आने वाले समय में नुकसान झेलने पड़ते।

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इतना ही नहीं उन्होंने कहा कि द्वेष पैदा करके राजनीतिक जमीन मजबूत करने की भी कोशिश भी चल रही थी। बता दें कि ज्ञानी हरप्रीत सिंह के मुताबिक कृषि कानूनों के विरोध की आड़ में कुछ शरारती लोग भाईचारा का बंटवारा करने की कोशिश कर रहे थे। वहीं कुछ अपनी राजनीतिक जमीन को मजबूत करने की कोशिश कर रहे थे।

वह सिख भावनाओं को कमजोर करके सिख इतिहास को निशाने पर ले रहे थे। सिख निशान उन्हें चुभ रहा था। इसके लिए पीएम नरेंद्र मोदी की जितनी तारीफ हो, करनी बनती है।

आंदोलन में जानें गईं, उनका अफसोस हमेशा रहेगा…

वहीं उन्होंने कहा कि आंदोलन के दौरान कुछ जिंदगी गई हैं, उनका हमेशा अफसोस रहेगा। बहुत बड़ी मात्रा में इस आंदोलन में विदेशी सिखों का पैसा खर्च हुआ। इस आंदोलन में जो लोग शामिल हुए, वह सिख परिवार थे। सिखों ने आर्थिक मदद और सहूलियत के रूप में जी-जान से इसमें योगदान दिया। हम हमेशा चाहते हैं कि भारत के अंदर सिख अच्छे ढंग से जिंदगी बिताएं। हिंदू-सिख का रिश्ता मजबूत रहे, इसके लिए हमेशा कोशिश करते रहे हैं।

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वहीं आख़िर में बता दें कि इससे पहले भी ज्ञानी हरप्रीत सिंह का एक बयान आया था। जिसमें उन्होंने पंजाब में सीएम (CM) सिख हो या हिंदू। इस बात को सेकेंडरी बताया था। वहीं पंजाब का पहला हिंदू CM न बन पाने के बाद कांग्रेस के पूर्व प्रधान सुनील जाखड़ ने उनके बयान को ट्वीट किया था।

जिसमें उन्होंने कहा कि अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार के इन दूरदर्शी शब्दों के लिए इससे बेहतर वक्त नहीं हो सकता था। जब संकीर्ण सोच वाले छोटे लोगों ने हाई पोजिशन पाने के लिए पंजाब को वर्ग, जाति और पहचान के आधार पर बांटने की कोशिश की।

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