कृषि क़ानूनों की वापसी से भी नहीं पिघल रहें किसान, टिकैत ने कहा अब बाकी मुद्दों पर बात होगी
राकेश टिकैत ने पेनाल्टी सिस्टम का जिक्र कर कहा कि 750 किसान शहीद हुए उनकी जिम्मेदारी कौन लेगा
बीते शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीनों कृषि कानून वापस लेने का ऐलान कर दिया और साथ ही उन्होंने एमएसपी सहित दूसरे मुद्दों पर एक कमेटी बनाने का आश्वासन भी दिया। लेकिन अब किसान संगठन से जुड़े लोग नई-नई बातें कहकर अभी भी आंदोलन वापस लेने को तैयार नहीं।
बता दें कि प्रधानमंत्री मोदी के ऐलान के बावजूद किसान संगठनों ने तत्काल आंदोलन वापस लेने से इनकार कर दिया। किसान आंदोलन की वापसी को लेकर किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा है कि सिर्फ एक मुद्दा कम हुआ और बाकी सभी मुद्दे शेष हैं। साथ ही उन्होंने पेनाल्टी सिस्टम का जिक्र कर कहा कि 750 किसान शहीद हुए उनकी जिम्मेदारी कौन लेगा।
गौरतलब हो कि आजतक न्यूज चैनल से बातचीत के दौरान जब किसान नेता राकेश टिकैत से सवाल पूछा गया कि अभी भी बॉर्डर खाली नहीं हुआ है। तो उन्होंने कहा कि बॉर्डर खाली करने की बात नहीं हुई है। किसान एक साल से यहां आंदोलनरत हैं। 750 किसानों की शहादत हुई है। इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा?
इतना ही नहीं इसी दौरान जब पत्रकार ने राकेश टिकैत से यह सवाल किया कि पहले आप कहते थे कि बिल वापसी नहीं तो घर वापसी नहीं। लेकिन अब तो पीएम ने मीडिया में आकर बिल वापसी की बात कही है। फ़िर इसपर राकेश टिकैत ने कहा कि जो एक साल तक लोग यहां रहे। उनकी शहादतें हुई। मुक़दमे दर्ज हुए। साथ ही उन्होंने पेनाल्टी सिस्टम का जिक्र भी करते हुए कहा कि एक साल का जो भी घटनाक्रम हुआ, जितने दिन भी लेट हुए। उसका हिसाब बराबर होने पर ही वापस जाएंगे।
22, 26 और 29 नवंबर को जो कार्यक्रम होने वाले हैं उन्हें रोका नहीं जाएगा। अगर सरकार को बातचीत करनी है तो वो बात कर सकते हैं। शुरू में ही ये बातचीत हो गई होती तो इतने किसानों की मृत्यु नहीं होती: संयुक्त किसान मोर्चा की कोर कमेटी की बैठक के बाद किसान नेता राकेश टिकैत, गाज़ीपुर pic.twitter.com/QGoIFJaK0C
— ANI_HindiNews (@AHindinews) November 20, 2021
वहीं राकेश टिकैत ने गाजीपुर बॉर्डर पर समाचार एजेंसी एएनआई (ANI) से बातचीत करते हुए कहा कि मैं लखनऊ जा रहा हूं, 22 तारीख को लखनऊ में महापंचायत है। कृषि क़ानून वापस हुए हैं। हमारे सारे मुद्दों में से केवल एक मुद्दा कम हुआ है, बाकी मुद्दे अभी बचे हुए हैं। किसानों पर दर्ज मुकदमे और जिन किसानों की मृत्यु हुई ये मुद्दे महत्वपूर्ण हैं।
इसके अलावा हम आपको बता दें कि शनिवार को किसान संगठनों के बीच हुई बैठक में फैसला लिया गया कि पहले से निर्धारित कार्यक्रमों में कोई बदलाव नहीं होगा। किसान संगठनों ने कहा है कि 22 नवंबर को लखनऊ में होने वाली रैली और 29 नवंबर को होने वाले संसद मार्च में किसी तरह का बदलाव नहीं होगा।
बता दें कि शुक्रवार को गुरुपर्व के मौके पर प्रधानमंत्री मोदी ने देश को संबोधित करते हुए कहा कि वह किसानों को इन कानूनों के बारे में ठीक से समझा नहीं पाए, इसलिए ये कानून वापस लिए जाएंगे। साथ ही उन्होंने कहा कि आने वाले संसद सत्र में संवैधानिक तरीके से इसे वापस लिया जाएगा।