सुभाष चंद्र बोस की बेटी ने कंगना के बयान पर जताई सहमति, कहा ऐसे थे पिता के गांधी से सम्बंध…
सुभाष चंद्र की बेटी का कहना, 'सिर्फ़ अहिंसा से मिली आज़ादी; यह अतिश्योक्ति से कम नहीं।'
बीते कई दिनों से देश में एक ही विषय पर चर्चा छिड़ी हुई है कि देश को आज़ादी गांधी जी के भीख मांगने पर मिली या उनके अहिंसा के बल पर। यह तो आप सभी को पता है कि आख़िर यह बहस छिड़ी क्यों है। वहीं अब इसी बहस के बीच सुभाष चन्द्र बोस की बेटी सामने आईं हैं और उन्होंने एक बड़ी बात कही है। ऐसे में आइए जानते हैं पूरी कहानी…
बता दें कि अभिनेत्री कंगना रनौत के महात्मा गांधी और सुभाष चंद्र बोस को लेकर दिए बयान को लेकर नेताजी की बेटी अनीता बोस ने अपनी बात रखी है। गौरतलब हो कि अनीता बोस नेताजी सुभाष चंद्र बोस की बेटी हैं और उन्होंने अपने पिता और महात्मा गांधी के संबंधों पर अपने विचार रखे हैं।
अनीता ने बुधवार को इंडिया टुडे ग्रुप से बातचीत में कहा कि नेताजी और महात्मा गांधी के बीच एक जटिल रिश्ता था। उनके मुताबिक ऐसा इसलिए था क्योंकि गांधी जी को लगता था कि वह नेताजी को नियंत्रित नहीं कर पा रहे हैं।
वहीं बीते हफ्ते एक्ट्रेस कंगना रनौत ने कहा था कि महात्मा गांधी ने सुभाष चंद्र बोस का समर्थन नहीं किया था और वे नेताजी को अंग्रेजों को सौंपने के लिए तैयार थे। ऐसे में इंडिया टुडे ने कंगना के इस बयान को लेकर ही अनीता बोस से बात की और इस बातचीत में जर्मनी में रह रहीं अनीता ने कहा कि, “मैं ऐसी घटनाओं के बारे में नहीं जानती हूं।
अब ये चर्चा करना सही नहीं है और मुझे लगता है कि सभी स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों और आजादी के लिए लड़ने वाले लाखों गुमनाम लोगों ने आजादी दिलाने में योगदान दिया था। महात्मा गांधी और मेरे पिता के बीच एक जटिल रिश्ता था। गांधी जी को लगता था कि वे मेरे पिता को कंट्रोल नहीं कर पा रहे।”
‘नेताजी गांधी जी के थे बड़े प्रशंसक’- अनीता बोस…
वहीं अनीता बोस ने इंडिया टुडे से बातचीत में यह भी बताया कि उनके पिता गांधी जी का बहुत सम्मान करते थे और उनके बड़े प्रशंसक भी थे। उन्होंने कहा कि, “मैं यह भी महसूस करती हूं कि मेरे पिताजी गांधी के बहुत बड़े प्रशंसक थे। वे हमेशा यह जानने को उत्सुक रहते थे कि उनके काम पर महात्मा गांधी की क्या प्रतिक्रिया आई है।
इसके अलावा वे जानना चाहते थे कि जर्मनी में दिए उनके भाषणों और उनके आंदोलन को लेकर गांधी जी ने क्या कहा है… इसलिए ये कहना कि दोनों एक-दूसरे के दुश्मन थे, बिल्कुल एकतरफा विचार है।”
विचार अलग हो सकते, लेकिन मकसद एक था…
इसके अलावा अनीता बोस ने गांधी जी और नेताजी के संबंधों को लेकर उठ रहे सवालों का जवाब देते हुए यह भी कहा कि इन दोनों नेताओं का मकसद एक था, लेकिन इनके विचार एक जैसे नहीं थे। उन्होंने कहा कि, “वे दोनों आजादी पाने के मकसद के लिए संघर्ष कर रहे थे। लेकिन दूसरी तरफ इसे हासिल करने के तरीके को लेकर, दोनों एक-दूसरे के विचारों से सहमत नहीं थे।”
सिर्फ़ अहिंसा से मिली आज़ादी, यह अतिश्योक्ति…
वहीं सुभाष चंद्र बोस की बेटी अनीता बोस के अनुसार स्वतंत्रता केवल अहिंसा के चलते ही नहीं मिली, इसे पाने में नेताजी और गांधी जी दोनों की ही भूमिका महत्वपूर्ण थी, और इसे बिल्कुल भी नकारा नहीं जा सकता। उन्होंने अपनी बातचीत के दौरान कहा कि, “वे दोनों ही महान नायक थे जिन्होंने भारत की स्वतंत्रता के लिए लड़ाई लड़ी।
इनमें से कोई एक यह लड़ाई नहीं लड़ सकता था… हालांकि कांग्रेस के कुछ सदस्यों ने लंबे समय तक यह दावा किया कि केवल एक अहिंसक नीति से भारत ने आजादी पाई। लेकिन ऐसा नहीं है, हम सभी जानते हैं कि नेताजी और आईएनए की कार्रवाइयों ने भी भारत की आजादी में योगदान दिया था। हालांकि, ये कहना भी नासमझी होगी कि सिर्फ नेताजी और उनकी आजाद हिंद फौज ने हमें आजादी दिलाई है।”