खुद को शादी के लायक़ नहीं समझते थे पेटीएम संस्थापक विजय शेखर शर्मा, जानिये क्या थी मजबूरी
आपने अपने आस-पड़ोस में ऐसे कई व्यक्तियों को देखा होगा। जो लाखों रुपए में प्रतिदिन खेलते होंगे, लेकिन वह अपनी साधारण सी जिंदगी जीने की वज़ह से अक़्सर सुर्खियों में बनें रहते होंगे। जी हां ऐसी ही एक कहानी पेटीएम के संस्थापक विजय शेखर की है। उनके मुताबिक उन्हें आज भी सामान्य जीवन जीना पसंद है और वो आज भी ठेले पर भोजन करते हैं और सड़क के किनारे लगने वाली चाय की दुकानों पर चाय पीना पसंद करते हैं।
वैसे आज विजय शेखर पैसे के मामले में पहले वाले विजय नही रहें हैं, तो आइए जानते हैं उनके जीवन से जुड़ी दिलचस्प कहानी…
बता दें कि पेटीएम के 2.5 अरब डॉलर के आईपीओ के बाद कंपनी के मौजूदा और पूर्व कर्मचारी करोड़पति बन जाएंगे। जी हां बताया जा रहा है कि करीब 350 कर्मचारियों के पास कम से कम एक करोड़ की नेटवर्थ होगी और आज के समय में पेटीएम देश की सबसे कीमती कंपनियों में शामिल हो गई है। ऐसे में क्या आपको पता है कि पेटीएम के संस्थापक विजय शेखर जो कि साल 2017 में भारत के सबसे युवा अरबपति बने, कभी केवल 10 हजार रुपये महीने कमाते थे और उनकी शादी भी नहीं हो पा रही थी।
गौरतलब हो कि विजय शेखर ने एक अंतरराष्ट्रीय मीडिया को बताया था कि, “साल 2004-05 में मेरे पिता ने मुझसे कहा कि ये कंपनी बंद कर दो और कोई 20-30 हजार वाली नौकरी कर लो। उस समय मैं एक छोटी सी कंपनी चलाता था और मोबाइल कंटेंट बेचा करता था। कोई भी शादी के लिए आता था तो दोबारा कॉल नहीं करता था क्योंकि उसे पता चल जाता था कि लड़का महीने में केवल 10 हजार रुपये कमाता है। ऐसे में मुझे शादी के लायक नहीं समझा जाता था।”
वहीं बता दें कि उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में जन्मे विजय शेखर के पिता स्कूल में पढ़ाते थे और मां गृहिणी थीं। विजय शेखऱ ने बताया था कि उन्हें आज भी सड़क के किनारे ठेले पर खाना पसंद है और पटरी पर चाय पीना पसंद हैं। विजय शेखर ने बताया कि, “लंबे समय तक मेरे मां-बाप को पता ही नहीं था कि बेटा क्या कर रहा है।”
इसके आगे उन्होंने कहा कि, जब चीन की कंपनी ने पेटीएम में साल 2015 में निवेश किया तो एक बार मेरी मां हिंदी का अखबार पढ़ रही थीं। नेटवर्थ के बारे में पढ़कर उन्होंने मुझसे पूछा कि, “विजय ये लोग जितना कह रहे हैं, क्या वाकई में तुम्हारे पास इतना पैसा है?”
इसके अलावा बता दें कि विजय की पढ़ाई हिंदी मीडियम से हुई थी। बाद में उन्होंने दिल्ली कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से इलेक्ट्रॉनिक कम्युनिकेशन में इंजीनियरिंग की। जब उन्होंने पहली कंपनी शुरू की तो उन्हें 24 प्रतिशत के दर से लोन लेना पड़ा था। साल 2011 में उन्होंने पेटीएम की शुरुआत की जो कि पे थ्रू ऐप का शॉर्ट टर्म है। वहीं मालूम हो कि फोर्ब्स पत्रिका ने विजय शेखर शर्मा की संपत्ति 2.4 अरब डॉलर यानी भारतीय रुपयों में लगभग सवा खरब रुपये आंकी है।
नोटबंदी ने खोली विजय शेखर की किस्मत…
आख़िर में बता दें कि पेटीएम की शुरुआत एक दशक पहले ही हुई है। तब यह सिर्फ मोबाइल रिचार्ज कराने वाली कंपनी थी। लेकिन ऊबर ने भारत में इस कंपनी को अपना पेमेंट पार्टनर बनाया तो पेटीएम की किस्मत बदल गई, लेकिन पेटीएम के लिए पासा पलटा वर्ष 2016 में जब भारत में अचानक एक दिन बड़े नोटों को बैन कर दिया गया और डिजिटल पेमेंट्स को बढ़ावा दिया गया।