जानिए कौन है पीएम मोदी को तोहफा देने वाली ये महिला? हर तरफ हो रही है चर्चा
देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राष्ट्रपति भवन में पद्मश्री पुरस्कार विजेताओं को सम्मानित किया। इन्हीं में से एक मध्य प्रदेश की भूरी बाई लगातार सुर्खियों में बनी हुई है। भूरी बाई को कला के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने के लिए पद्मश्री अवार्ड से नवाजा गया है। इसी बीच वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को तोहफा देने के बाद लगातार चर्चा में हैं।
दरअसल, पीएम नरेंद्र मोदी भगवान बिरसा मुंडा की जयंती पर भोपाल पहुंचे थे जहां जंबूरी मैदान में जनजाति गौरव दिवस समारोह का आयोजन था। इस दौरान नरेंद्र मोदी का भव्य स्वागत हुआ साथ ही उनके स्वागत में पारंपरिक नृत्य भी किया गया। इसके अलावा उन्हें तोहफे के रुप में पद्मश्री से सम्मानित भूरी बाई ने एक जनजाति कलाकृति को दर्शाती हुई पेंटिंग भेंट की है जो सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है। इसके साथ हर कोई भूरी बाई के बारे में जानना चाह रहे हैं। आइए जानते हैं भूरी बाई के बारे में।
बता दें, भूरी बाई मध्यप्रदेश के झाबुआ जिले के पिटोल गांव की रहने वाली है। बचपन से ही उन्हें चित्रकारी का बहुत शौक था। भूरी बाई का बचपन बेहद गरीबी में बीता। शुरुआत में भूरी बाई अपने गांव में घरो की दीवारों पर ही पेंटिंग बनाया करती थी, फिर धीरे-धीरे उनकी पेंटिंग गांव से शहर और शहर से पूरी दुनिया में मशहूर हो गई।
गरीब होने के कारण भूरी भाई भोपाल में आकर मजदूरी करने लगी, साथ ही उन्होंने यहां पर पेंटिंग का काम भी शुरू किया। इस दौरान उनकी पेंटिंग को खूब पसंद किया गया। फिर उन्हें भोपाल के भारत भवन में पेंटिंग करने का मौका मिला। इसके बाद देखते ही देखते भूरी बाई दुनिया की मशहूर कलाकार बन गई।
इतना ही नहीं बल्कि भूरी बाई की बनाई गई पेंटिंग न सिर्फ देश बल्कि विदेशों में भी मशहूर है। खास बात ये हैं कि, भूरी बाई की पेंटिंग अमेरिका में लगी वर्कशॉप में भी चर्चित रही थी।
बता दें, साल 1986-87 में भूरी बाई को मध्य प्रदेश सरकार की तरफ से सर्वोच्च पुरस्कार शिखर सम्मान से भी नवाजा जा चुका है। इसके अलावा उन्हें साल 1998 में मध्य प्रदेश सरकार ने अहिल्या सम्मान से भी सम्मानित कर दिया। आज भूरी बाई का इतना नाम है कि, वह देश के अलग-अलग जिलों में आर्ट और पिथोरा आर्ट पर वर्कशॉप का आयोजन करवाती है।
बता दें, भूरी बाई अपनी कलाकारी में भील देवी-देवताएं, पोशाक, गहने और टैटू, झोपडि़यां, अन्नागार, हाट, जैसी कई चीजों की चित्रकारी करती है।
वहीं पद्मश्री अवॉर्ड मिलने पर भुरी बाई ने कहा कि, “ये पुरस्कार मुझे आदिवासी भील पेंटिंग करने के लिए मिला है, मैंने मिट्टी से पेंटिंग की शुरुआत की थी। मैं भोपाल के भारत भवन में मज़दूरी करती थी और उसके साथ पेंटिंग भी बनाती थी। मेरी पेंटिंग आज देश विदेश में जाती है। मैं बहुत खुश हूं।”