तुलसी विवाह कब और कैसे मनाएं, क्यों मनाते हैं देव उठनी एकादशी ?
तुलसी पूजन से होता है यह लाभ, भगवान विष्णु देते हैं साक्षात दर्शन
कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को देव उठनी एकादशी मनाई जाती है। इस दिन की मान्यता है कि भगवान विष्णु 4 महीने की योग निद्रा के बाद अपने भक्तों को मंगल करने के लिए भक्तों के समक्ष प्रकट हो जाते हैं। इसी दिन तुलसी पूजन करने का भी विधान है। इस दिन तुलसी के पौधों को खूब अच्छी तरह से सजाया जाता है।
उचित वस्त्र रखे जाते हैं और फिर मां तुलसी की शादी भगवान विष्णु के साथ धूमधाम से की जाती है। शास्त्रों में इस तुलसी विवाह का विशेष महत्व बताया गया है। ऐसी मान्यता है कि तुलसी विवाह करने वाले भक्तों के लिए, मां तुलसी सदैव उनके जीवन को स्वस्थ और मंगलकारी बनाए रखती हैं, इसलिए पूजकों के लिए तुलसी पूजन का दिन बहुत फलदायी होता है,
इसलिए देव उठनी एकादशी के दिन तुलसी विवाह को बहुत लाभप्रद माना गया है। देवउठनी एकादशी के दिन शुभ मुहूर्त में तुलसी विवाह करने वाले भक्तों पर भगवान विष्णु की साक्षात कृपा होती है।
इस साल रविवार यानी 14 नवंबर को देव उठनी एकादशी है। इस बार एकादशी 14 नवंबर सुबह 5 बजकर 48 मिनट से 15 नवंबर की सुबह 6 बजकर 39 मिनट तक है। इस प्रकार से 14 और 15 नवंबर दोनों दिन एकादशी है, लेकिन 14 नवंबर को एकादशी की सबसे लंबी अवधि है, इसलिए इस बार 14 नवंबर को ही तुलसी विवाह करना चाहिए। जो भक्त गण देवउठनी एकादशी का व्रत रखते हैं वह द्वादशी को पारण कर सकते हैं। द्वादशी तिथि 16 नवंबर, मंगलवार को सुबह 8 बजकर 1 मिनट तक रहेगी।
कार्तिक शुक्ल एकादशी को मां तुलसी का विवाह शालिग्राम से किया जाता है, और महिलाएं इस दिन मां लक्ष्मी का व्रत रखती हैं। इस दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करने के बाद स्वच्छ वस्त्र पहनना चाहिए। वस्त्र धारण के बाद व्रत का संकल्प लेना चाहिए। देवउठनी एकादशी को भगवान विष्णु की पूजा कर घर और मंदिर में दीप प्रज्वलित करनी चाहिए।
इस दिन भगवान विष्णु को पीले फूल अर्पित करने चाहिए। एकादशी के दिन भोग लगाते समय भगवान विष्णु को तुलसी का भोग जरूर लगाना चाहिए। इससे भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं, अन्यथा वह भोग को स्वीकार नहीं करते।
कार्तिक शुक्ल एकादशी के दिन मां तुलसी को अच्छे तरीके से सजा कर, लाल चुनरी ओढ़ाकर पूजा करनी चाहिए। मां तुलसी को सजाते समय इस बात का विशेष ध्यान रहना चाहिए कि मां तुलसी पर गलती से भी जल का एक बूंद भी न जाए क्योंकि ऐसी मान्यता है कि इस दिन मां तुलसी भी भगवान विष्णु के लिए व्रत रखती हैं।
तुलसी मां को सजाने के बाद विधि-विधान से शालिग्राम के साथ शादी करें । भोग लगाने के बाद सभी को प्रसाद वितरण करें। इस दिन विशेष लाभ पाने के लिए विष्णुसहस्त्रनाम का पाठ करना चाहिए।