मीना कुमारी की मौत पर नरगिस ने दी मुबारकबाद, लिखित में कहा- वापस इस दुनिया में मत आना, जानें वजह
हिंदी सिनेमा के इतिहास में अब तक एक से बढ़कर एक अभिनेत्रियां हुईं हैं. कई अभिनेत्रियों ने अपनी अदाकारी के साथ ही अपनी गजब की ख़ूबसूरती से भी फैंस का दिल जीता है. गुजरे जमाने की दो बेहद लोकप्रिय और ख़ूबसूरत अदाकारा मीना कुमारी और नरगिस दत्त भी इसी सूची में शामिल है.
मीना कुमारी और नरगिस दत्त दोनों ही आज इस दुनिया में नहीं है. इन दोनों ही अभिनेत्रियों ने हिंदी सिनेमा में बड़ा और ख़ास मुकाम हासिल किया था. सालों पहले दोनों अदाकाराएं इस दुनिया को अलविदा कह चुकी है हालांकि इनके किस्से आज भी खूब चर्चित है. दोनों से जुड़ा एक किस्सा काफी चर्चा में रहा जो कि मीना कुमारी के निधन के समय का है.
बताया जाता है कि मीना कुमारी और नरगिस दत्त दोनों अच्छी दोस्त भी थीं. ऐसे में जब मीना कुमारी ने इस दुनिया को अलविदा कहा था तो उन्हें अंतिम विदाई देने नरगिस भी पहुंची थी. हालांकि नरगिस ने मीना के लिए कुछ ऐसे शब्दों का उपयोग कर दिया था जो कि चर्चा का विषय बन गए थे. मीना को मौत पर नरगिस ने मुबारकबाद दी थी. आइए इस पूरे किस्से के बारे में विस्तार से बात करते हैं.
आपको जानकारी के लिए बता दें कि, मीना के निधन के बाद नरगिस ने मीना के लिए एक लेख लिखा था और नरगिस ने मीना को मुबारकबाद देते हुए कहा था कि फिर कभी इस दुनिया में मत आना. मशहूर अभिनेता संजय दत्त की मां और दिवंगत अभिनेता सुनील दत्त की पत्नी नरगिस ने लेख में लिखा था कि, “मौत मुबारक हो. मैंने यह बात पहले नहीं कहा है, लेकिन मीना आज तुम्हारी बाजी तुम्हें मुबारकबाद देती है और कहती है कि इस दुनिया में दोबारा कभी मत आना.”
मीना और नगरिस के बीच एक ख़ास रिश्ता था. अपनी दोस्त को मीना ‘बाजी’ कहती थी. नरगिस का लेख उर्दू मैगजीन में पब्लिश हुआ था जिसमें आगे लिखा था कि, “यह दुनिया तुम्हारे जैसे लोगों के लायक नहीं है.” आगे एक किस्से को याद करते हुए नरगिस ने लिखा था कि, ‘मैं चुप रहूंगी’ फिल्म के दौरान सुनील साहब ने मुझे सेट पर बच्चों के साथ बुलाया था. जब मैं उनके साथ डिनर पर गई तो मीना ने ही संजय और नम्रता का ख्याल रखा.”
मीना को लेकर नरगिस ने आगे लिखा था कि, “एक रात मैंने मीना को बगीचे में हांफते हुए देखा. मैंने उनसे कहा कि आप आराम क्यों नहीं करतीं, जिसपर उन्होंने जवाब दिया, बाजी आराम मेरी किस्मत में नहीं है. मैं केवल एक बार ही आराम करूंगी. उस रात उनके कमरे से हिंसा की भी आवाजें आई थीं. अगले दिन मैंने देखा कि मीना की आंखें सूजी हुई थीं.”
लेख में आगे लिखा था कि, “कुछ समय बाद मुझे सुनने को मिला कि मीना, कमाल साहब के घर से चली गई हैं. बकर के साथ उनकी काफी लड़ाई हुई थी, जिसके बाद वह वापस आई ही नहीं. शराब की लत ने मीना के फेफड़े खराब कर दिये थे. जब मैं उनसे नर्सिंग होम में मिलने गई तो उन्होंने कहा, मेरे सब्र की भी सीमा है बाजी. कमाल साहब के सचिव ने मेरे ऊपर हाथ कैसे उठाया. जब मैंने शिकायत की तो उन्होंने कुछ भी नहीं किया. मैंने तय कर लिया है कि मैं वापस नहीं जाऊंगी.”
बता दें कि, मीना कुमारी का निधन कम उम्र में ही हो गया था. वे काफी मात्रा में शराब का सेवन किया करती थीं और इस वजह से साल 1972 में महज 39 साल की उम्र में उनका निधन हो गया था.
नरगिस भी अब इस दुनिया में नहीं है. साल 1981 में 52 साल की उम्र में नरगिस ने मुंबई में दुनिया को अलविदा कह दिया था.