मां-बाप का छूटा साथ तो मांगनी पड़ी थी भीख, जानिए ट्रांसजेंडर मंजम्मा की पूरी कहानी…
भीख मांगने के दौरान यौन शोषण का शिकार हो चुकी हैं पद्म श्री विजेता मंजम्मा जोगाती। जानिए...
हाल ही में भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (President Ram Nath Kovind) ने देश के अलग-अलग हिस्सों से आने वाले कई टैलेंटेड लोगों को पद्म श्री (Padma shri) अवॉर्ड से सम्मानित किया। इस लिस्ट में कर्नाटक की ट्रांसजेंडर फोक डांसर मंजम्मा जोगाती (manjamma Jogathi) भी शामिल हैं। बता दें कि मंजम्मा पहली ट्रांसजेंडर महिला हैं जिन्हें पद्म श्री अवॉर्ड से सम्मानित किया गया है। तो आइए आज हम आपको बताते हैं उन्हीं से जुड़ी कहानी…
बता दें कि कर्नाटक की ट्रांसजेंडर लोक नृत्यांगना मंजम्मा जोगती को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मंगलवार को पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया। मंजम्मा जोगती को यह सम्मान लोक नृत्य में उनके योगदान के लिए दिया गया है। वहीं सम्मान प्राप्त करने के दौरान मंजम्मा ने राष्ट्रपति का एक अनोखे अंदाज में अभिवादन किया। गौरतलब हो कि मंजम्मा का जन्म 50 के दशक में बल्लारी जिले के कल्लुकंब गांव में मंजुनाथ शेट्टी के रूप में हुआ था। उन्होंने 10 वीं तक पढ़ाई की।
अपनी शुरुआती जीवन को लेकर उन्होंने कहा कि 15 साल की उम्र में उन्हें लड़िकयों के साथ खेलना, रहना पसंद था। इस उम्र तक आते-आते उन्होंने खुद को एक महिला के रूप में पहचानना शुरू कर दिया था। उनके हाव-भाव भी लड़कियों जैसे ही थे और किशोरावस्था से ही उनके इस व्यवहार को देख उनके माता पिता काफी परेशान रहने लगे। उन्होंने कई डॉक्टरों को दिखाया, मंदिरों में अनुष्ठान करवाया। लेकिन इन सबसे मंजम्मा में कोई बदलाव नहीं आया।
ऐसे में परिजनों को विश्वास हो गया था कि मंजूनाथ में ट्रांसजेंडर वाले गुण हैं। ऐसे में 1975 में वे उन्हें हुलीगेयम्मा मंदिर ले गए। जहां जोगप्पा बनाने की दीक्षा दी जाती है। बता दें कि जोगप्पा या जोगती, वह ट्रांस पर्सन होते हैं, जो खुद को देवी येलम्मा से विवाहित मानते हैं। ये देवी के भक्त होते हैं। देवी येलम्मा को उत्तर भारत में रेणुका के नाम से जाना जाता है। यहीं से मंजुनाथ शेट्टी का नाम मंजम्मा जोगती हो गया। हालांकि इस बदलाव के बाद उन्हें घर जाने की अनुमित नहीं मिली।
इसके बाद मंजम्मा ने सड़कों पर भीख मांगने की अपनी अकेली यात्रा शुरू की। इस दौरान उनका यौन शोषण भी हुआ। जिससे विचलित होकर उन्होंने आत्महत्या करने की सोची। लेकिन उस दौरान उनकी मुलाकात एक पिता और पुत्र से हुई, जिन्होंने उन्हें जोगती नृत्य सिखाया। जिसके बाद उनके जीवन को एक नई दिशा मिली।
वहीं मंजम्मा ने जोगती नृत्य सीखा, उनके लगाव को देखते हुए उनके एक जोगप्पा साथी ने उनकी मुलाकात एक लोक कलाकार कालव्वा से करवाई। वहां से मंजम्मा में और निखार आया और कालव्वा ने उन्हें नाटकों में छोटे-मोटे रोल देने लगे। बाद में कालव्वा की मौत के बाद, मंजम्मा ने उनकी मंडली को संभाला। आगे चलकर मंजम्मा जोगती के नाम से शो चलने लगे और मंजम्मा जोगती नृत्य की पहचान बन गई।
#WATCH | Transgender folk dancer of Jogamma heritage and the first transwoman President of Karnataka Janapada Academy, Matha B Manjamma Jogati receives the Padma Shri award from President Ram Nath Kovind. pic.twitter.com/SNzp9aFkre
— ANI (@ANI) November 9, 2021
वहीं एक प्रसिद्ध भारतीय ट्रांसजेंडर कार्यकर्ता अक्कई पद्मशाली ने एक मीडिया संस्थान से बातचीत करते हुए कहा कि, “जहां तक मंजम्मा के पुरस्कार का सवाल है, मैं बहुत खुश हूं कि वह पूरे समुदाय का प्रतिनिधित्व कर रही हैं। मैं अपने समुदाय की तरफ से भारत सरकार को धन्यवाद देता हूं, जिसने मंजम्मा को सम्मानित करके ट्रांसजेंडर समुदाय के योगदान पर विचार किया है।” इसके अलावा दूसरी तरफ़ मंजम्मा को अवॉर्ड से सम्मानित किए जाने पर कई लोगों ने सवाल खड़े किए हैं।
कुछ नेटीजन्स ने दावा किया है कि सरकार LGBTQ समुदाय के सदस्यों को मोहरे के रूप में इस्तेमाल कर रही है। जिसके बाद अब कंगना रनौत जिन्हें खुद इस बड़े सम्मान से सम्मानित किया गया है, उन्होंने इस मुद्दे पर अपनी बात रखी है। देखें कंगना की पोस्ट…
आख़िर में जानकारी के लिए बता दें कि साल 2006 में मंजम्मा जोगती को कर्नाटक जनपद अकादमी अवॉर्ड दिया गया। फिर साल 2010 में कर्नाटक राज्योत्सव सम्मान। वहीं आज वह ‘कर्नाटक जनपद अकादमी’ की पहली ट्रांसजेंडर अध्यक्ष हैं। अब तक इस पद पर सिर्फ पुरुष ही चुने जाते थे। यह अकादमी साल 1979 में बनी थी। इस संस्था का काम राज्य में लोक कला को आगे बढ़ाना है।