फिल्मों में 182 बार मिली मौत, फिर सच में हुआ मौत से सामना तो लोगों को लगा एक्टिंग कर रहे
बॉलीवुड फिल्मों में हीरो के अलावा विलेन भी एक महत्वपूर्ण किरदार होता है। विलेन जितना ज्यादा दमदार होता है उसे हराने के बाद हीरो उससे भी ज्यादा पॉवरफूल कहलाता है। फिल्मों में कई दशकों से विलेन दिखाई दे रहे हैं। ये समय के साथ बदलते रहते हैं। आशीष विद्यार्थी भारतीय फिल्मों के जाने माने एक्टर और विलेन हैं। उन्होंने कई फिल्मों में विलेन का रोल किया है। हिंदी फिल्मों के अलावा वे तमिल, तेलुगु, मलयालम, कन्नड़ और बंगाली भाषा में बनी कई फिल्मों में काम कर चुके हैं।
फिल्मों में 182 बार हुई मौत
आशीष के फिल्मी करियर की खास बात ये रही कि वह अभी तक फिल्मों में 182 बार मर चुके हैं। वे बॉलीवुड के एक ऐसे एक्टर हैं जो फिल्मों में सबसे ज्यादा बार मरे हैं। भारतीय फिल्मों में जब भी हीरो और विलेन की फाइट होती है तो अंत में हीरो की जीत होती है और विलेन को मार दिया जाता है। कुछ मामलों में उसे पुलिस के हवाले भी कर देते हैं।
1942: अ लव स्टोरी, बर्फी, बाजी, सरदार, बिच्छू, सरदार, द्रोखल, नाजायज कुछ ऐसी फिल्में हैं जिसमें आशीष ने शानदार काम किया। फिल्मों में भले वह झूठ-मूठ के मरे हो, लेकिन उनकी लाइफ में एक पल ऐसा भी आया जब उनका सच में मौत से सामना हो गया। तब वे मौत के मुंह से बाल-बाल बचकर लौटे थे। चलिए उनका यह दिलचस्प किस्सा थोड़ा और विस्तार से जानते हैं।
जब रियल लाइफ में हुआ मौत से आमना-सामना
एक फिल्म की शूटिंग के दौरान आशीष विद्यार्थी मरते मरते बचे थे। फिल्म में एक सीन था जिसमें उन्हें पानी में उतरना था। हालांकि आशीष पानी की गहराई का सही अंदाजा नहीं लगा पाए। वह गलती से ज्यादा गहरे पानी में चले गए। सीन में उन्हें डूबने की एक्टिंग करनी थी। लेकिन वह गहरे पानी में सच में डूबने लगे थे। ऐसे में वहां मौजूद लोगों को लगा कि वे डूबने का अभिनय कर रहे हैं।
पुलिसवाले ने दिया था नया जीवन
आशीष विद्यार्थी को पानी में डूबते हुए बचाने कोई नहीं आया। सभी इसी गलतफहमी में रहे कि वे एक्टिंग कर रहे हैं। हालांकि वहां मौजूद एक पुलिसवाले को आशीष विद्यार्थी की छटपटाहट देख शक हुआ। ऐसे में वह भागते हुए गए और पानी में कूद गए। उन्होंने डूबते हुए आशीष को बचाकर बाहर निकाल लिया। तब जाकर लोगों को पता चला कि वे असली में डूब रहे थे। यदि उस दिन वह पुलिसवाला समझ न पाता तो शायद आशीष हमारे बीच नहीं होते।
आशीष विद्यार्थी की फिल्मों की बात करें तो वे बाजी, नाजायज, जीत, भाई, हसीना मान जाएगी, अर्जुन पंडित, जानवर,दौड़, जिद्दी, मेजर साब, सोल्जर, वास्तव, बादल, रिफ्यूजी, एक और एक ग्यारह, एलओसी कारगिल, कहो ना प्यार है, बिच्छू, जोरू का गुलाम, जाल, किस्मत, शिकार, जिम्मी, रक्तचरित्र, बर्फी, राजकुमार, हैदर, अलीगढ़ और बेगम जान जैसी फिल्मों का हिस्सा रह चुके हैं। उन्हें ‘द्रोहकाल’ के लिए उन्हें बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर कैटेगरी में नेशनल अवॉर्ड भी मिल चुका है।