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पंखे से लटके मिले जैन संत विमद महाराज, नहीं मिला कोई सुसाइड नोट, इलाके में मचा हड़कंप

आत्महत्या करना एक बड़ा कदम होता है। कुछ लोग छोटी-छोटी बातों पर अपनी जिंदगी समाप्त कर लेते हैं। वहीं कुछ बहुत बड़ी समस्या या दिमाग पर अधिक तनाव होने के चलते ऐसा कदम उठाते हैं। आत्महत्या बच्चे से लेकर बूढ़े तक, अनपढ़ से लेकर पढ़े लिखे और महान विद्वान तक कोई भी कर सकता है।

अब मध्य प्रदेश के इंदौर का यह दुखद मामला ही ले लीजिए। यहां शनिवार शाम करीब 5 बजे दिंगबर जैन संत आचार्य श्री 108 विमद सागर महाराज (jain sant acharya shri vimad sagar maharaj) ने फांसी लगा अपनी जीवनलीला समाप्त कर ली। इस घटना के बाद इलाके में हड़कंप मचा गया और सैकड़ों श्रद्धालु संत को देखने जमा हो गए।

चातुर्मास के लिए आए थे इंदौर

jain sant acharya shri vimad sagar maharaj

आचार्य विमद सागर चातुर्मास के लिए 3 दिन पहले ही इंदौर आए थे। यहां वे इंदौर के परदेशीपुरा के दिगंबर जैन मदिंर में रुके हुए थे। परदेशीपुरा थाना टीआइ पंकज द्विवेदी ने बताया कि आचार्य के आत्महत्या की सूचना विमद सागर के सेवक अनिल पुत्र विमल कुमार जैन ने दी थी। सेवक ने बताया कि आचार्य दोपहर को विश्राम करने अपने कक्ष में गए थे। जाने से पहले उन्होंने कहा था कि आज विहार के लिए रवाना होना है। ऐसे में अनिल आचार्य का सामान पैक कर उनका इंतजार करने लगा। फिर जब शाम हुई तो वह आचार्य को उठाने गया।

टेबल पर चढ़ पंखे से झूले

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सेवक अनिल ने आचार्य को तीन-चार आवाज लगाई। जब अंदर से कोई जवाब नहीं मिला तो खिड़की से झांककर देखा। अंदर आचार्य पंखे से लटके हुए थे। ऐसे में सेवक ने छड़ी से दरवाजे की कुंडी खोली और अंदर गए। एसआइ अजयसिंह कुशवाह ने बताया कि आचार्य ने टेबल पर चढ़ कर रस्सी के माध्यम से पंखे पर फासी लगाई थी।

नहीं मिला कोई सुसाइड नोट

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सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर आई और कमरे की तलाशी ली। उन्हें कमरे से कोई भी सुसाइड नोट नहीं मिला है। फिलहाल शुरुआती जांच में आचार्य के आत्महत्या करने के कारणों का भी पता नहीं चला है। फिलहाल पुलिस मामले की जांच कर रही है। वह आचार्य से जुड़े लोगों से पूछताछ कर रही है। उधर आचार्य के मौत की खबर सुन समाज के लोग जमा हो गए। उन्होंने फंसी की बात से इनकार कर रात को ही पोस्टमार्टम कराने की अनुमति मांगी। पुलिस ने मौके पर फरेंसिक टीम को बुलवा कमरे की वीडियोग्राफी भी कारवाई।

अपनाया था आजीवन ब्रह्मचर्य व्रत

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संत विमद सागर महाराज सागर जिले के शाहगढ़ के रहने वाले थे। उनका असली नाम संजय कुमार जैन था। उनका जन्म 9 नवंबर 1976 को हुआ था। उनके पिता का नाम शीलचंद चैन और माता का नाम सुशीला है। उन्होंने 8 अक्टूबर 1992 को आजीवन ब्रह्मचर्य व्रत लिया था। उन्होंने 28 जनवरी 1996 में सागर मंगलगिरि में आचार्य श्री विराग सागर महाराज से क्षुल्लक दीक्षा ली थी। फिर 28 जून 1998 को शिकोहाबाद के शोरीपुर में ऐलक दीक्षा ली थी। वहीं 14 सितंबर 1998 को भिंड के बरासो में विराग सागर जी महाराज से मुनि दीक्षा ली थी। वे इंदौर में चातुर्मास के लिए आने के पूर्व रतलाम में रुके थे।

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