अब सरकार को एयर इंडिया ने उधार में टिकट देना किया बंद, विभागों को नगद टिकट खरीदने के निर्देश
सरकारी एयरलाइंस कंपनी एयर इंडिया को टाटा संस ने बोली लगाकर खरीद लिया है। बता दें कि एयर इंडिया की बिक्री प्रक्रिया में टाटा ने सबसे अधिक कीमत की बोली लगाई थी जिसके बाद अब एयर इंडिया की कमान टाटा ग्रुप के पास आ चुकी है यानी कि अब एयर इंडिया प्राइवेट हो गई है। कुछ दिनों पहले ही टाटा समूह ने इसको खरीद लिया है। अब ऐसे में उन अधिकारियों को सबसे ज्यादा परेशानी होने वाली है जो अभी तक सरकारी खर्चे पर हवाई यात्रा का आनंद ले रहे थे।
जी हां, अब एयर इंडिया का नियंत्रण टाटा कंपनी के पास होगा। अब विमान कंपनी एयर इंडिया प्राइवेट हो चुकी है, इसके प्राइवेट होते ही एक बड़ा कदम उठाया गया है, जिसके अंतर्गत अब केंद्र सरकार के मंत्रालय या विभाग उधार में एयर इंडिया से अब हवाई टिकट नहीं खरीद पाएंगे। यानी कि एयर इंडिया ने अब सरकार को उधार में टिकट देना बंद कर दिया है।
एयर इंडिया के इस फैसले के बाद वित्त मंत्रालय ने सभी मंत्रालयों और विभागों को यह निर्देश दिया है कि अगले आदेश तक एयर इंडिया से उधार में टिकट नहीं खरीदे जाएं। वित्त मंत्रालय ने सभी मंत्रालयों और विभागों से एयर टिकट का बकाया रकम तुरंत चुकाने के भी निर्देश दिए हैं और एयरलाइन से टिकट को नकद खरीदने का आदेश दिया है। यह जानकारी एयर इंडिया के द्वारा दी गई है, इसके बारे में वित्त मंत्रालय ने मेमोरेंडम भी जारी किया है।
अब आप जान लीजिए कि आखिर सरकारी खर्च पर यात्रा की सुविधा कब से शुरू हुई थी। तो आपको बता दें कि एयर इंडिया ने साल 2009 से ऐसी सुविधा थी कि घरेलू और अंतरराष्ट्रीय हवाई उड़ानों के मामले में भारत सरकार के मंत्रालयों और विभागों के अधिकारी सरकारी खर्च पर यात्रा कर सकते हैं। हवाई सफर की टिकट का खर्च बाद में एयर इंडिया और सरकार के बीच में सेटल होता था परंतु पिछले कई सालों से भारत सरकार पर एयर इंडिया का काफी बकाया था।
अब सरकार ने एयर इंडिया का विनिवेश कर दिया है और यह टाटा समूह के पास वापस जा चुकी है इसलिए विमान कंपनी ने हवाई टिकट की खरीद पर उधार की फैसिलिटी बंद कर दी है। जारी किए गए मेमोरेंडम में यह बात कही गई है कि मंत्रालय विभाग के अधिकारी अगले निर्देश तक एयर इंडिया की टिकट नगद खरीद सकते हैं।
आपको बता दें कि टाटा ग्रुप ने साल 1932 में एयर इंडिया की स्थापना की थी। जी हां, सबसे पहले एयर इंडिया टाटा ग्रुप की ही थी, जिसकी स्थापना जेआरडी टाटा ने की थी और वह खुद एक पायलट थे। जिस समय इसकी स्थापना की गई थी उस दौरान उसका नाम टाटा एयरलाइंस था। वही दूसरे विश्वयुद्ध के बाद इसका राष्ट्रीयकरण किया गया। 1947 में आजादी मिलने के बाद सरकार ने इसमें 49 फ़ीसदी हिस्सेदारी खरीद ली, जिसके बाद इसका नाम एयर इंडिया हो गया।
आपको बता दें कि इस कंपनी के फाउंडर जेआरडी टाटा से मालिकाना हक सरकार ने साल 1953 में खरीद लिया था जिसके बाद कंपनी का नाम एयर इंडिया इंटरनेशनल लिमिटेड हो गया था परंतु 68 साल के बाद फिर से एयर इंडिया टाटा ग्रुप के पास आ गई। जी हां, सालों बाद इस कंपनी का मालिकाना हक फिर से टाटा ग्रुप को मिल गया। इससे पहले 2018 में भी एयर इंडिया को बेचने की कोशिश सरकार के द्वारा की गई थी परंतु सरकार की यह कोशिश नाकाम साबित हुई।