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दीपावली की रात करें मातंगी यंत्र साधना, दुखों से मिलेगी छुट्टी, सुख की होगी एंट्री
इंसान के जीवन में सुख और दुख आते रहते हैं। शायद ही कोई ऐसा होगा जिसके जीवन में कभी कोई दुख नहीं आया हो। कोई अपनी शादी न होने को लेकर परेशान है, तो कोई संतान सुख न मिलने से दुखी है। वहीं कोई अपने घर में होने वाले कलेश के कारण परेशान रहता है।
समस्याएं कई है लेकिन इनके समाधान बहुत कम हैं। ऐसे में आज हम आपको आपके जीवन की सभी समस्याओं का एक सरल और कारगर उपाय बताने जा रहे हैं। ‘मातंगी यंत्र साधना’ आपके जीवन के सभी कष्टों को दूर कर सकती हैं। तो आखिर क्या है ये ‘मातंगी यंत्र साधना’ और आप इसे कैसे कर सकते हैं? चलिए जानते हैं।
योग्य गुरु के मार्गदर्शन में करें मातंगी यंत्र साधना
तंत्र शास्त्रों को खंगालने पर पता चलता है कि इसमें मातंगी देवी के कई अनुष्ठानो के बारे में बताया गया है। हालांकि इसमें से सबसे जल्दी और अधिक फल देने वाला उपाय मातंगी यंत्र साधना है। इस साधना को किसी योग्य गुरु के सान्निध्य में ही करना चाहिए। हालांकि आप इसे योग्य गुरु का मार्गदर्शन लेकर बाद में स्वयं भी कर सकते हैं।
किस धातु का बना होता है मातंगी यंत्र?
मातंगी साधना करने के लिए आपको मातंगी यंत्र की जरूरत पड़ती है। यह यंत्र आपको बाजार में आसानी से मिल जाता है। यंत्र ताम्र या अष्टधातु बना होना चाहिए। हालांकि यदि आप सक्षम हैं तो रजत या स्वर्ण (चांदी या सोना) से बना यंत्र भी खरीद सकते हैं।
क्या होता है फायदा?
मातंगी साधना में मातंगी मंत्र का उच्चारण भी किया जाता है। इस यंत्र की साधना से कई लाभ होते हैं। जैसे कुछ लोग इस साधना को शारीरिक सुंदरता बढ़ाने के लिए करते हैं, तो वहीं कुछ शीघ्र विवाह और सुखी गृहस्थ जीवन के लिए करते हैं। यदि आपकी शादी नहीं हो रही है या आप अपना मनपसंद जीवनसाथी चाहते हैं तो ये साधना आपके काम की है। इससे पत्नी और पति दोनों का सुख मिलता है। वहीं संतान से जुड़ी समस्या भी हल होती है।
इस विधि से करे साधना
सबसे पहले बाजार से तांबे, चांदी, सोना या अष्टधातु से बना मातंगी यंत्र खरीदकर ले आए। इसके बाद होली या दीपावली की रात पूर्वाभिमुख होकर लाल कंबल का आसन बिछाकर बैठ जाएं। अब एक और लाल कपड़ा लें और उसे एक चौकी पर बिछाकर यंत्र की स्थापना करें। इसके बाद इस यंत्र की पूजा करें। अब साधना को पूर्ण करने के लिए यंत्र के सामने मातंगी ध्यान करते हुए इन मंत्रों का जाप करें।
ध्यान मंत्र: श्यामांगी शशिशेखरान्ति्रनयनां रत्नसिंहासनस्थिताम्। वेदैव्र्बाहुदण्डैरसि खेटक पाशांकुशधराम्।।
मातंगी मंत्र: ऊं ह्रीं क्लीं हूं मातंग्यै फट् स्वाह।
आपको इन दोनों मंत्रों की 11 माला जपना है। यह माला स्फटिक या रुद्राक्ष की होना चाहिए।
इन बातों का रखें ध्यान
यह साधना करते समय आपका मन शांत होना चाहिए। मन में कोई बुरे विचार नहीं आने चाहिए। साधना करते समय नए कपड़े ही पहनें। साधना वाले दिन नॉनवेज और नशीले पदार्थों का सेवन न करें। इस दिन बच्चों, महिलाओं और बड़े बूढ़ों का अपमान न करें। जहाँ साधना कर रहे हैं वहाँ साफ सफाई का विशेष ध्यान रखें। गंदगी में की गई साधना सफल नहीं होती है। साधना समाप्त करने के बाद अपने मन की इच्छा जरूर बताएं।