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रूस ने अपने टैंकों का मुंह अफगानिस्तान की तरफ़ मोड़ा, अब जल्द बंद होगी तालिबान की हेकड़ी

तालिबान की अब ख़ैर नहीं, रूस ने संभाल ली है तालिबान को नेस्तनाबूद की जिम्मेदारी

तालिबान ने जबसे 15 अगस्त को काबुल पर कब्ज़ा जमाया है। तभी से पड़ोसी मुल्कों के लिए समस्याएं खड़ी होनी शुरू हो गई है। जी हां तालिबान द्वारा अफगानिस्तान पर अधिपत्य स्थापित करने के बाद न सिर्फ़ वहां के लोगों की जिंदगी दूभर हो गई है, बल्कि तालिबान की बढ़ती ताकत अब ताजिकिस्तान जैसे उसके पड़ोसी देश के लिए भी खतरे की ‌घंटी बनती जा रही है। ऐसे में ताजिकिस्तान का दोस्त रूस अब उसकी मदद के लिए आगे आया है।

Russia and Taliban

बता दें कि तालिबान की बढ़ती ताकत को रोकने के लिए रूस तजाकिस्तान में अपनी सैन्य ताकत बढ़ा रहा है। रूस ने अपने प्रमुख हथियार और सैन्य अधिकारियों को ताजिकिस्तान में तैनात भी किया है। गौरतलब हो कि तजाकिस्तान में रूसी सैन्य अड्डे के प्रमुख कर्नल एवगेनी ओख्रीमेंको ने बताया कि हम नई मशीनों को तैनात करने जा रहे हैं। रूस का 201वां सैन्य अड्डा इस साल के अंत से पहले अपने पुराने लड़ाकू वाहनों को 30 उन्नत T-72B3M टैंकों से बदल जाएगा।

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इसके अलावा ओख्रिमेंको ने कहा कि वर्तमान में, सैन्य अड्डे का आधुनिकीकरण किया जा रहा है। हम कई तरह के मिलिट्री उपकरणों को तैनात करने जा रहे हैं। इस साल के अंत तक अडवांस कॉम्बेट स्पेशिफिकेशन के साथ 30 आधुनिक टी-72 बी3एम टैंकों को तजाकिस्तान में रूसी सैन्य अड्डे तक पहुंचा दिया जाएगा। कमांडर ने कहा कि बेस के मोटर राइफल डिवीजनों को हाल ही में उन्नत बीएमपी -2 आर्मर्ड कॉम्बेट व्हीकल से लैस किया जाएगा।

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वहीं कुछ दिन पहले ऐसी रिपोर्ट आई थी कि ताजिक आतंकी समूह तजाकिस्तान में घुसपैठ करने की फिराक में हैं। इसी पर रूस के एक वरिष्ठ राजनयिक ने कहा कि हम तजाकिस्तान की रक्षा करने के लिए तैयार हैं। ताजिक अफगानिस्तान में दूसरा सबसे बड़ा जातीय समूह है। इस समूह की आबादी तजाकिस्तान की सीमा के नजदीक काफी ज्यादा है। इसके अलावा रूसी मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, पश्तून बहुल तालिबान ने एक विशेष ताजिक आतंकवादी समूह के साथ गठबंधन किया है।

यह ताजिक आतंकी समूह इस समय तजाकिस्तान में घुसपैठ की योजना बना सकता है। ताजिक राष्ट्रपति इमोमाली रखमोन ने पहले तालिबान पर पंजशीर प्रांत की घेराबंदी के दौरान मानवाधिकारों के उल्लंघन का आरोप लगाया है। उन्होंने तालिबान शासन को मान्यता देने से भी इनकार किया है।

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