IIT के छात्र ने लगाई फांसी, सुसाइड नोट में लिखा-‘मां अब और बर्दाश्त नहीं हो रहा, I Quit’…
पापा जिद्दी हैं और मम्मी मजबूर, इसलिए लगा रहा हूँ फांसी। जानिए पूरा मामला...
मध्यप्रदेश देश का दिल कहलाता है, लेकिन इसी एमपी के इंदौर से जो ख़बर निकलकर कर आ रही। वह अपने आप में कई सवाल खड़े कर रही है। जी हाँ इंदौर के नर्मदा वैली डेवलपमेंट अथॉरिटी (NVDA) के अफसर के बेटे सार्थक ने बुधवार रात को फांसी लगा ली। बता दें कि अफसर का बेटा जिस वक्त फांसी लगाता है वह घर पर अकेला होता है।
ऐसे में इस तरीक़े से आत्महत्या करना कोई पहली घटना नहीं जिस पर अचंभित हुआ जाएं, लेकिन जिस तरीके की बातें सार्थक के मौत के बाद उठ रही। वह अपने आपमें कई सवाल खड़े करती है। तो आइए जानते है कि आखिर क्या है पूरा मामला…
बता दें कि आज के समय में बच्चे कई तरीके के दबाव में जीवन जीते हैं। जी हाँ ऐसे कई बच्चें होते जिन्हें जिंदगी आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में माता-पिता का प्यार नहीं मिल पाता, तो वहीं पढ़ाई और करियर का दबाव रहता सो अलग। बता दें ऐसे ही कुछ माहौल से दो चार हो रहा था सार्थक जिसके बाद उसने फांसी लगाना उचित समझा। गौरतलब हो की कि सार्थक का छोटा भाई वात्सल्य आईटी की कोचिंग के लिए गया हुआ था। मां अहमदाबाद में थी और पिता जॉब पर गए थे।
ऐसे में जिस वक्त यह घटना हुई उस वक्त घर में मौजूद कुत्ता बहुत देर से भौंक रहा था, लेकिन पड़ोसियों का ध्यान सार्थक के इस काम की तरफ नहीं गया। वैसे भी महानगरी जीवनशैली में कहाँ किसी के पास समय होता है, ऐसा ही कुछ हुआ सार्थक के मामले में।
बता दें कि पड़ोसियों के अनुसार यह घटना बुधवार देर रात 11:00 बजे के करीब हुई। वहीं जब कॉलोनी के अंदर एंबुलेंस और पुलिस के सायरन की आवाज सुनाई दी। इसके बाद आसपास में रहने वाले लोगों ने घर से बाहर जाकर देखा, तो सार्थक के घर के बाहर भीड़ थी। कुछ देर बाद पता लगा कि सार्थक ने घर के पीछे बनी बालकनी में फांसी लगा ली है।
वहीं रहवासियों ने बताया कि 2 साल पूर्व विजित कुमार अपने परिवार के साथ एनवीडीए कॉलोनी में रहने आए थे। परिवार आसपास वालों से अधिक बातें नहीं किया करता था। दोनों भाई सिर्फ पढ़ाई में ही लगे रहते थे। इसके अलावा पुलिस ने बताया कि नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण के सरकारी आवास में रहने वाले अपर संचालक विजित कुमार विजयवत के बेटे सार्थक ने फांसी लगा ली। सार्थक खड़गपुर से आईआईटी कर रहा था। कुछ दिनों पहले ही इंदौर आया था।
सुसाइड नोट के अंत में लिखा आई क्विट (I Quit)…
बता दें कि सार्थक ने एक सुसाइड नोट लिखा है, जिसमें सबसे अंत में आई क्विट (I Quit) तो पहले और अंदर कई बातें लिखी हुई हैं। उसने लिखा है कि उसने कई उम्मीदों से जेईई की तैयारी की थी। सोचा था कैम्पस एंजाय करूंगा, लेकिन ऑनलाइन असाइनमेंट के चक्कर में फंस गया। उसने लिखा कि पापा जिद्दी हैं और मम्मी मजबूर… उन्हें मुझसे और छोटे भाई वात्सल्य के साथ भी ऐसी बात करनी चाहिए थी, जैसी बात वे अपने भाई और बहनों के साथ करते थे।
इसके अलावा सार्थक ने पिता के बारे में लिखा है कि काश! आप हमारे साथ और भी समय बिताते। देवेंद्र काका जैसी समझ आपमें होती। हालांकि सार्थक ने किसी पर आरोप नहीं लगाए हैं और ना ही किसी को मौत का जिम्मेदार ठहराया है। बताया जाता है कि कैम्पस सिलेक्शन को लेकर भी वह डिप्रेशन में बताया जा रहा था।
वह इंदौर में अपने परिवार के साथ ही रहना चाहता था, लेकिन पढ़ाई के चलते उसे बाहर जाना पड़ा। ऐसे में उसकी मौत का कारण जहां अकेलापन रहा। वहीं, पढ़ाई को लेकर पिता का दबाव लगातार बना रहता था, जिसे वह सहन नहीं कर पाया और उसने फांसी लगा ली।