इजराइल में भी कुछ ऐसा ही होता था, जब भी इजराइल की सैन्य शक्ति किसी आतंकवादी को ढेर करती तो गाजा और फिलिस्तीन जैसे देशों से लाखों समर्थक आ कर उसके पक्ष में खड़े हो जातें। इजराइल ने इससे निपटने के लिए जनाजों में बम विस्फोट करा दिए। इसका परिणाम ये हुई की अब जनाजे में जाने वालों की संख्या में भरी कमी आयी और खुल के समर्थन करने वाले भी चुप हो गए। अब किसी आतंकवादी के जनाजे में 10 से ज्यादा लोगों की भीड़ नहीं होती और वो भी उनके अपने घर वाले होतें हैं।
तरीका भले ही लोगों को गलत लग रहा हो पर इसके परिणाम सबको पसंद आये। भारत भी इस तरीके को अपनाने की फिराक में है। आतंकवाद को रोकने के लिए इसे एक बेहतर कदम भी माना जा रहा है।
बस भारत को ये तय करना है कि उसे आतंकवाद को ख़त्म करना है या उसके साथ ख़त्म हो जाना है।