नए कृषि कानून को वापस लेने के लिए दिल्ली-हरियाणा और यूपी बॉर्डर पर पिछले एक साल से किसान सरकार के खिलाफ आंदोलन करे रहे है. हालांकि इस कानून पर काफी वक़्त पहले ही सुप्रीम कोर्ट द्वारा फैसला आने तक रोक लगा दी गयी थी और देश में यह नया कृषि क़ानून लागू ही नहीं हुई है। लेकिन फर्जी किसानों द्वारा राजनैतिक दलों से प्रेरित हो कर सरकार को अस्थिर करने के लिए यह छद्म आंदोलन चलाया जा रहा है
अब ताज़ा खबर के मुताबिक आंदोलन में बड़ी दरार पड़ती दिख रही है. इसका कारण बने है निहंग. निहंगों के द्वारा महापंचायत बुलाई गई है. किसान आंदोलन से मिल रही ताजा जानकारी के अनुसार निहंगों ने 27 अक्टूबर को महापंचायत बुलाई है.
बता दें कि, कुछ दिन पहले कुंडली बार्डर पर युवक की बर्बर हत्या होने के बाद अब निहंगों ने धरनास्थल से वापस लौटने या रुकने को लेकर यह पंचायत बुलाई है. इसमें बहुमत के आधार पर निर्णय करने की तैयारी की है.
निहंग अब जनमत संग्रह करवाने के बाद अपना फैसला लेंगे. इस महापंचायत को धार्मिक एकता नाम दिया गया है. इस बैठक में जनमत संग्रह के आधार पर आंदोलन में निहंगों का भविष्य तय होगा. उन्हें कृषि कानून विरोध प्रदर्शन से वापस जाना चाहिए या नहीं. इसके साथ ही पुलिस की कार्यवाही पर भी मंथन होना है.
हरियाणा एवं पंजाब के निहंग शामिल होंगे महापंचायत में
निहंग बाबा राजा राम सिंह का इस बारे में कहना है कि, वह कुंडली बार्डर पर किसानों की रक्षा करने के लिए बैठे है. इस आंदोलन की शुरुआत से ही वह किसानों व सिखों की हिफाजत करते आए है. इस महापंचायत में 27 अक्टूबर को सिख कौम के बुद्धिजीविओं के अलावा संगत भी शामिल होने वाले है. हरियाणा व पंजाब के निहंग भी शामिल होने वाले है. इस महापंचायत में निहंग जो फैसला लेंगे, उसे पूरी संगत मानेगी.
निहंगो ने कहा हम भागने वालों में से नहीं है
वहीं कुंडली बॉर्डर पर हत्या के मामले में निहंग राजाराम सिंह ने कहा कि हम भागने वालों में से नहीं हैं. जो भी हमने किया है हम उसे खुलेआम स्वीकार कर रहे है. अदालत में जाकर हमारे साथियों ने स्वीकार किया है कि हमने ही युवक की हत्या की है. पुलिस ने हमें नहीं पकड़ा है हम खुद ही पुलिस के सामने सरेंडर करने गए है.
एसकेएम नेता योगेंद्र यादव को लिया निशाने पर
बाबा राजाराम सिंह ने एसकेएम नेता योगेंद्र यादव को भी अपने निशाने पर लिया है. उन्होंने कहा कि योगेंद्र यादव को एसकेएम ने सिर चढ़ाया हुआ है. वह भाजपा व आरएसएस का बंदा है. वह उनके सामने आकर जवाब देकर दिखाएं. इस मामले में संयुक्त किसान मोर्चा ने बिना पूरा सच जाने खुद को ऐसे अलग कर लिया, जैसे निहंग अपराधी हों. पुलिस ने धर्म के मामले को जाने बिना ही कार्रवाई शुरू कर दी है. हम हमारे धर्म के साथ बेअदबी बर्दाश्त नहीं करेंगे. साथ ही किसी का मनमाना दखल.
इन सभी मुद्दों पर 27 को फैसला होने वाला है. अगर संगत फैसला करेगी तो निहंग यहाँ से वापस चले जाएंगे. संयुक्त किसान मोर्चा इस बारे में सोच ले निहंगों के जाने के बाद इस बॉर्डर पर उनकी हिफाजद करने वाला नहीं बचेगा.
आपको बता दें कि पिछले एक साल के दौरान इस किसान आंदोलन पर कई सवाल उठ चुके है. फिर चाहे 26 जनवरी की घटना हो या फिर पश्चिम-बंगाल से आई युवती के साथ सामूहिक बलात्कार का मामला हो.