बैंक कर्मचारी ने ठुकराए दहेज के छह लाख रुपये, कहा इस घर के लिए आप की बेटी ही असली दहेज है
वर ने एक चांदी का सिक्का उठाया और कहा आपने बेटी दे दी है, यह क्या कम है , जानिए पूरी कहानी.
दहेज प्रथा भारतीय समाज के लिए एक बड़ी समस्या है। लाखों का दहेज और रुपयों से भरा बैग लेकर तो कोई भी शादी कर लेता है, लेकिन ऐसे लोग बहुत कम ही होते हैं जो दहेज से ज्यादा लड़की को महत्व देते हैं। जी हाँ ऐसी ही एक मिसाल पेश की है महोबा के सृजन ने। बता दें कि सृजन खुद यूनियन बैंक ऑफ इंडिया में सहायक मैनेजर के पद पर तैनात हैं। उनके पिता विद्युत विभाग में कार्यालय अधीक्षक पद से सेवानिवृत्त हो चुके हैं।
गौरतलब हो कि सृजन द्विवेदी की शादी छतरपुर में रहने वाले विपिन बिहारी चौबे की बेटी अंशिका चौबे से तय हुई। अंशिका के पिता चरखारी के मोहल्ला जयेंद्र नगर के निवासी महोबा तहसील में कानूनगो के पद पर तैनात हैं। सभी लड़की पक्ष की तरह अंशिका के पिता ने भी शादी तय होने से पहले दहेज के लेन देन की बात की, लेकिन सृजन के पिता ने उनकी बात को टाल दिया और शादी की तैयारियों के बारे में बात करने लगे।
दहेज है अभिशाप…
बता दें कि इस कुरीति पर छतरपुर के सृजन द्विवेदी ने प्रहार कर एक मिसाल कायम की है। उन्होंने चरखारी के जयेंद्र नगर निवासी अंशिका के साथ सगाई की और ससुर ने जब दहेज में रूप में लाखों रुपये दिए तो उसे लौटा दिया और कहा कि दुल्हन ही दहेज है।
दामाद की बात सुन ससुर ने लगाया गले …
गौरतलब हो कि सगाई वाले दिन अंशिका के पिता ने सृजन को थाली में 6 लाख रुपए और कुछ चांदी के सिक्के रख के दिए, लेकिन सृजन ने थाली से एक चांदी का सिक्का उठा लिया और सारे पैसे अंशिका के पिता को वापस कर दिए। ये देखकर सगाई में आए लोग सृजन के इस कदम की सराहना करने लगे। अंशिका के पिता ने भी अपने दामाद को गले से लगा लिया।
लड़के के पिता ने कहा मेरा बेटा आपकी बेटी को खुश रखेगा…
बता दें कि जब अंशिका के पिता विपिन रुपए की थाली सृजन के पिता अरविन्द को देने लगे, तो उन्होंने कहा कि हम लोग पैसों के लिए नहीं बल्कि एक बहू के लिए शादी कर रहे हैं। हमें आप अपनी लड़की दे रहे हैं, क्या ये छोटी बात है। मेरा बेटा इतना कमा लेता है कि वो आपकी लड़की को बहुत खुश रखेगा। हमें ये पैसे और दहेज नहीं चाहिए। ये सुनकर अंशिका के पिता ने अपनी बेटी और दामाद को आशीर्वाद दिया। उन्होंने अपनी बेटी से कहा कि तुम्हें एक बहुत अच्छा परिवार मिला है, हमेशा सबका सम्मान करना। मौके पर मौजूद लोगों ने भी सृजन की खूब बढ़ाई की।
वहीं बता दें कि कुछ दिन पहले ही सृजन और अंशिका की सगाई हुई थी और 12 अक्टूबर को इन दोनों की शादी भी हो चुकी है। शादी में भी सृजन के पिता ने दहेज नहीं लिया है। आख़िर में बता दें कि सगाई को लेकर शहर के एक गेस्ट हाउस में कार्यक्रम आयोजित किया गया। इसमें अंशिका के पिता ने छह लाख रुपयों से भरा बैग सिक्के सौंपे। इस पर वर ने शगुन के तौर पर एक चांदी का सिक्का उठाया और कहा आपने बेटी दे दी है, यह क्या कम है दुल्हन ही दहेज है। इतना सुनते ही कन्या के पिता की आंख भर आईं और होने वाले दामाद को सीने से लगा लिया।