राजस्थान में दलितों पर अत्याचार पर राहुल-प्रियंका चुप, लेकिन कांग्रेस के लिए ‘लखीमपुर’ मुद्दा
राजनीति में गिरने की कोई सीमा नहीं होती है, संवेदनशील मसलों पर भी कर रहे हैं सेलेक्टिव राजनीति
भारतीय लोकतंत्र के सापेक्ष वर्तमान दौर में सबसे बड़ी समस्या जो खड़ी हुई है, वह ‘सेलेक्टिव पॉलिटिक्स’ की है। जी हां आज के दौर में अपने नफ़ा-नुकसान के हिसाब से राजनीतिक दल मुद्दों की राजनीति करते हैं। जिसका ताज़ा उदाहरण यूपी के लखीमपुर खीरी का मामला है। बता दें कि उत्तर प्रदेश में हुई लखीमपुर खीरी हिंसा को लेकर कांग्रेस लगातार राज्य सरकार पर हमलावर हो रही है। सरकार द्वारा सुरक्षा के लिए लगाई गई धारा-144 का उल्लंघन, धरना प्रदर्शन, सड़क पर जाम लगाने जैसे कई काम विपक्षियों द्वारा किए जा रहे हैं।
इतना ही नहीं, राहुल गांधी कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल के साथ राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से भी मिलने वाले हैं और इस मामले में उनके हस्तक्षेप की मांग करने वाले हैं। गौरतलब हो कि कांग्रेस के इस रवैये को लेकर बीजेपी ने वार किया है और वार करना स्वाभाविक भी है। बीजेपी का कहना है कि कांग्रेस ‘सेलेक्टिव पॉलिटिक्स’ करती है। यानी जहां, पार्टी को अपना फायदा दिखे वहीं एक्शन लेती है। वहीं, कांग्रेस शासित राज्यों में हो रहे अपराधों को अनदेखा कर देती है, क्योंकि वहां वोट कमाने नहीं, बल्कि गंवाने के आसार बन जाते हैं।
गौरतलब हो कि भाजपा ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा पर तीखा हमला बोला और कहा कि कांग्रेस शासित राज्यों में दलितों पर हो रहे अत्याचार पर वे चुप क्यों हैं, वहां क्यों नहीं जा रहे हैं। मंगलवार को पार्टी मुख्यालय में पत्रकार वार्ता में भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने राजस्थान, महाराष्ट्र और झारखंड में अनुसूचित जाति (एससी) के सदस्यों के खिलाफ अत्याचार की कथित घटनाओं का हवाला देते हुए कहा कि जो लोग खुद को दलित अधिकारों के पैरोकार के रूप में पेश करते हैं, जबकि कांग्रेस शासित राज्यों में वे खुद ऐसी घटनाओं की अनदेखी करते हैं और चुप्पी साध लेते हैं।
बता दें कि लखीमपुर खीरी में हुई घटना को लेकर उन्होंने विभिन्न दलों के नेताओं के दौरों को राजनीतिक पर्यटन बताया और आगे कहा कि ये लोग कांग्रेस शासित राज्यों में क्यों नहीं जाते जब वहां दलितों पर अत्याचार की घटनाएं होती हैं। यहां पार्टी मुख्यालय में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा कि, “राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा दोनों खुद को दलित अधिकारों के चैंपियन के रूप में पेश करते हैं, लेकिन वे राजस्थान और अन्य राज्यों में अनुसूचित जातियों के खिलाफ अत्याचार पर चुप क्यों हैं?
” इतना ही नहीं उन्होंने आगे कहा कि कांग्रेस को राजस्थान में दलितों पर हो रहे अत्याचार से वोटों का नुकसान होगा, इसलिए वो उस पर चुप्पी साधे हैं, लेकिन दूसरे राज्यों में जाकर सड़क पर लड़ाई का प्रयास कर रहे हैं।
सरकार को आइना दिखाती राजस्थान की यह क्राइम कुंडली…
वहीं कांग्रेस शासित राज्य राजस्थान में पिछले महीने अनुसूचित जाति अत्याचार की मासिक रिपोर्ट देखें तो 11 हत्याएं और 51 रेप केस दर्ज हुए हैं। जबकि अगस्त में भी 8 हत्याएं और 49 रेप केस दर्ज किए गए थे। इस वर्ष यानी 2021 में पिछले महीने (सितंबर) तक 57 हत्याएं हो चुकी हैं। यह संख्या 2019 से 16.33 प्रतिशत अधिक है। यानी हत्या जैसा जघन्य अपराध बढ़ा है। इनमें से भी महज 8 मामलों में पुलिस ने एफआर लगाई है। 30 मामलों में चालान पेश किए गए हैं, जबकि 19 मामलों की जांच अभी भी बाकी है।
पिछले 9 महीनों के आंकड़ों के बात करें तो प्रदेश में अनुसूचित जाति अत्याचर के कुल 5740 मामले दर्ज किए गए। इनमें से 2027 मामलों में अब भी जांच पेंडिंग चल रही है। अब ऐसे में आप सोच सकते कि किस तरीक़े की राजनीति देश के भीतर चल रही है।
वहीं जानकारी के लिहाज़ से बता दें कि पत्रकार वार्ता में मौजूद भाजपा महासचिव दुष्यंत गौतम ने भी इसी तरह के आरोप लगाए और कहा कि कांग्रेस पार्टी ने दलितों के सबसे बड़े नेता बीआर आंबेडकर का अनादर किया और उन्हें कभी उचित सम्मान नहीं दिया। उन्होंने यह भी कहा कि जिस प्रकार से राजस्थान, झारखंड और अन्य राज्यों में घटनाएं हो रही हैं, लेकिन कुछ राजनीतिक दल इनका राजनीतिकरण कर रहे हैं।
मरने वाली की जाति देखकर, मारने वाले का धर्म देखकर या राज्य में किसकी सरकार है, ये देखकर राजनीति की जा रही है। वैसे यह बात तो स्पष्ट है लोकतंत्र में आम जनता के हित को देखकर राजनीति होनी चाहिए, वह बिल्कुल नही दिखती। ऐसे में आप सभी इस तरीक़े की सेलेक्टिव राजनीति को लेकर क्या सोचते, कमेंट कर हमें अवश्य बताएं।