अध्यात्म

जानें क्या हुआ जब एक कुत्ता आया भगवान श्रीराम से न्याय मांगने!

ऐसे ही रामराज्य के बारे में लोग नहीं कहते हैं। वनवास जाने से पहले भगवान राम अपने भाई लक्ष्मण के साथ अयोध्या में लोगों के साथ न्याय करते थे। रामायण में इसके बारे में विस्तार से लिखा गया है।

जब रावण ने माता सीता का अपहरण कर लिया तो भगवान राम हनुमान के साथ मिलकर लंका पर वानर सेना की मदद से हमला करते हैं और माता सीता को आजाद करवाते हैं। भगवान राम के जीवन की इन घटनाओं के बारे में सभी जानते हैं, लेकिन आपको मैं एक ऐसी घटना के बारे में बताने जा रहा हूं जिसके बारे में शायद ही आप पहले से जानते होंगे।

लक्ष्मण को देखने भेजा बाहर:

प्राचीनकाल में देश के उत्तरी भाग में कालिंजर नाम का एक प्रसिद्ध मठ था। यह घटना रामायण काल से पहले की बात है, अर्थात 5000 साल से भी पहले की यह घटना है। श्रीराम को न्यायप्रिय राजा माना जाता था। हर दिन की तरह उस दिन भी वह लोगों की समस्याएं सुन रहे थे।

शाम हो जाने के बाद सभी लोग चले गए तो उन्होंने लक्ष्मण को बाहर भेजा और कहा जाओ देखो कोई छूट तो नहीं गया। वह बाहर गए और सभी जगह देखकर बोले नहीं अब कोई नहीं बचा है। श्रीराम ने उन्हें एक बार फिर कहा कि ध्यान से देखो कहीं कोई छूट तो नहीं गया। जबकि लक्ष्मण कई बार देख चुके थे, कोई नहीं था।

कुत्ते ने बतायी अपनी कहानी:

वह अन्दर आ ही रहे थे कि उनकी नजर बाहर बैठे एक कुत्ते पर गयी। वह काफी निराश दिख रहा था एवं उसके सिर पर चोट थी। उन्होंने कुत्ते से पूछा तुम्हें क्या चाहिए। कुत्ता बोला मैं न्याय चाहता हूं। कुत्ता लक्ष्मण के साथ अन्दर आया। उसने श्रीराम को प्रणाम किया और अपनी कहानी बताने लगा। कुत्ते ने बताया कि वह शांति से बैठा हुआ था तभी एक सर्वथासिद्ध नाम का व्यक्ति आकर उसे बेवजह पीटने लगता है। राम ने उस व्यक्ति को तुरंत बुलावाया, वह एक भिखारी था। राम ने उससे पूछा कि यह कुत्ता तुम्हें दोषी बता रहा है। उसने अपना दोष स्वीकार करते हुए कहा मैं भूख से यहां-वहां भटक रहा था। तभी मुझे कुत्ता दिखाई दिया। मैंने अपना सारा गुस्सा इसके ऊपर निकाल दिया।

कुत्ते ने कहा बना दीजिये कालिंजर मठ का महंत:

राम ने भिखारी की बात सुनकर वहां बैठे मंत्रियों से सलाह ली की इसके दोषों के लिए इसे क्या सजा देनी चाहिए। सबको यह मामला समझ में नहीं आ रहा था। उन्होंने कहा थोड़ा रुकिए। इस मामले में एक कुत्ता और आदमी शामिल हैं। हमें जितने कानून के बारे में जानकारी है, वह यहां लागू नहीं होगा। आप राजा हैं इसलिए आप ही फैसला सुनाएं।

राम ने कुत्ते से पूछा कि तुम क्या चाहते हो, तुम्हारे पास कोई उपाय है। कुत्ते ने कहा, हां मेरे पास इस व्यक्ति के लिए एक सजा है। कुत्ता बोला इस व्यक्ति को कालिंजर मठ का मुख्य महंत बना दिया जाये। राम ने ऐसा ही किया और उसे एक हाथी देकर कालिंजर मठ रवाना किया। भिखारी अपनी इस सजा से बहुत खुश था।

मैंने खुद को धर्मगुरु मानना शुरू कर दिया:

दरबार में बैठे लोगों ने बोला यह कैसी सजा है। दोषी तो खुशी-खुशी चला गया। तब राम ने कुत्ते से कहा तुम ही बताओ इसके बारे में। कुत्ते ने कहा कि मैं पिछले जन्म में कालिंजर मठ का मुख्य महंत था। मैं लोगों का कल्याण करना चाहता था। मैं लोगों की सेवा करना चाहता था इसलिए वहां गया। लेकिन जैसे-जैसे दिन बीतता गया मुझे कुछ-कुछ विचार प्रभावित करने लगे। चूंकि यह पद काफी बड़ा था, इसलिए कई बार मेरे ऊपर अहं सवार हो जाता था। लोगों ने मुझे एक धर्मगुरु के रूप में मानना शुरू कर दिया। मुझे पता था कि मैं धर्मगुरु नहीं हूं। मैं उसके जैसा बनाने की कोशिश करने लगा और वैसी सुविधाओं की मांग करने लगा।

भिखारी भी देगा खुद को वैसी ही सजा:

मैंने दिखावा करना शुरू कर दिया और लोगों ने भी मेरा साथ दिया। धीरे-धीरे मेरी अध्यात्मिक प्रतिबद्धता घटने लगी और साथ ही लोग भी। कई बार मैंने खुद को रोकने की कोशिश की, लेकिन मैं खुद को रोक नहीं पाया। इस समय भिखारी गुस्से में और कुंठित है। वह खुद को भी वैसी ही सजा देगा, जैसा मैंने खुद को दिया था। इसलिए उसके लिए सबसे अच्छी सजा यही है कि वह कालिंजर मठ का महंत बन जाए।

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