ममता सरकार में देवी-देवताओं का अपमान, जूते-चप्पल से सजाया दुर्गा पंडाल…
दुर्गा पूजा पंडाल में इस्तेमाल किए गए हैं जूते-चप्पल, ममता सरकार का हिन्दू विरोधी चेहरा एक बार फ़िर उज़ागर।
पश्चिम बंगाल में दुर्गा पूजा का उत्सव एक अलग ही ढंग और धूमधाम से मनाया जाता यह तो सर्वविदित है। जहां दुर्गा पूजा के अवसर पर तरह-तरह के पंडाल और मां दुर्गा की मूर्तियां सजाई जाती हैं, लेकिन इसी बीच कोलकाता के दमदम पार्क इलाके में एक दुर्गा पूजा पंडाल में जूतों से सजावट की गई है और इस वज़ह से बवाल खड़ा हो गया है।
जी हां बता दें कि बीजेपी और विश्व हिंदू परिषद ने पंडाल में जूतों के इस्तेमाल पर कड़ी आपत्ति जताई है। वहीं दूसरी तरफ़ आयोजकों का कहना है कि उनका पंडाल किसान आंदोलन की थीम पर है और जूते पंडाल से दूर लगाए गए हैं।
गौरतलब हो कि दम दम पार्क भारत चक्र की पूजा थीम इस बार किसानों का प्रदर्शन है। तीन कृषि कानूनों के खिलाफ देश के उत्तरी भाग में किसान प्रदर्शन कर रहे हैं। इसी को लेकर इस पंडाल में उन घटनाओं को दर्शाया गया है जो किसानों को अपने साथ जोड़ रहा है। इसमें आंदोलन से लेकर लखीमपुर खीरी हिंसा तक को दर्शाया गया है।
पंडाल में जूते-चप्पल भी लगाए गए हैं और इसी को लेकर बीजेपी ने आयोजकों पर निशाना साधा है। बीजेपी नेता सुभेंदू अधिकारी ने इसके विरोध में राज्य के गृह सचिव को पत्र भी लिखा है। बीजेपी मीडिया सेल प्रमुख सप्तर्षि चौधरी सहित बंगाल के कई भाजपा नेताओं ने पंडाल में चप्पल और जूते का उपयोग करने के लिए सोशल मीडिया पर आयोजकों को फटकार लगाई है।
उन्होंने लिखा कि, “यह वह जगह है जहां भजन पढ़े जाएंगे, लोग पूजा करेंगे और आप उस जगह को सजाने के लिए चप्पल का इस्तेमाल करेंगे?” उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि आयोजक राजनीति से प्रेरित हैं।
A Durga Puja pandal in Dumdum Park has been decorated with shoes.
This heinous act of insulting Maa Durga in the name of “Artistic liberty” won’t be tolerated.
I urge the Chief & Home Secretary @egiye_bangla to intervene & compel the organizers to remove the shoes before Shashti. pic.twitter.com/h3uQPbNIpS— Suvendu Adhikari • শুভেন্দু অধিকারী (@SuvenduWB) October 9, 2021
वहीं वीएचपी ने भी इस थीम पर विरोध जताया है। वीएचपी ने भी इसके विरोध में राज्य के गृह सचिव को पत्र लिखकर पंडाल से जूता चप्पल हटाने की मांग की है। इसने इस थीम को आस्था का अपमान बताया है। वैसे देखा जाए तो पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार की पहचान ही कहीं न कहीं हिन्दू संस्कृति और आस्था को चोट पहुँचाने वाली सदैव से रही है। जिसकी एक बानगी राज्य में इस तरीक़े का पंडाल बनाकर पेश की गई है।
मुस्लिम तुष्टीकरण और मोदी सरकार के विरोध में ममता सरकार और उनकी विचारधारा से ताल्लुक रखने वाले लोग किस हद्द तक नीचता कर सकते हैं, यह जगजाहिर बात है। कई बार पश्चिम बंगाल में ऐसे वाकये देखें गए हैं जब हिन्दू धर्म की आस्थाओं को आहत किया गया है और ममता सरकार चुप रही है। कहीं न कहीं किसान आंदोलन के समर्थन के नाम पर इस बार भी उसी की पुनरावृत्ति की गई है और दुर्गा पंडाल को जूते-चप्पलों से सजाया गया है।
यहां एक बात बड़ी स्पष्ट है कि कोई भी व्यक्ति या विचारधारा का समूह किसी भी नीतिगत फ़ैसले का विरोध करें, वहाँ तक जायज़ है, लेकिन किसी धर्म की आस्था को ऐसे आहत करना उचित नहीं और इसी को मद्देनजर रखते हुए बीजेपी और बीएचपी जैसे संगठन इस थीम पर पंडाल सजाने का विरोध कर रहें हैं।
बता दें कि इस मामले पर बीजेपी के विरोध के बाद सीपीएम, पंडाल के आयोजकों के सपोर्ट में आ गई। तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के संघर्ष की अगुवाई कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा के नेता और सीपीएम पोलित ब्यूरो के सदस्य हन्नान मुल्ला ने कहा कि किसानों के विरोध को पूजा थीम के रूप में अपनाना एक सकारात्मक संकेत है।
यह आंदोलन के लिए लोगों के समर्थन को दर्शाता है। उन्होंने आगे कहा कि भाजपा और आरएसएस स्पष्ट रूप से डरे हुए और शर्मिंदा हैं। इसलिए वे दुर्गा पूजा के राजनीतिकरण के बेबुनियाद आरोप लगा रहे हैं।