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JRD टाटा को नेहरू और इंदिरा ने इस तरह कराया था चुप, टाटा ने कहा था – भारत में कोई भी PM..

जेआरडी टाटा एक बार भारत सरकार के फ़ैसले से हुए थे नाराज़। जानिए क्या थी एयर इंडिया से जुड़ी कहानी...

बीते कुछ दिनों से एयर इंडिया की चर्चा हर तरफ़ हो रही है। जी हां वैसे भी चर्चा होनी स्वाभाविक भी है, क्योंकि क़रीब सात दशक बाद एयर इंडिया की घर-वापसी हो रही है। बता दें कि क़रीब 68 सालों बाद एयर इंडिया टाटा संस के पास वापस आ रहा है। तो आइए आज हम आपको एयर इंडिया और जेआरडी टाटा से जुड़ी कहानी बताते हैं। बता दें कि 90 साल पहले एयर इंडिया की शुरुआत करने वाले टाटा को एक बार फिर इस सरकारी एयरलाइन्स का मालिकाना हक मिल गया है।

टाटा ने 18 हजार करोड़ में एयर इंडिया को खरीद लिया है और इस सौदे की घोषणा के बाद टाटा ने कहा कि, “एक समय जे आर डी टाटा के नेतृत्व में एयर इंडिया ने दुनिया की सबसे प्रतिष्ठित एयरलाइनों में से एक होने की प्रतिष्ठा प्राप्त की थी। टाटा को उस छवि और प्रतिष्ठा को फिर से हासिल करने का अवसर मिलेगा जो उसने पूर्व में हासिल की थी। जे आर डी टाटा अगर आज हमारे बीच होते तो बहुत खुश होते।”

बता दें कि जहांगीर रतनजी दादाभाई (जेआरडी) टाटा ने 1932 में एयरलाइन की स्थापना की थी, तब इसे ‘टाटा एयरलाइंस’ कहा जाता था। 1946 में टाटा संस के विमानन प्रभाग को एयर इंडिया के रूप में सूचीबद्ध किया गया था और 1948 में एयर इंडिया इंटरनेशनल को यूरोप के लिए उड़ानों के साथ शुरू किया गया था। वहीं 1953 में एयर इंडिया का राष्ट्रीयकरण हो गया था, जिसके साथ ही एयर इंडिया की कमान पूर्ण रूप से सरकार के हाथ में आ गई थी। लेकिन यह जानना भी जरूरी हो जाता है कि इस दौरान जेआरडी टाटा को चुप रखने के लिए पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी ने किस प्रकार टाटा को चुप रखने के तरीके खोजे।

ऐसे जेआरडी टाटा को नेहरु ने कराया था चुप…

बता दें कि यह बात साल 1986 की है। जब एक इंटरव्यू में, जेआरडी टाटा ने बताया था कि कैसे नेहरू और इंदिरा गांधी ने उन्हें चुप कराने के लिए बात करने के विनम्र तरीके अपनाए थे। जेआरडी ने कहा था कि नेहरू जानते थे कि वह (जेआरडी टाटा) सरकार की सभी आर्थिक नीतियों और यहां तक ​​कि विदेश नीतियों से असहमत हैं और टाटा के साथ आर्थिक मामलों पर चर्चा करने में सक्षम नहीं थे।

Air India And JRD Tata

गौरतलब हो कि तब जेआरडी ने कहा था कि, “उन्होंने (नेहरू) और श्रीमती गांधी ने बाद में मुझे चुप रखने के लिए मुझसे बात करने का विनम्र तरीका विकसित किया। जवाहरलाल के सामने जब मैं आर्थिक नीति के विषय को उठाना शुरू करता, तो वो मुड़कर खिड़की से बाहर देखने लगते। हालांकि, श्रीमती गांधी ने कुछ और किया।” ये पूछे जाने पर कि इंदिरा गांधी ने क्या किया। फ़िर जेआरडी ने कहा था कि, “उन्होंने लिफाफा उठाना, लिफाफों को काटना और पत्र निकालना शुरू कर दिया। यह एक विनम्र संकेत था कि वह ऊब गई थीं।”

काफी नाराज हो गए थे जेआरडी…

बता दें कि राजीव गांधी के प्रशासन के बारे में बोलते हुए, जेआरडी ने अपने एक इंटरव्यू में कहा था कि, “नेता (राजीव गांधी) का झुकाव युवा लोगों के प्रति अधिक था और इस दौरान वो रतन टाटा से कई बार मिले। हालांकि, तत्कालीन टाटा एयरलाइंस के संस्थापक को उनसे मिलने का कभी मौका नहीं मिला।” 1986 के अपने इंटरव्यू में जेआरडी ने कहा था कि, “आजादी के इतने सालों में, भारत सरकार में कोई भी प्रधान मंत्री मेरे पास नहीं आया, या मेरे लिए नहीं भेजा गया, जिसने ये पूछा हो कि जेआरडी, आप क्या सोचते हैं?”

Air India And JRD Tata

जानकारी के लिए आप सभी को बता दें कि टाटा समूह की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक टाटा की दूसरी पीढ़ी ने भी नेहरू के साथ मित्रता का संबंध रखा, लेकिन यह भी स्पष्ट था कि समाजवादी आर्थिक नीतियों और विशेष रूप से एयर इंडिया के राष्ट्रीयकरण के मामले को लेकर दोनों की सोच एकमत नहीं थी।

1977 में मोरारजी सरकार ने साफ़ कर दिया टाटा का पत्ता…

Air India And JRD Tata

वहीं मालूम हो कि 1977 में मोरारजी देसाई की सरकार बनी और एयर इंडिया से टाटा का पत्ता साफ कर दिया गया। एयर इंडिया के राष्ट्रीयकरण ने निश्चित रूप से जेआरडी टाटा को चोट पहुंचाई थी, लेकिन वो उस तरह के नहीं थे कि शिकायत करें। नेहरू ने जोर देकर कहा था कि वह एयरलाइंस के प्रमुख बने रहें और जेआरडी ने भी ठीक 1977 तक यही किया। लेकिन इसके बाद सरकार ने एक कानून बनाकर उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया। हालांकि, इंदिरा गांधी की सरकार में जेआरडी टाटा को एक बार फिर बोर्ड में शामिल कर उसका सदस्य बनाया गया, लेकिन तब तक टाटा में एयरलाइंस की भूख खत्म हो गई थी।

इस हादसे के बाद बलि का बकरा खोज रही थी सरकार…

इसके अलावा एयर इंडिया के टिप्पणीकारों के मुताबिक एयर इंडिया का पतन तब शुरू हुआ जब तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई ने 1978 में जेआरडी को अध्यक्ष के पद से हटा दिया। ऐसा कहा जाता है कि 1978 में हुए विमान हादसे के लिए सरकार एक बलि का बकरा ढूंढ रही थी। दरअसल 218 लोगों से भरा एयर इंडिया का बोइंग- 747 विमान मुंबई के तट पर समुद्र में समा गया था और इस दुर्घटना में विमान में सवार सभी लोग मारे गए थे।

Air India And JRD Tata

हालांकि, उस समय के व्यवसायी को इंदिरा गांधी द्वारा लिखे गए एक पत्र के अनुसार, इंदिरा गांधी ने इस मामले में जेआरडी टाटा के पक्ष में आवाज उठाई थी और वो जेआरडी के समर्थन में सामने आईं थीं पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने शनिवार को अपने ट्विटर पर इस पत्र की एक कॉपी भी शेयर की है।


जेआरडी टाटा के हटाए जाने पर इंदिरा ने कही थी ये बात…

Air India And JRD Tata

आख़िर में बता दें कि इंदिरा गांधी जो उस समय सत्ता में नहीं थीं, उन्होंने जेआरडी को एयर इंडिया के मैनेजमेंट से हटाए जाने पर उनसे कहा था कि, “मुझे बहुत अफसोस है कि आप अब एयर इंडिया के साथ नहीं हैं। एयर-इंडिया को भी इस मौके पर आपके जितना ही दुखी होना चाहिए। आप केवल चेयरमैन मैन संस्थापक और पोषणकर्ता नहीं थे, जिन्हें व्यक्तिगत तौर पर गहरी चिंता महसूस हुई थी, बल्कि आपने एयर इंडिया की साज-सज्जा और एयर हॉस्टेस की साड़ियों सहित छोटी से छोटी जानकारी दी, जिसने एयर इंडिया को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर और वास्तव में सूची में सबसे ऊपर तक पहुंचाया। हमें आप पर और एयरलाइन पर गर्व है। हमारे बीच कुछ गलतफहमी थी, लेकिन मेरे लिए यह संभव नहीं था कि मैं आपको उन दबावों के बारे में बता सकूं जिनके तहत मुझे काम करना पड़ा।”

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